Death Anniversary: हॉकी के महान खिलाड़ी ध्यान चंद का आज है पुण्यतिथि... जानिए इस 'जादूगर' की कुछ खास बातें
1- ध्यान चंद महज 16 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे. जिसके बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था. ध्यान चंद देर रात तक प्रैक्टिस किया करते थे और यही वजह है कि दोस्तों ने उनका नाम चांद रख दिया था.
2- भारतीय हॉकी टीम ने 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक के स्वर्ण पदक जीते है और तीनों ही बार ध्यान चंद ने भारत का प्रतिनिधित्व किया.
3- 1928 में हुए ओलंपिक खेलों में ध्यान चंद (Major Dhyanchand) ने 14 गोल किए थे. उस टूर्नामेंट में वह सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी थे. इसके बाद एम्सटर्डम के एक समाचार पत्र ने उन्हें हॉकी का जादूगर कहा था.
4- ध्यान चंद को 1933 में कलकत्ता कस्टम्स और झांसी हीरोज के बीच खेला गया बिगटन क्लब फाइनल खेल सबसे ज्यादा पसंद आया था.
5- साल 1935 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा किया था. यहां ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) ने 48 मैच खेले और 201 गोल किए.
6- सर डॉन ब्रेडमैन ने 1935 में ध्यान चंद से मुलाकात की थी. क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज डॉन ब्रेडमैन भी उनके कायल हो गए. उन्होंने कहा, ध्यान चंद हॉकी में ऐसे गोल करते हैं, जैसे हम क्रिकेट में रन बनाते हैं.
7- बर्लिन ओलंपिक में भारत और जर्मनी के बीच फाइनल मुकाबला था.मुकाबले के दूसरे
हाफ में ध्यान चंद (Major Dhyanchand) ने जूते निकालकर नंगे पांव हॉकी खेली और जर्मनी को 8-1 से रौंद दिया.
8- भारत को बर्लिन ओलंपिक में भी गोल्ड मिला और ध्यान चंद के प्रदर्शन ने हिटलर को उनका फैन बना दिया. हिटलर ने ध्यान चंद को खाने पर बुलाया और उन्हें जर्मनी से खेलने के लिए कहा साथ ही उन्हें कर्नल बनाने का लालच भी दिया गया लेकिन ध्यान चंद ने हिंदुस्तान को ही चुना.
9- दुनिया के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक मेजर ध्यान चंद ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी में 400 गोल दागे हैं.
10- ध्यान चंद (Major Dhyanchand) के रिकॉर्ड्स इतने गजब हैं लेकिन इसके बावजूद आज तक इस महान खिलाड़ी को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया गया है. हर साल खेल जगत स्पोर्ट्स डे के दिन उन्हें भारत रत्न देने की मांग करता है लेकिन अबतक इस मांग की अनदेखी ही की जा रही है