क्रिकेट के दीवाने पर्सी अबेसेकरा 1982 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले टेस्ट के बाद से श्रीलंका के मैचों में लगातार मौजूद रहे हैं। यहां तक कि देश का सबसे खराब आर्थिक संकट भी उन्हें क्रिकेट से दूर नहीं रख सका है। प्यार से उन्हें 'अंकल पर्सी' कहा जाता है और वे अक्सर मैदान पर श्रीलंकाई खिलाड़ियों के साथ भी नजर आते हैं।
85 साल के हो चुके पर्सी अबेसेकरा के साथ एक नियमित विशेषता ये रही है कि श्रीलंका के क्रिकेट अधिकारियों द्वारा मैदान पर अभी भी हर मैच के बाद झंडा लेकर टीम के साथ जाने की अनुमति दी गई है। फिर चाहे टीम को जीत मिले या हार। वह अपनी नेशनल टीम के एक उत्साही समर्थक के रूप में मैदान पर जाते हैं। यहां तक कि न्यूजीलैंड के कप्तान रहते हुए मार्टिन क्रो ने अपना मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड भी उन्हें दिया था और वे ड्रेसिंग रूम में भी गए थे।
वह इस महीने की शुरुआत में गाले में थे, जब सैकड़ों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को हटाने की मांग करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट के दौरान प्राचीन किले की दीवारों पर चढ़ गए थे। मेजबान देश स्वतंत्रता के बाद से अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, क्योंकि विदेशी मुद्रा के बिना ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं खरीदना संभव नहीं है।
कोलंबो में एक उग्र भीड़ ने राष्ट्रपति को अपने घर से भागने के लिए मजबूर कर दिया और उसके कुछ दिनों बाद उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपने से पहले विदेश उड़ान भरी। इस पूरे प्रकरण को लेकर पर्सी अबेसेकरा ने कहा, "हमारी टीम का प्रदर्शन श्रीलंका में राजनेताओं के प्रदर्शन से बेहतर है। एक भी राजनेता इन क्रिकेटरों की बराबरी नहीं कर सकता। वे राजनेता नहीं हैं, वे पागल हैं। मुझे राजनीति से नफरत है।"
अबेसेकरा को दो बार श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने इस पद से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, "तीन चीजें हैं जो मुझे पूरी दुनिया में पसंद नहीं हैं, एक है राजनीति, दूसरी है क्रिकेट प्रशासन और तीसरी है जन्म नियंत्रण।" वेस्टइंडीज के गैरी सोबर्स और भारत के सचिन तेंदुलकर के नाम पर उनके बेटे के बच्चों के नाम गैरफील्ड और सचिनका रखा गया है।