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डरावना इतिहास: जहां होगा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल, उस जगह से क्यों डरती है पूरी दुनिया?

Gulabi
27 May 2021 3:21 PM GMT
डरावना इतिहास: जहां होगा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल, उस जगह से क्यों डरती है पूरी दुनिया?
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इस सवाल का जवाब खोजने के लिए आपको इतिहास के पन्ने खंगालने होंगे

इस सवाल का जवाब खोजने के लिए आपको इतिहास के पन्ने खंगालने होंगे. सबसे पहले आपको बता दें कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल (ICC World Test Championship Final) 18 जून से इंग्लैंड के साउथैंप्टन (Southampton) में खेला जाएगा. मुकाबला भारत और न्यूज़ीलैंड (India vs New Zealand) की टीम के बीच है. 1 अगस्त 2019 से इस चैंपियनशिप के मैच खेले जाने शुरू हुए थे. पॉइंट्स टेबल में पहली दो टीम को फाइनल खेलना था. आईसीसी ने जब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का ऐलान किया था, तब इसका फाइनल लंदन के लॉर्ड्स (Lord's) में खेला जाना था. बाद में इसे साउथैंप्टन में कराने का फैसला किया गया. कोरोना के बढ़ते संक्रमण और साउथैंप्टन में बेहतर बायो-बबल के इंतजाम की वजह से ये फैसला किया गया था. दिक्कत ये है कि साउथैंप्टन में भारतीय टीम (Indian Cricket Team) के रिकॉर्ड्स बहुत खराब हैं. अब तक इस मैदान में भारतीय टीम ने जो दो टेस्ट मैच खेले हैं उसमें दोनों में उसे हार का सामना करना पड़ा है. ये दोनों टेस्ट मैच 2014 और 2018 में खेले गए थे. 2014 मे विराट कोहली (Virat Kohli) बतौर बल्लेबाज हार देख चुके हैं और 2018 में बतौर कप्तान.

आईसीसी चैंपियनशिप को लेकर विराट कोहली की नाकामी का सिलसिला भी पुराना है. उनकी कप्तानी में भारत चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हार झेल चुका है. इसके बाद 2019 विश्व कप में भी भारत को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था. लिहाजा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मैच को लेकर घबराहट सिर्फ भारतीय टीम में नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट फैंस में भी है. लेकिन आज हम जो कहानी बताने जा रहे हैं उसका रिश्ता भारतीय टीम से नहीं बल्कि पूरी दुनिया से है. उस घटना से है जो भुलाए नहीं भूलती. ये रिश्ता है टाइटैनिक (Titanic) जहाज की त्रासदी का.
साउथैंप्टन से ही चला था टाइटैनिक जहाज
इतिहास की बड़ी त्रासदियों में टाइटैनिक जहाज का डूबना शामिल है. इतिहास की बड़ी दुर्घटनाओं में शामिल इस त्रासदी में डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इस दुर्घटना को सौ साल से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है. 1912 में ये जहाज साउथैंप्टन से ही रवाना हुआ था. न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुए उस जहाज में करीब सवा दो हजार यात्री सवार थे. इस जहाज को उस वक्त के अनुभवी और बेहद प्रशिक्षित लोगों ने तैयार किया था. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इसकी तेज रफ्तार ही त्रासदी की वजह बनी. जहाज बर्फ की चट्टान से टकराया. इसके बाद उसका अगला हिस्सा डूबने लगा. बचाव कार्य शुरू हुआ लेकिन राहत के सामान पर्याप्त नहीं थे. कहा जाता है कि दो-ढाई घंटे के भीतर पूरा जहाज डूब गया. यही वजह है कि आज इतने साल बीत जाने के बाद टाइटैनिक की त्रासदी लोग भूले नहीं हैं. आज भी वो त्रासदी लोगों को गमगीन कर देती है.
त्रासदी पर फिल्म भी बनी थी
टाइटैनिक त्रासदी इसलिए भी लोगों के जेहन में बसी हुई है क्योंकि 1997 में जाने माने डायरेक्टर जेम्स कैमरन ने उस पर फिल्म बनाई थी. जेम्स कैमरन वैसे भी 'एपिक' फिल्में बनाने के लिए मशहूर रहे हैं. फिल्म में लियोनार्डो डीकैप्रियो और केट विंसलेट ने मुख्य भूमिका निभाई थी. जिन्हें इस त्रासदी के दौरान ही प्यार हो जाता है. इस फिल्म के प्लॉट और डायरेक्शन ने जमकर कामयाबी दिलाई थी. फिल्म में इफेक्ट्स कमाल के थे. हिंदुस्तान में भी इस फिल्म को अच्छे खासे दर्शक मिले थे. उस साल के ऑस्कर अवॉर्ड्स में भी इस फिल्म की काफी धूम थी. फिल्म का 'माय हार्ट विल गो ऑन' गाना आज भी लोग गुनगुनाते हैं. जिसे सेलीन डियॉन ने गाया था.
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