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Mumbai मुंबई। हाल ही में खेल से संन्यास लेने वाली भारतीय जिमनास्टिक स्टार दीपा करमाकर का मानना है कि वर्तमान पीढ़ी के अधिकांश जिमनास्टों में जुनून की कमी है और उन्होंने उनसे वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता हासिल करने के लिए जोश के साथ इस खेल को अपनाने का आग्रह किया।ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बनकर और 2016 रियो खेलों में ऐतिहासिक चौथे स्थान पर आकर एक नया आयाम स्थापित करने वाली दीपा ने इस महीने की शुरुआत में खेल से संन्यास ले लिया। इस तरह उनका वह करियर समाप्त हो गया, जिसमें वह नियमित रूप से अत्यधिक कठिन प्रोडुनोवा वॉल्ट करके लोगों को विस्मय में डाल देती थीं।
जब उनसे पूछा गया कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर पदक जीतने वाली भारतीय महिला जिमनास्टों में केवल एक दीपा या प्रणति नायक ही क्यों हैं, तो उन्होंने कहा, "दीपा में जुनून था। प्रणति में भी यही है।" वेदांत दिल्ली हाफ मैराथन द्वारा आयोजित 'बियॉन्ड द फिनिश लाइन' नामक कार्यक्रम में पैनल चर्चा के दौरान शुक्रवार रात को उन्होंने कहा, "मुझे मौजूदा पीढ़ी (जिमनास्ट) में यह जुनून ज्यादा नहीं दिखता। मुझे लगता है कि वे अल्पकालिक, तत्काल सफलता की तलाश में रहते हैं।" त्रिपुरा की 31 वर्षीय इस छोटी कद की खिलाड़ी ने 2016 रियो खेलों के वॉल्ट फाइनल में चौथे स्थान पर आकर सुर्खियां बटोरीं, जिसमें उन्होंने मात्र 0.15 अंकों से ओलंपिक पदक खो दिया था।
टोक्यो ओलंपियन प्रणति ने 2019 और 2022 एशियाई चैंपियनशिप में वॉल्ट कांस्य पदक जीता है। अगरतला की रहने वाली दीपा जिमनास्टिक इतिहास की केवल पांच महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने प्रोडुनोवा को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, जिसमें उतरने से पहले दो कलाबाजियां शामिल होती हैं और इसे 'मौत की वॉल्ट' कहा जाता है, क्योंकि इसमें चोट लगने का जोखिम बहुत अधिक होता है। उन्हें लगता है कि पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय महासंघ को परेशान करने वाली समस्याओं ने भी भारतीय जिम्नास्टिक के हित में कोई मदद नहीं की है।
"साई और महासंघ के बीच समस्या थी। उदाहरण के लिए, पिछले एशियाई खेलों (2023) के लिए चयन मानदंड वास्तविक परीक्षणों के बाद ही पता चले थे।भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मैं भारतीय जिम्नास्टिक में बदलाव लाना चाहती हूं ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याएं न हों, लेकिन मैं यह अकेले नहीं कर सकती।"
अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा करते हुए दीपा ने कहा था कि वह अपने जीवन में किसी समय कोच बनकर खेल को कुछ वापस देंगी या वह बस "अपने सपनों का पीछा करने वाले जिम्नास्ट की अगली पीढ़ी की समर्थक" बनी रहेंगी।हाल ही में मई में दीपा ने ताशकंद में एशियाई कलात्मक जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में वॉल्ट स्वर्ण पदक जीता, लेकिन कुछ महीने बाद उन्होंने सेवानिवृत्त होने का फैसला किया।
जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने सेवानिवृत्त होने का फैसला क्यों लिया, तो उन्होंने कहा, "मेरी दो एसीएल सर्जरी हुई, कंधे और टखने में चोट लगी। मैं वॉल्ट का अपना मुख्य इवेंट उस तरह से नहीं कर पा रही थी जैसा मैं चाहती थी। अगर शरीर अनुमति नहीं दे रहा है, तो इसे जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।" जब उन्होंने अपने गृह राज्य में खेल शुरू किया, तो लोग उनसे कहते थे कि एक महिला को जिमनास्टिक क्यों करना चाहिए।
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Harrison
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