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- रवि और पंचक योग में आज...
अनंत चतुर्दशी भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के मध्य व्यापिनी चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस बार रवि और पंचक योग में शुक्रवार को भगवान अनंत देव की पूजा होगी। खास यह भी दिनभर पंचक योग का प्रभाव रहेगा। इसे काफी शुभफलदायक दायक माना जा रहा है।
ज्योतिष के जानकार पं. मोहन कुमार दत्त मिश्र निर्णय सिंधु के हवाले से बताते हैं कि इस दिन श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करने से भक्तों को अनंत फल की प्राप्ति होती है। यानि इस फल का कभी अंत नहीं होता। कई जन्मों तक भक्तों को इसका लाभ मिलता है। बांह में बांधा जाने वाला अनंतसूत्र संकटों से रक्षा करते हैं।
अनंत चतुर्दशी का महत्व :
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है। इस दिन पूजा के बाद 14 धागे में गांठें बनाकर बाजू पर बांधा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को यदि 14 वर्षों तक किया जाए तो व्रती को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। भगवान सत्यनारायण की तरह ही अनंत देव भी भगवान विष्णु को ही कहते हैं। इसलिए अनंत चतुर्दशी के दिन सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा का पाठ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि व्रत रखने के साथ यदि जातक श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पांडवों को मिली थी कष्टों से मुक्ति
सोहसराय हनुमान मंदिर के पुजारी पं. सुरेन्द्र कुमार दत्त कहते हैं कि जुए में पांडव राज-पाट हार कर जब जंगल में भटक रहे थे और कई प्रकार के कष्टों को झेल रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी। उसी व्रत के प्रभाव से पांडव सभी कष्टों से मुक्त हुए। महाभारत के युद्ध में उन्हें विजयी की भी प्राप्ति हुई थी।
पूजा का शुभ मुहूर्त :
प्रात:काल 6.10 से 11.35 तक