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कमजोर बताकर कोच ने नहीं दी ट्रेनिंग, अब ओलिंपिक में इतिहास रचने को तैयार प्रणति नायक

Khushboo Dhruw
9 May 2021 6:34 PM GMT
कमजोर बताकर कोच ने नहीं दी ट्रेनिंग, अब ओलिंपिक में इतिहास रचने को तैयार प्रणति नायक
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प्रणति नायक कोरोना महामारी के कारण मई के अंतिम सप्ताह में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप को रद्द कर दिया गया है

इस साल टोक्यो ओलिंपिक में भारत की ओर से केवल एक ही जिमनास्ट हिस्सा लेने वाली हैं जो हैं प्रणति नायक (Pranati Nayak). कोरोना महामारी के कारण मई के अंतिम सप्ताह में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप को रद्द कर दिया गया है. जिसके बाद पिछले परिणामों को देखते हुए प्रणति को ओलिंपिक कोटा मिला है.

प्रणति आज सुर्खियों में हैं लेकिन ऐसा समय था जब उनके पिता के सिवा किसी ने उनकी प्रतिभा पर भरोसा नहीं किया था. प्रणति के पिता बस ड्राइवर हैं जिनकी तीन बेटियां हैं. तीन बेटियों का जन्म हुआ तो पिता को बेटे न होने की थोड़ी निराशा थी लेकिन धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि प्रणति हटकर हैं और उनके लिए बेटे से कम नहीं है.
आठ साल की उम्र में प्रणति के पिता उन्हें कोलकाता के जिमनास्टिक्स स्पोर्ट्स क्लब लेकर गए. वह जानते थे कि खेल में आगे बढ़ने के लिए जिस ट्रेनिंग, डाइट की जरूरत है वह उन्हें घर पर रहकर नहीं मिल सकती. उनके इस सपने को झटका लगा जब कोच ने यह कहकर उन्हें वापस लौटा दिया कि प्रणति बहुत पतली है और उनका इस खेल में कुछ नहीं हो सकता. प्रणति के पिता का दिल टूट गया और वह सड़क पर बैठकर रोने लगे उन्हें लग रहा था कि वह अपनी बेटी के लिए कुछ नहीं कर पाए.
रोते हुए सुमंत नायक को देखते हुए क्लब के एक शख्स ने उन्हें सलाह दी कि वह क्लब की अध्यक्ष मिस सुष्मिता से जाकर मिले. सुष्मिता ने कोच महिरा बेगम से बात की जिन्होंने प्रणति की पूरी जिम्मेदारी उठा ली. जब तक प्रणति को होस्टल में जगह नहीं मिली वह रोज 100 किमी को सफर करके ट्रेनिंग करने आती थीं.
बेगम ने न केवल प्रणति के सपनों में पंख लगाए बल्कि कोलकाता में उनकी सभी आर्थिक जरूरतों का भी ख्याल रखा. पैसा न होने के कारण प्रणति का सपना पूरा करने में कई बार परिवार को परेशानी आई लेकिन बेगम ने हमेशा उनका साथ दिया. बेगम ने प्रणति के रहने से लेकर खाने तक सभी खर्चों का ध्यान रखा. लगातार शानदार प्रदर्शन करने पर प्रणति को इंडियन रेलवे में नौकरी मिली, और उन्होंने वहां काम करना शुरू किया.
उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2019 में जब उन्हें नेशनल्स जीतने पर 12 लाख रुपए मिले तो उन्होंने अपने पिता के लिए मिडनापूर में घर बनावाया और बड़ी बहन की शादी की जिम्मेदारियां उठाई. 2019 एशियाई कलात्मक जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीतकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पहचान बनाई. प्रणति का लक्ष्य फिलहाल ओलिंपिक नहीं था वह कॉमनवेल्थ गेम्स पर ध्यान दे रही थी लेकिन इस मौके ने उनके आत्मविश्वास को काफी बढ़ा दिया है.


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