खेल
इंग्लैंड - आस्ट्रेलिया को कोच के लिए रवि शास्त्री के नाम पर विचार करना चाहिए: गावस्कर
Bharti sahu
6 Feb 2022 2:15 PM GMT
x
राफेल नडाल ने जिस तरह दो सेट से पिछड़ते हुए आस्ट्रेलियन ओपन में सिंगल्स ट्राफी अपने नाम की,
राफेल नडाल ने जिस तरह दो सेट से पिछड़ते हुए आस्ट्रेलियन ओपन में सिंगल्स ट्राफी अपने नाम की, उसने खेल जगत में हलचल मचा दी और सभी खेल प्रशंसकों ने खड़े होकर उनकी इस उपलब्धि पर एक महान चैंपियन की सराहना की।
यह सोचने की बात है कि टूर्नामेंट शुरू होने से पहले नडाल इस बात से आश्वस्त नहीं थे कि वह इसमे शामिल हो भी पाएंगे या नहीं। लेकिन 35 वर्ष की उम्र में वह टेनिस कोर्ट में पाच घंटे से ज्यादा समय तक डटे रहे जो उनकी फिटनेस की दास्तां बताता है। इसमे कुछ अचंभा नहीं हुआ जब नडाल से उनके विरूद्ध खेल रहे डेनिल मेदवेदेव ने फाइनल मैच के बाद कहा कि आप थके नहीं। एक बात जो दिल को छू लेने वाली रही वो यह कि जीत के बाद उनका जश्न बड़ा ही सामान्य रहा। उन्होंने अपने चेहरे को हाथ से ढका और विजयी अंक हासिल करने के बाद हंसे और उस बाक्स की ओर गए जहां उनके कोच, पिता और सहायक स्टाफ बैठे थे। उन्होंने किसी तरह के अपशब्द का प्रयोग नहीं किया, ना ही आक्रामक हुए, सिर्फ हंसे।
महिलाओं में चैंपियन बनी एश्ले बार्टी का जश्न भी अच्छा था और वह पोडियम पर ट्राफी मिलने के समय अपनी विपक्षी खिलाड़ी के साथ काफी उदार थीं। एक और बेहतरीन तस्वीर देखने को मिली जब खुद लेजेंड रोड लावेर जिनके नाम पर मेलबर्न एरिना है, वह किसी आम टेनिस प्रशंसक की तरह अवार्ड सेरेमनी में अपने मोबाइल फोन से वीडियो और फोटो ले रहे थे। यह नम्रता और सरलता, गुण जो अक्सर टेलीविजन के आधुनिक युग में नहीं देखे जाते हैं।
एशेज सीरीज में हार के बाद इंग्लिश क्रिकेट में उथल-पुथल मची है और उसके प्रंबध निदेशक एश्ले जाइल्स, कोच क्रिस सिल्वरवुड और सहायक कोच ग्राहम थोरपे ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। हो सकते हैं महीना खत्म होने से पहले कुछ और इस्तीफे देखने को मिलें। इस बीच, आस्ट्रेलिया टीम के कोच जस्टिन लेंगर ने भी अपना पद छोड़ दिया है। उनका अनुबंध हालांकि जून में खत्म हो रहा था लेकिन क्रिकेट आस्ट्रेलिया के प्रमुख के साथ बैठक के बाद वह कोच पद से हट गए। पिछले साल भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में हार के बाद मीडिया में ऐसी खबरें आई थी कि उन पर इस हार का ठीकरा फोड़ा जा रहा है और उनकी शैली पर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि जो खिलाड़ी प्रदर्शन नहीं कर सके थे उन बातों को नजरअंदाज किया गया।
इस रिपोर्ट के सामने के आने के बाद लेंगर ने कहा था कि वह अपने शैली में बदलाव करेंगे। उन्होंने ऐसा किया या नहीं इससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन तथ्य यह है कि आस्ट्रेलिया ने पहली बार टी-20 विश्व कप जीता और फिर इंग्लैंड को अपनी सरजमीं पर एशेज में मात दी। ऐसे नतीजों के बाद कोई भी कोच का कार्यकाल बढ़ने की उम्मीद करता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ और लेंगर ने इस्तीफा दे दिया। खिलाड़ी की ताकत गलत बात नहीं है जहां वे सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और मार्गदर्शन के मामले में खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए खुद को श्रेष्ठ बनाना चाहते हैं। लेकिन जब वे यह तय करने लगें कि कोच कौन होगा तब वे खुद को राजनीति में ढकेल रहे हैं।
हम लोगों में से कितने लोग अपने स्कूल या कालेज के शिक्षकों को पसंद करते हैं। क्या हम प्रधान अध्यापक के पास जाकर उन्हें हटाने के लिए कहते हैं। लेंगर का इस्तीफा एक सिक्के के दो पहलू के समान है। एक तरफ जहां इंग्लिश कोच की नौकरी गलत चयन के कारण गई तो वहीं लेंगर को इसलिए अपना पद छोड़ना पड़ा क्योंकि वह खिलाड़ियों के साथ अधिक कठोर थे।
इंग्लैंड की टीम में वेस्टइंडीज दौरे के लिए अंतरिम कोच नियुक्त हो सकता है और अगर यह प्रक्रिया लंबी चली तो जुलाई के मध्य तक नए कोच की नियुक्ति हो सकती है। इसमे माहेला जयवर्द्धने का भी नाम आ सकता है। हालांकि, अगर मैं इंग्लैंड का अंतरिम प्रबंध निदेशक एंड्रयू स्ट्रास होता तो मैं रवि शास्त्री को भी दावेदार के रूप में देखता। शास्त्री ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय टीम के लिए बेहतरीन काम किया था लेकिन अजिंक्य रहाणे के साथ जब टीम 36 रन पर आलआउट हो गई थी और फिर टीम ने वापसी करते हुए जिस तरह आस्ट्रेलिया में सीरीज 2-1 से अपने नाम की और अविश्वनीय था। इन सबको देखते हुए स्ट्रास को शास्त्री को दावेदार बनाना चाहिए अगर वह उपलब्ध हैं तो। ना सिर्फ इंग्लैंड बल्कि आस्ट्रेलिया को भी शास्त्री पर विचार करना चाहिए।
इस बीच, आने वाले दिनों में आइपीएल के लिए बड़ी नीलामी होने वाली है और हमारे अंडर-19 के कुछ खिलाड़ी करोड़पति बन सकते हैं। हालांकि, अंडर-19 में अच्छा करने से आइपीएल या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता की गारंटी नहीं मिलती और यह वर्षो से देखने को मिला है। यहां मानक का अंतर बड़ा है। कई लोग ऐसे है जो अपनी लय से भटक जाते हैं और खेल को बरकरार नहीं रख पाते हैं। उचित बात यह होगी कि अनकैप्ड खिलाड़ियों के लिए एक करोड़ रुपये की सीमा तय की जाए ताकि उन्हें पता चले कि आगे जाने और अधिक कमाने के लिए उन्हें आगे बहुत मेहनत करनी होगी। आराम से रुपये मिलने के कारण कई होनहार प्रतिभाएं हम खो चुके हैं और प्रशासकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनकैप्ड खिलाड़ी साल दर साल बेहतर प्रदर्शन करने के लिए वैसे ही उत्सुक रहें जैसे अतीत में रहते हैं।
Tagsगावस्कर
Bharti sahu
Next Story