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नई दिल्ली: न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घर में और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम को मिली हार ने चयनकर्ताओं, मुख़्य कोच गौतम गंभीर के नेतृत्व वाले थिंक टैंक और बीसीसीआई को इस कदर हिला दिया है कि उनके सामने ऐसे सवाल खड़े गए हैं कि जिन पर वे मार्च में ख़त्म होने वाली 2025 चैंपियंस ट्रॉफ़ी के बाद विचार कर सकते है।
ईएसपीएनक्रिकइंफो को पता चला है कि चयनकर्ता और गंभीर 11 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया दौरे के रिव्यू के लिए मिलेंगे, लेकिन, भविष्य का सवाल हमेशा प्रमुखता से रहेगा और इसमें तत्काल भविष्य भी शामिल होगा जिसमें सवाल होगा कि भारत की वनडे टीम के लिए रीसेट बटन कब सक्रिय होगा? जो उन्हें भारतीय क्रिकेट के दो सबसे बड़े खिलाड़ियों विराट कोहली और टेस्ट, वनडे कप्तान रोहित शर्मा के बारे में बातचीत करने पर मजबूर करेगा।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी से पहले वनडे टीम में कोहली और रोहित का न होना भी अपमान की बात होती। वे 2023 वनडे विश्व कप में भारत के फ़ाइनल तक पहुंचने में शीर्ष रन बनाने वालों में थे और पिछले साल जून में हुए टी20 विश्व कप में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी जहां पर रोहित और कोच राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में उन्होंने आक्रामकता का रूख अपनाया था।
तब से दोनों ही बल्लेबाज़ संघर्ष करते दिखे हैं। रोहित ने यह भी स्वीकार किया है कि न्यूज़ीलैंड से भारत को मिली 0-3 की शिकस्त में उन्होंने कप्तानी में ग़लतियां की है। हालांकि, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में उनकी लंबे समय से चली आ रही बल्लेबाज़ी विफलता और उनकी उम्र (रोहित 37 वर्ष के हैं, कोहली 36 वर्ष के हैं) ने उन्हें अब सवालों के घेरे में ला दिया है।
भारतीय क्रिकेट में निर्णयकर्ताओं के सामने ये प्रश्न होंगे : क्या उन्हें उसी प्रारूप के साथ इस चक्र को समाप्त करना चाहिए, जिसने उन्हें 2023 वनडे विश्व कप के फ़ाइनल तक पहुंचाया था या उन्हें हाल की घटनाओं को ध्यान में रखना चाहिए और चैंपियंस ट्रॉफ़ी से ही एक नई शुरुआत करनी चाहिए?
जब गंभीर ने अगस्त में कोच का पद संभाला था तो श्रीलंका में वनडे सीरीज़ के लिए उनके पहले कार्य से पहले उनसे पूछा गया था कि उनकी नज़र में रोहित और कोहली में कितना क्रिकेट बचा है। उन्होंने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया दौरे और साथ ही चैंपियंस ट्रॉफ़ी के लिए दोनों खिलाड़ी प्रेरित हैं। उन्होंने यहां तक उम्मीद जताई कि अगर वे फ़िट रहे तो वे 2027 वनडे विश्व कप खेल सकते हैं और इस बात पर जोर दिया कि वे दोनों टीम में जगह बनाने के हक़दार हैं क्योंकि वे अभी भी जीत में योगदान दे सकते हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलिया से मिली 1-3 की हार में कोहली की औसत 23.75 और रोहित की औसत 6.2 की रही, तो गंभीर ने कहा कि उनके भविष्य का फ़ैसला वहीं दोनों करेंगे।
टेस्ट क्रिकेट में उनके भविष्य को लेकर नए सिरे से बातचीत होगी, लेकिन पिछले साल अजित अगरकर की अगुआई वाली चयन समिति द्वारा तैयार किए गए रोडमैप में रोहित और कोहली 2025 चैंपियंस ट्रॉफ़ी की योजना का हिस्सा थे। दोनों भारत के शीर्ष तीन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिसमें शुभमन गिल भी शामिल हैं, जिन्होंने 2023 वनडे विश्व कप में रोहित के साथ सफल ओपनिंग साझेदारी की थी। हालांकि, भारतीय थिंक टैंक के कुछ लोगों के अनुसार, टेस्ट और टी20 क्रिकेट में यशस्वी जायसवाल की शानदार सफलता उन्हें वनडे में भी एक नियमित शीर्ष क्रम का बल्लेबाज़ बनाती है। उनका मानना है कि वनडे में अनकैप्ड जायसवाल बाएं हाथ का विकल्प प्रदान करते हैं और गिल की तरह सभी प्रारूपों के खिलाड़ी के रूप में विकसित हो सकते हैं।
लेकिन अगर जायसवाल को वनडे टीम में तीसरे ओपनर के तौर पर शामिल भी किया जाए तो वह टीम में किसकी जगह लेंगे? रोहित-गिल की ओपनिंग साझेदारी बेहद सफल रही हे जहां पर कम से कम 25 पारियां खेलने वाली ओपनिंग जोड़ियों में उनकी सबसे बेहतरीन 72.16 की औसत है। रोहित सितंबर से टेस्ट क्रिकेट में संघर्ष कर रहे हैं लेकिन वह अगस्त में हुई श्रीलंका के ख़िलाफ़ वनडे सीरीज़ में सबसे अधिक रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज़ थे, जहां पर उन्होंने मुश्किल पिचों पर 58, 64 और 35 रनों की पारी खेली थी। कोहली ने तब वहां पर 24, 14 और 20 रन बनाए थे, लेकिन वनडे उनका सर्वश्रेष्ठ प्रारूप है। उनके बिना भारत का बल्लेबाज़ी क्रम अनुभवहीन लगता है।
ज़ल्दबाज़ी में कोई फै़सला लेने के बजाय, चयनकर्ता और गंभीर 2024 टी20 विश्व कप से पहले अपनाए गए रास्ते पर चल सकते हैं, जब इस बात पर उत्सुकता थी कि कोहली प्लेइंग इलेवन में फ़िट होंगे या नहीं। रोहित, द्रविड़ और चयनकर्ताओं सहित निर्णय लेने वालों ने इस बात पर सहमति जताई कि बड़े टूर्नामेंटों में उनका अनुभव महत्वपूर्ण था। समझा जाता है कि उन्होंने कोहली से इस बारे में बात की थी कि वह टी20 क्रिकेट में भारत की बल्लेबाज़ी के तरीके़ को समझें।
बीसीसीआई वनडे और टेस्ट क्रिकेट में कोहली और रोहित के भविष्य को तय करने के लिए बातचीत की इसी तरह की प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकता है। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि गंभीर और अगरकर के पास स्पष्ट दृष्टिकोण हो और वे दोनों खिलाड़ियों के साथ बैठने से पहले एक ही निर्णय पर हों। जब तक उन्हें नहीं लगता कि कोहली और रोहित की प्रेरणा का स्तर डगमगा रहा है, तब तक चैंपियंस ट्रॉफ़ी से पहले उनमें से किसी एक को बाहर करना एक साहसी फै़सला होगा।
यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब भारत को चैंपियंस ट्रॉफ़ी के बाद ही ख़ोजना होगा, उससे पहले नहीं। रोहित ने कोहली की जगह सभी प्रारूप कप्तान बनने के बाद से भारत द्वारा खेले जाने वाले क्रिकेट के ब्रांड को आकार दिया है। उन्होंने चयनकर्ताओं के साथ मिलकर उन खिलाड़ियों की पहचान करने और उन्हें विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है जिनके बारे में उन्हें लगता था कि वे परिणाम दे सकते हैं।
चयनकर्ताओं ने गिल को एक उभरते हुए नेतृत्वकर्ता के रूप में चुना था और उन्हें पिछले अगस्त में श्रीलंका दौरे पर गई वनडे और टी20 टीम का उप-कप्तान नियुक्त किया था। भारतीय ड्रेसिंग रूम से प्राप्त फ़ीडबैक के आधार पर, अगरकर ने कहा कि गिल ने "अच्छे नेतृत्व गुण" दिखाए हैं और उनमें आगे बढ़ने की क्षमता है।
हालांकि, गिल का ऑस्ट्रेलिया दौरा भी ख़राब रहा था, जहां विदेशी टेस्ट मैचों में उनके रन बनाने को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण उन्हें मेलबर्न में चौथे टेस्ट के लिए टीम से बाहर कर दिया गया था। हो सकता है कि अभी पदोन्नति के लिए सही समय न हो।
भारत के चयनकर्ता और गंभीर ऐसे खिलाड़ियों को चुनने के इच्छुक हैं जिनके पास एक से अधिक कौशल हैं, लेकिन वे वनडे और टी20 वास्तविक ऑलराउंडर के रूप में योग्य नहीं हो सकते हैं। पिछले अगस्त में श्रीलंका में, भारत ने अक्षर पटेल, वाॅशिंगटन सुंदर, रियान पराग और शिवम दुबे को खिलाया था। पार्ट-टाइम ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी करने वाले तिलक वर्मा को भी 2023 विश्व कप के बाद वनडे टीम में शामिल किया गया था।
20 से कम की उम्र के तिलक और पराग को उनके आक्रामक रवैये, मध्य क्रम में फ़्लोटर की भूमिका निभाने की क्षमता, उनकी चुस्त फ़ील्डिंग और स्पिन गेंदबाज़ी करने की क्षमता के कारण चयनकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है। वे श्रेयस अय्यर जैसे विशेषज्ञ बल्लेबाज़ों के साथ एक स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे, जिन्होंने केएल राहुल के साथ 2023 वनडे विश्व कप के दौरान मध्य क्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस बात पर बहस होना तय है कि मध्य क्रम में कौन खेल सकता है और साथ ही एकादश को संतुलित करने के लिए गेंदबाज़ी विकल्प भी प्रदान कर सकता है।
भारतीय क्रिकेट एक दोराहे पर खड़ा है। एक विचारधारा यह है कि थोड़े समय के लिए आजमाए हुए और परखे हुए रास्ते पर ही चलना चाहिए। दूसरी विचारधारा यह है कि तुरंत ही नया रास्ता तैयार कर लेना चाहिए, क्योंकि 2023 का वनडे विश्व कप 14 महीने पहले था और अगले 2027 के वनडे विश्व कप के लिए खिलाड़ियों को तैयार करने और आगे की योजना बनाने की ज़रूरत है। सवाल यह है कि 2025 चैंपियंस ट्रॉफ़ी से पहले यह प्रक्रिया अगर होगी भी तो किस हद तक शुरू होगी।
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