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धोनी के स्टार प्लेयर ने मचाया बवाल कहा- हम पर जानवरों की तरह बोली लगाई गई

Subhi
22 Feb 2022 2:28 AM GMT
धोनी के स्टार प्लेयर ने मचाया बवाल कहा- हम पर जानवरों की तरह बोली लगाई गई
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IPL मेगा ऑक्शन के बाद से ही महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीम चेन्नई सुपर किंग्स का एक खिलाड़ी बेहद गुस्से में है. इस स्टार प्लेयर ने अपने एक बयान से बवाल मचा दिया है.

IPL मेगा ऑक्शन के बाद से ही महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीम चेन्नई सुपर किंग्स का एक खिलाड़ी बेहद गुस्से में है. इस स्टार प्लेयर ने अपने एक बयान से बवाल मचा दिया है. IPL Auction से नाराज इस खिलाड़ी ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा है कि IPL की नीलामी को देखकर ऐसा लगता है कि खिलाड़ी जानवर की तरह हैं, जिन पर बोली लगाई जा रही है. यह सुखद एहसास नहीं है. किस खिलाड़ी को आप कितने रूपए में बेचेंगे ये बात बेहद गलत है.

धोनी के स्टार प्लेयर ने मचाया बवाल

IPL में महेंद्र सिंह धोनी के साथी खिलाड़ी और चेन्नई सुपर किंग्स के बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा ने आईपीएल 2022 ऑक्शन को लेकर बड़ा बयान दिया है. रॉबिन उथप्पा ने कहा, 'आईपीएल ऑक्शन एक परीक्षा की तरह लगता है, जिसे आपने बहुत पहले लिखा है और अब नतीजे का इंतजार कर रहे. ईमानदारी से कहूं तो नीलामी को देखकर ऐसा लगता है कि खिलाड़ी जानवर की तरह हैं, जिन पर बोली लगाई जा रही है. यह सुखद एहसास नहीं है. प्रदर्शन के आधार पर किसी खिलाड़ी के बारे में राय बनाना एक बात है, लेकिन आप कितने रूपए में बेचे गए, इस पर कुछ कहना बिल्कुल अलग.'

'हम पर जानवरों की तरह बोली लगाई गई'

रॉबिन उथप्पा को हाल ही में आईपीएल 2022 ऑक्शन में चेन्नई सुपरकिंग्स ने दो करोड़ रुपये की बेस प्राइस पर अपने साथ जोड़ा था. रॉबिन उथप्पा ने माना कि वह और उनका परिवार यह उम्मीद कर रहे थे कि वे दोबारा चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा बन जाएं. रॉबिन उथप्पा ने न्यूज 9 से कहा, 'चेन्नई सुपर किंग्स जैसी टीम के लिए खेलने की मेरी इच्छा थी. मेरी बस यह प्रार्थना थी कि फिर से सीएसके में शामिल हो जाऊं. मेरा परिवार, यहां तक कि मेरे बेटे ने भी इसके लिए प्रार्थना की. मैं ऐसी जगह जाकर खुश हूं, जहां सुरक्षा और सम्मान महसूस होता है.'

रॉबिन उथप्पा ने 2006 से 2015 के बीच भारत के लिए 46 वनडे और 13 टी20 मुकाबले खेले. उन्होंने आईपीएल में ऑक्शन के बजाए ड्राफ्ट पॉलिसी की वकालत की. उन्होंने कहा, 'आप सोच भी नहीं सकते कि जो खिलाड़ी बिकते नहीं हैं, उन पर क्या बीत रही होती है. यह जानवरों जैसा ट्रीटमेंट है. यह अच्छी फीलिंग नहीं होती. उन खिलाड़ियों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं, जो नीलामी में लंबे समय तक रहे. लेकिन उन्हें किसी टीम ने नहीं खरीदा. कई बार इससे काफी निराशा होती है. अचानक एक क्रिकेटर के रूप में आपकी अहमियत यह हो जाती है कि कोई आप पर कितना खर्च करने को तैयार है, और यह इतना बेतरतीब है.'


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