खेल
टीम संयोजन को लेकर बल्लेबाजी कोच का बड़ा बयान, कहा- पंत-पुजारा दोनों की जरूरत
Apurva Srivastav
5 Jun 2021 6:32 PM GMT
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भारतीय क्रिकेट टीम इस समय दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में गिनी जाती है
भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) इस समय दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में गिनी जाती है. टीम की बल्लेबाजी काफी मजबूत है. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर विराट कोहली (Virat Kohli) जैसा बल्लेबाज न होने पर भी बाकी बल्लेबाजों ने दमदार प्रदर्शन किया. युवा शुभमन गिल (Shubman Gill) हों, ऋषभ पंत (Rishabh Pant) हों या अनुभवी चेतेश्वर पुजारा. सभी ने अपना बेहतरीन योगदान दिया था. पंत ने अपनी परिपक्वता दिखाई थी और पुजारा ने अपना अनुभव. सभी को अपनी जिम्मेदारी का एहसास है और इसका कई हद तक श्रेय टीम के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ (Vikram Rathour) को जाता है. हाल ही में एक इंटरव्यू में विक्रम ने बताया है कि उन्होंने किस तरह बल्लेबाजों की मानसिकता पर काम किया.
विक्रम सितंबर 2019 में बतौर बल्लेबाजी कोच टीम के साथ जुड़े थे. उन्होंने संजय बांगर का स्थान लिया था जो 2014 से इस पद पर काबिज थे. विक्रम ने बताया है कि वह टीम के अंदर ग्रुप डिस्कशन की संस्कृति लेकर आए हैं और साथ ही वन-ऑन-वन डिस्कशन भी.
हर बल्लेबाज की अलग मानसिकता
टीम के बल्लेबाजी कोच ने कहा है कि हर खिलाड़ी की अलग मानसिकता होती है, लेकिन जरूरी है कि इसे समझा जाए और हर खिलाड़ी की समस्या का उसके तरीके से ही समाधान निकाला जाए. राठौर ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, "चाहे पुजारा हों या पंत हर किसी की मानसिकता अलग है, उनके काम करने के तरीके अलग हैं. उनको समझने के लिए, उनकी मानसिकता को समझने के लिए मेरे पास उनकी बात सुनना ही एक तरीका है."
पंत-पुजारा दोनों की जरूरत
विक्रम ने पुजारा और पंत का उदाहरण देते हुए बताया कि यह दोनों किस तरह से अलग हैं. दोनों की सोच अलग है और दोनों अलग तरह की बल्लेबाजी करते हुए लेकिन दोनों का लक्ष्य टीम को जीत दिलाना है. उन्होंने कहा, "अब हर टीम के पास 11 के 11 पुजारा या पंत नहीं हो सकते सही है? एक विजयी संयोजन बनाने के लिए दोनों खिलाड़ियों की जरूरत है. तो एक कोच के नजरिए से क्या करना चाहिए. यह जरूरी है कि जो जिस तरह का है उसे वैसा ही रहने दिया जाए."
उन्होंने साथ ही माना कि उनके लिए एक कोच के तौर पर चुनौती किसी भी बल्लेबाज के अंदर एक-दो चीज शामिल करना रही हैं. उदाहरण के तौर पर पुजारा के तरकश में एक या दो शॉट्स जोड़ना, वहीं पंत को उनके शॉट्स खेलने से पहले क्रिज पर बने रहने की आदत डालना.
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