जनता से रिश्ता वेबडेस्क| राष्ट्रीय स्तर के जूनियर कंपटीशनों में ओवर एज एथलीटों को खिलाने की समस्या से जूझ रही एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अब अपने राज्य संघों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है। एएफआई ने फैसला लिया है कि एक कैलेंडर वर्ष में किसी भी राज्य के तीन से अधिक एथलीट ओवर एज पाए जाते हैं तो उस राज्य के सचिव को छह माह के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
बीते वर्ष आधिकारिक तौर पर कुल 109 एथलीट ओवर एज पाए गए हैं, जबकि 193 एथलीट मेडिकल और एक्सरे देने ही नहीं आए। इनमें सबसे खराब रिकार्ड उत्तर प्रदेश का है। यूपी के कुल 90 एथलीट या तो ओवर एज पाए गए हैं या फिर मेडकिल, एक्सरे देने के लिए नहीं आए।
अगले वर्ष से लागू होगा फैसला
एएफआई की सालाना आम सभा की बैठक में फैसला लिया गया है कि ओवर एज एथलीटों को जूनियर कंपटीशनों में खिलाने से रोकने की जिम्मेदारी अब राज्य संघों की होगी। नियमों के अनुसार फेडरेशन ओवर एज एथलीटों पर तो कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है, लेकिन ऐसे एथलीटों को खिलाने वाले राज्य संघों को जरूर नापेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य संघों के सचिवों को छह माह के लिए प्रतिबंधित करने का फैसला लिया गया है।
यूपी में ओवर एज के सबसे अधिक मामले
एएफआई के एक वरिष्ठ ऑफिशियल के अनुसार यह फैसला इसी साल से लागू करना था, लेकिन कोरोना को ध्यान में रखते हुए इसे अगले कैलेंडर वर्ष से लागू किया जाएगा। प्रतिबंधित होने की स्थिति में राज्य सचिव संघ की किसी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकेगा। राज्य संघों को जूनियर कंपटीशन में खिलाने के लिए एथलीटों का टेस्ट कराकर खुद आना होगा। उसे खुद सुनिश्चित करना होगा कि एथलीट ओवर एज नहीं होना चाहिए। हालांकि कंपटीशन के दौरान ओवर एज के खिलाफ फेडरेशन की ओर से किए जाने वाले टेस्ट जारी रहेंगे। 2019-20 में कुल 109 ओवर एज एथलीटों में राजस्थान के 18, यूपी के 17, हरियाणा के 14 दिल्ली के आठ एथलीट शामिल हैं। मेडिकल से भागने वाले 129 एथलीटों में 53 यूपी के हैं, जबकि एक्सरे नहीं देने वाले 64 एथलीटों में से 20 यूपी के हैं।