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नस्लवाद के बारे में अधिक नहीं सोचता था लेकिन बीएलएम अभियान ने उनके नजरिए को बदल दिया :टिम पेन

Bharti sahu
24 Dec 2020 1:16 PM GMT
नस्लवाद के बारे में अधिक नहीं सोचता था लेकिन बीएलएम अभियान ने उनके नजरिए को बदल दिया :टिम पेन
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ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट कप्तान टिम पेन ने कहा है कि ब्लैक लाइव्स मैटर अभियान से पहले वह चीजों की अनदेखी करते थे

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट कप्तान टिम पेन ने कहा है कि ब्लैक लाइव्स मैटर (बीएलएम) अभियान से पहले वह चीजों की अनदेखी करते थे जबकि उप-कप्तान पैट कमिंस ने अश्वेत लोगों के प्रति पीड़ादायक टिप्पणी करने की बात स्वीकार की है जिसका उन्हें अब खेद है। पेन ने कहा कि वह नस्लवाद की समस्या के बारे में अधिक नहीं सोचते थे क्योंकि इसका असर उन पर नहीं पड़ता था लेकिन बीएलएम अभियान ने उनके नजरिए को बदल दिया।

पेन ने कहा, 'ब्लैक लाइव्स मैटर अभियान के शुरू होने के बाद पिछले 12 महीने में मेरा नजरिया बदला।' उन्होंने कहा, 'अगर मैं पूरी ईमानदारी से कहूं तो मैं संभवत: वह व्यक्ति था जो चीजों की थोड़ी अनदेखी करता था और संभवत: यह मेरी दुनिया का हिस्सा नहीं था इसलिए मेरे लिए यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं था।' पेन ने कहा, 'इसने चीजों और हमारे मूल निवासियों, अश्चेत लोगों और दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों के लोगों को जिन चीजों का सामना करना पड़ रहा है उन मुद्दों को लेकर मेरी आंखें खोल दी।'

कमिंस से जब यह पूछा गया कि उन्होंने नस्लवाद से निपटने में युवाओं की मदद कैसे की तो उन्होंने कहा, 'आप जो भी कह रहे हो या कर रहे हो उसे करने से पहले कुछ सेकेंड और सोचो। आप चुटकुला सुनाने का प्रयास करते हो और मैं अतीत में ऐसा कर चुका हूं।' इस तेज गेंदबाज ने कहा, 'आप कोई टिप्पणी करते हो और इसके बाद सुनिश्चित करते हो कि आप असल में इस पर गौर करें। मैं इस पर विश्वास नहीं करता था, मुझे नहीं पता था कि मैंने ऐसा क्यों कहा और मुझे नफरत है कि मेरी वजह से उस व्यक्ति ने कैसा महसूस किया।'

पेन ने कहा कि उन्होंने टीम के अपने साथियों से उनके अनुभव के बारे में बात की और इससे उन्हें चीजों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली। उन्होंने कहा, 'लेकिन इस अभियान के बाद मैंने समय निकालकर टीम के अपने साथियों से बात की-- क्या तस्मानिया या हरिकेंस या क्लब क्रिकेट में ऐसा होता है?-- वे इसके बारे में क्या महसूस करते हैं और इसका उन पर क्या असर पड़ता है।' पेन ने कहा, 'मैंने टीम के अपने साथियों से बात करके सीख, मैंने अधिक बेहतर समझा कि इसका उन पर क्या असर पड़ता है और मैं इसमें उनकी कैसे मदद कर सकता हूं।' कमिंस ने कहा कि 'डार्क इमू' नाम की किताब पढ़ने के बाद नस्लवाद और देशज संस्कृति को लेकर उन्हें नया नजरिया मिला।


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