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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| पिछले हफ्ते सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में महिला एकल चैंपियन बनने वाली पूर्व जूनियर विश्व नंबर 1 शटलर अनुपमा उपाध्याय का मानना है कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतने के बाद, वह शीर्ष भारतीय सीनियर खिलाड़ियों के साथ मुकाबला कर सकती हैं।
18 वर्षीय अनुपमा ने आकर्षी कश्यप को एक घंटे 18 मिनट में 20-22, 21-17, 24-22 से हराकर नेशनल का खिताब जीता।
युवा शटलर पिछले साल जूनियर बैडमिंटन विश्व रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर पहुंच गई थीं। जूनियर विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने वाली छठी भारतीय शटलर बनीं।
उन्होंने पिछले साल युगांडा में एक जूनियर अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने के बाद दो बीडब्ल्यूएफ इंटरनेशनल चैलेंज इवेंट्स - 2021 में बेंगलुरु में 2021 इंडिया इंटरनेशनल चैलेंज और पोलिश ओपन 2022 जीते हैं। अनुपमा ने जनवरी, 2022 में सैयद मोदी इंटरनेशनल सुपर 300 में भी सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।
आईएएनएस से बात करते हुए युवा शटलर ने नेशनल से अपने अनुभव, जूनियर से सीनियर स्तर के बारे में बहुत कुछ बताया।
साक्षात्कार के अंश :
आईएएनएस: आकर्षि के साथ कड़ी टक्कर के बाद सीनियर नेशनल चैंपियन बनने का अहसास कैसा है? क्या आप टूर्नामेंट से अपने अनुभव के बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
अनुपमा: फाइनल वास्तव में कठिन था। लेकिन फाइनल में जाने से पहले मुझे ²ढ़ विश्वास था कि मैं अपनी प्रतिद्वंद्वी को हरा सकती हूं। पिछले साल दिसंबर में मैं बांग्लादेश इंटरनेशनल चैलेंज, 2022 में उनसे (आकर्षी) सेमीफाइनल में जीत की स्थिति से हार गई थीं। मैंने पहले गेम और तीसरे गेम में कुछ अप्रत्याशित गलतियां की थीं, जिससे उन्हें शुरूआती बढ़त मिली। मैं इस बार उस गलती को सुधारना चाहती थीं। इसलिए पहला गेम हारने के बाद भी मुझे दूसरा और तीसरा गेम जीतने का भरोसा था। मैं अंत में जीत गई।
मैं इस विश्वास के साथ टूर्नामेंट में गई थी कि मैं इस टूर्नामेंट को जीत सकती हूं और जीत गई। मैंने आकर्षी कश्यप को छोड़कर इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाली लगभग सभी शीर्ष खिलाड़ियों को हराया था। इस तरह के टूर्नामेंट में आपको थोड़ा भाग्यशाली भी होना पड़ता है। जब ड्रॉ आया तो प्री-क्वार्टर तक मेरा आसान ड्रॉ रहा। उस वक्त मुझे लगा कि वाह, किस्मत मेरे साथ है। अब कुछ भी संभव है।
आईएएनएस: आपने अश्मिता चालिहा और मालविका बंसोड़ के खिलाफ जीत हासिल की है और अब आपने आकर्षी पर जीत दर्ज की है। आपको सबसे कड़ी प्रतिद्वंदी कौन लगती है?
अनुपमा: तीनों बेहतरीन खिलाड़ी हैं और समान रूप से प्रतिभाशाली और कड़े विरोधी हैं। लेकिन मुझे लगता है कि आकर्षी अपने अनुभव के कारण बाकी दोनों की तुलना में थोड़ी मजबूत और सख्त है।
आईएएनएस: आप जूनियर विश्व चैंपियनशिप में वल्र्ड नंबर-1 बनकर गई हैं। लेकिन परिणाम वह नहीं था जिसकी आपने आशा की थी। घटना से क्या सीख मिली?
अनुपमा: हां, विश्व जूनियर्स मेरे लिए आंखें खोलने वाला था। इससे मुझे एहसास हुआ कि ताकत और शक्ति के मामले में मुझे अभी भी बहुत कुछ करना है। इससे मुझे अहसास हुआ कि विश्व स्तर पर ताकत बहुत महत्वपूर्ण हैं। मैं समझ गई कि चीनी, कोरियाई और इंडोनेशियाई खिलाड़ी कितनी मजबूती से खेलती हैं।
आईएएनएस: आप जूनियर से सीनियर स्तर तक के बदलाव को कैसे देखते हैं?
अनुपमा: जूनियर से सीनियर लेवल तक जाने में आम तौर पर 2 से 3 साल लगते हैं। कभी-कभी असाधारण प्रतिभाएं थोड़ी तेजी से पार करने में सक्षम होती हैं। भारतीय महिला बैडमिंटन स्तर और अंतर्राष्ट्रीय सीनियर स्तर के बीच अंतर है। चुनौती उस स्तर को जल्दी से पूरा करने की है। इसके लिए बैडमिंटन के सभी कोर्ट और आफ-कोर्ट पहलुओं पर युद्धस्तर पर काम करने की जरूरत है।
आईएएनएस: आपका अगला लक्ष्य क्या है?
अनुपमा: मेरा अगला लक्ष्य इस साल के अंत तक विश्व रैंकिंग के शीर्ष 30 में आना है।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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