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भारत ने तीन दिनों में एक और टेस्ट सीरीज जीतकर विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की अंक तालिका में खुद को आगे बढ़ा लिया।
भारत ने तीन दिनों में एक और टेस्ट सीरीज जीतकर विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की अंक तालिका में खुद को आगे बढ़ा लिया। भारत के अगले कुछ टेस्ट मैच घर से बाहर होने की संभावना है और दक्षिण अफ्रीका में सीरीज हारने के बाद यह समझ में आता है कि भारतीय टीम श्रीलंका के खिलाफ कोई मौका नहीं लेना चाहती थी और उन्होंने अपनी ताकत के अनुकूल पिच तैयार की। हालांकि इस दौरान बल्लेबाजों को देखने के लिए भीड़ आती है, लेकिन बल्लेबाज गेंदबाजों से परेशान होते रहे और बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रहे। प्रशंसक बड़े स्कोर ही देखने आते हैं।
चुनौतीपूर्ण पिचों पर एक बल्लेबाज को न केवल तकनीक और स्वभाव की जरूरत होती है, बल्कि भाग्य की भी जरूरत होती है। दूसरा सीमित ओवरों के तरीके से बल्लेबाजी करना है जहां बल्लेबाज नियमित रूप से अपनी पावरहिटिंग से गेंद को सीमा रेखा के पार पहुंचाता है या फिर मैदान में खुले में शाट खेलता है। रिषभ पंत और श्रेयस अय्यर ने यह पूरी तरह से किया और दिखाया कि थोड़ी हिम्मत और कुछ भाग्य के साथ रन बनाए जा सकते थे।
अगर पंत और अय्यर ने आकर्षक तरीके से स्कोर करने के लिए आधुनिक दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया, तो श्रीलंका के कप्तान दिमुथ करुणारत्ने ने अपनी तकनीक पर भरोसा किया और टेस्ट क्रिकेट में सबसे अच्छा शतक लगाया। हालांकि पिच पर टर्न ज्यादा भी नहीं हो रही थी फिर भी इससे निपटने के लिए काफी आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प की जरूरत थी और श्रीलंकाई कप्तान ने यह दिखाया भी। चौथी पारी में करुणारत्ने के शतक ने आइसीसी मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ को जटिल स्थिति से बचा लिया, जिन्हें अपने गृह नगर पिच की रिपोर्ट करनी पड़ती।
कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान में मेजबान और आस्ट्रेलिया के बीच पहले टेस्ट मैच की पिच ने रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया था और गेंदबाजों को निराशा हाथ लगी थी। दूसरा टेस्ट भी ज्यादा बेहतर नहीं था लेकिन पहली पारी में पाकिस्तान की बल्लेबाजी के अप्रत्याशित पतन से मैच खुला हो गया था। लगभग 400 रनों की बड़ी बढ़त होने के बावजूद आस्ट्रेलिया ने फालोआन नहीं खिलाया। संयोग से उस दिन वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ के बीच उस शानदार अविस्मरणीय साझेदारी की 21वीं वर्षगांठ थी, जिन्होंने भारत को तत्कालीन आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वा द्वारा फालोआन के लिए कहने के बाद पूरे दिन बल्लेबाजी की थी।
आखिरी दिन भारत ने आस्ट्रेलिया को चौथी पारी में ऐसी पिच पर आउट कर दिया, जिससे स्पिनरों को मदद मिलनी शुरू हो गई थी और हरभजन सिंह की गेंदों को खेलना मुश्किल हो रहा था। आस्ट्रेलियाई स्पष्ट रूप से यह नहीं भूले थे और ऐसी स्थिति में वे कैसे फालोआन दे सकते थे। यह देखकर भी खुशी हुई कि बीसीसीआइ और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) गुंडप्पा विश्वनाथ को नहीं भूले और उन्हें अपने प्रिय चिन्नास्वामी स्टेडियम में अपनी आत्मकथा का विमोचन करने का सम्मान दिया।
विश्वनाथ (विशी) का जिस गर्मजोशी से स्वागत हुआ, उसे देखना वास्तव में दिल को छू लेने वाला था और साथ ही वर्तमान भारतीय खिलाड़ी भी बायो-बबल में होने के बावजूद उनके पास गए और उन्हें शुभकामनाएं दी। विशी शायद उन गिने-चुने महान खिलाडि़यों में से हैं जिन्हें दुनिया भर में पसंद किया जाता है और उनका एक भी दुश्मन नहीं है। शायद एक छोटी सी अवधि थी जब वह भारतीय राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष थे, जब कर्नाटक के खिलाडि़यों के पक्ष में आम तौर पर चर्चा का दौर चल रहा था। लेकिन, जो लोग विशी को जानते थे वे यह भी जानते थे कि भारत जैसे विशाल देश में हमेशा ऐसे लोग होंगे जो पक्षपाती होने के कारण ईमानदार लोगों पर अंगुली उठाएंगे।
पिछले साल बीसीसीआइ और गुजरात क्रिकेट संघ ने भारतीय क्रिकेट के साथ जुड़ने के 50 साल पूरे करने पर मुझे सम्मानित किया था और इस बार केएससीए के साथ बीसीसीआइ ने नाजुक कोविड स्थिति के बावजूद एक टेस्ट मैच के बीच में चिन्नास्वामी स्टेडियम में अपने संस्मरणों के लांच की अनुमति देकर गुंडप्पा को सम्मानित किया। इन चीजों के लिए हमारी ओर से कोई भी धन्यवाद पर्याप्त नहीं होगा
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Ritisha Jaiswal
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