विज्ञान

ऑक्टोपस छूकर भी ले सकते हैं चीजों का स्वाद, जानिए इससे जूड़े रोचक तथ्य

Tara Tandi
31 Oct 2020 3:25 PM GMT
ऑक्टोपस छूकर भी ले सकते हैं चीजों का स्वाद, जानिए इससे जूड़े रोचक तथ्य
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समुद्री दुनिया (Marine Wrold) में जीवों (Organisms) की जितनी विविधता है उतनी धरती (Land) पर नहीं है. इसी लिए यहां के जीवों में कई बार हैरान करने वाली विशेषताएं भी दिख जाती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| समुद्री दुनिया में जीवों की जितनी विविधता है उतनी धरती (Land) पर नहीं है. इसी लिए यहां के जीवों में कई बार हैरान करने वाली विशेषताएं भी दिख जाती है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ऑक्टोपस (Octopuses) जैसे जीव छूकर (touch)भी स्वाद (Taste) का अहसास ले सकते हैं. इस अध्ययन में Research, scienceने अणुओं (Molecular) के स्तर पर इस प्रक्रिया का खुलासा किया है.



हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि कैसे ऑक्टोपस

(Octopus) केवल अपने शिकार (Prey) को छूकर (touch) ही उनका स्वाद ले लेते हैं. उनके सक्शन कप्स में कोशिकाओं की पहली परत के स्पर्श तंतुओं (Tentacles) में सेंसर (Sensors)होते हैं जो उन अणुओं की पहचान कर लेते हैं जो पानी में अच्छे से नहीं घुल पाते.



ऑक्टोपस (Octopus) के इन खास तरह के सेंसर्स (Sensors) में एक तरह के केमोटाक्टाइल रिस्प्टर्स (chemotactile receptors) होते हैं. इन रिसेप्टर्स का काम यह पहचान करना है कि जिस वस्तु को स्पर्श तंतुओं (Tentalces) द्वारा छुआ जा रहा है वे शिकार हैं या नहीं. जीव को छूने के बाद ऑक्टोपस के नर्वस सिस्टम में एक संदेश जाता है. इस संदेश से ऑक्टोपस को पता चलता है कि क्या उस शिकार को मारना है फिर आगे देखना है.

समुद्र में हर तरह का जीव ऑक्टोपस (Octopus) के खाने के योग्य नहीं होता है. ऑक्टोपस के रिसेप्टर्स (Receptors) यह भी पहचान करते हैं कि क्या उनका शिकार जहरीला (Toxic Prey) है या नहीं. अगर शिकार जहरीला हुआ तो उसे पहचान कर ऑक्टोपस उसे नहीं खाता है. समुद्री जीव प्रायः टर्पेनॉइड्स नाम का रसायन निकालते हैं जिससे वे अपना बचाव करते हैं. इस रसायन को केमोटैक्टाइल रिसेप्टर (chemotactile receptor) पहचान लेता है.


इस बात पुष्ट प्रमाण हैं कि ऑक्टोपस (Octopus) के सक्शन कप्स के लिए भोजन की तलाश (Food Search) में खासे मददगार होते हैं, लेकिन यह पहली बार है कि शोधकर्ताओं ने इनके भोजन की पहचान करने वाले सिस्टम की प्रक्रिया का इतने विस्तार से अध्ययन किया है.


इस अध्ययन के प्रमुख लेखक निकोलस बेलोनो का कहना है कि उनकी पड़ताल बहुत अहम है क्योंकि यह दिखाती है कि ऑक्टोपस (Octopus) अपने जटिल बर्ताव के कई तरह के संकेत (Signals) पैदा कर सकता है. एक अन्य शोधकर्ता का कहना है कि अब शोधकर्ता उन संकेतों का अध्ययन कर सकते हैं जो जानवरों के लिए अहम होते हैं और यह भी कि व कैसे ये संकेत बनाते हैं.




इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ऑक्टोपस (Octopus) से रिसेप्टर्स (Receptors) को अलग कर उन्हें क्लोन (Clone) किया. इसके बाद उन्होंने उन्हें इंसानी कोशिकाओं (Human line Cells) और मेढक के अंडों में डाला जिससे कि वे अलग से उनका अध्ययन कर सकें. इसके बाद इन कोशिकाओं को ऑक्टोपस के शिकार और अन्य रसायनों के संपर्क में लाया गया जिन पर रिसेप्टर्स प्रतिक्रिया कर सकें. वे खराब घुलने वाले पदार्थ के साथ प्रतिक्रिया करने पर ही सक्रिय हो सके.

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