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सुनील गावस्कर का कालम: राजस्थान को हराकर प्लेआफ की रेस से बाहर करने के लिए गत चैंपियन मुंबई को अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाना होगा ताकि मुंबई की शीर्ष चार में जगह बनाने की हल्की सी उम्मीद जिंदा रह सके। रेगिस्तानी देश की उमस कहें या बायो बबल की थकान.. मुंबई अभी तक बेहद औसत नजर आई है और ये बात उसके खेल में भी साफ नजर आ रही है। टीम के बल्लेबाजों ने बाउंड्री लगाने के तुरंत बाद बेहद खराब शॉट खेलकर अपने विकेट गंवाए।
बल्लेबाजी की बहुत अच्छी गेंद की बजाय बल्लेबाज अपनी गलतियों की वजह से आउट हुए। कभी उनकी ताकत रहने वाली विकेटों के बीच की दौड़ भी काफी खराब नजर आ रही है और टीम तेजी से भागकर लिए जाने वाले बेशकीमती रनों को कुल स्कोर में जोड़ने में नाकाम रही। यहां तक कि फील्डिंग में भी बेवजह के थ्रो फेंके जा रहे हैं। वो भी तब जब रन का कोई मौका ही न हो। ऐसे में अगली गेंद फेंकने की तैयारी कर रहे गेंदबाज की योजना भी प्रभावित होती है। उसका ध्यान लक्ष्य से हट जाता है। क्या ये टीम जबरदस्त वापसी करेगी ये एक बड़ा सवाल है लेकिन चैंपियन टीम ऐसा करने के लिए जानी जाती है। मुंबई की टीम ने पहले भी ये दिखाया है कि मुश्किल हालात से कैसे निकला जाता है।
चेन्नई के बड़े स्कोर का पीछा राजस्थान ने शानदार अंदाज में किया। टीम ने आखिरकार शिवम दुबे को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जो पिछले साल तक भारत की टी-20 टीम का नियमित हिस्सा थे। शिवम कैसे अंतिम एकादश की दावेदारी से बाहर हो गए इसका जवाब तो राजस्थान का टीम प्रबंधन ही दे सकता है। लेकिन जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने जबरदस्त पारी खेलकर टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचा दिया। इस दौरान उन्होंने कप्तान संजू सैमसन से भी ज्यादा सुर्खियां बटोरीं जिससे पता चलता है कि उन्होंने कितना शानदार खेल दिखाया होगा। हार्दिक पांड्या जब कमर की चोट के चलते टीम इंडिया से बाहर थे तब शिवम उनके स्वाभाविक विकल्प नजर आ रहे थे।
हालांकि कभी शीर्ष क्रम और कभी निचले क्रम में बल्लेबाजी करने से उन्हें मदद नहीं मिली। ऐसा भी हुआ कि बल्लेबाजी के लिए शीर्ष क्रम में भेजे जाने पर उन्होंने अर्धशतक लगाया लेकिन अगले ही मैच में उन्हें वापस से निचले क्रम पर खिलाया गया। कोई भी युवा बल्लेबाज इससे सुरक्षित महसूस नहीं करता। इसके बाद उन्हें पारी में कुछ ओवर खेलने को मिलते जिसमें उन्हें हर गेंद पर बल्ला घुमाना ही होता। और इसी कोशिश में वो आउट हो जाते इसीलिए इसे असफलता भरे प्रदर्शन के तौर पर देखा जाता जबकि कोई भी इन ओवरों में मैच नहीं बदल सकता था।
वैसे, शिवम दुबे हमेशा अपना अगला पैर मिडविकेट की ओर मोड़कर खड़े होते थे। इस दौरान एक्रास द लाइन खेलने के चक्कर में वो आउट होते थे लेकिन चेन्नई के खिलाफ उन्होंने अपना अगला पैर थोड़ा बदला जिससे उनका बल्ला सीधा नीचे आया और गेंद से बल्ले का बेहतर संपर्क हुआ। शिवम मुंबई के हैं और अगर उन्होंने राजस्थान के लिए चेन्नई के खिलाफ वाली बल्लेबाजी ही इस मैच में की तो मुंबई की टीम का बोरिया बिस्तर बंधना तय हो सकता है।
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