विज्ञान

विश्व बैंक की रिपोर्ट : 2050 तक 21 करोड़ से ज्यादा लोग हो जाएंगे विस्थापित

Rani Sahu
18 Sep 2021 1:14 PM GMT
विश्व बैंक की रिपोर्ट : 2050 तक 21 करोड़ से ज्यादा लोग हो जाएंगे विस्थापित
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जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभावों में महासागरों का जल स्तर (Rising Sea Levels) का बढ़ाना सबसे बड़ा या नुकसानदायक असर माना जाता है

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभावों में महासागरों का जल स्तर (Rising Sea Levels) का बढ़ाना सबसे बड़ा या नुकसानदायक असर माना जाता है. ऐसे में समुद्र के पास रहने वाले बहुत से रिहायशी इलाकों के डूबने का खतरा है. इससे बहुत से लोगों को अपने घरों को छोड़ कर दूसरी जाकर विस्थापित (Migrate) होने पड़ेगा. जलवायु परिवर्तन के इस दुष्प्रभाव के साथ पानी की कमी और कृषि उत्पादन में कमी जैसे दूसरे अन्य कारण भी लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर देंगे. विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से साल 2050 तक 21.6 करोड़ लोगों को अपने ही देश में विस्थापित होना पड़ेगा

पूरी दुनिया की तस्वीर
यह रिपोर्ट साल 2018 की विश्वबैंक की रिपोर्ट के अपडेट के तौर पर जारी हुई है, जिसमें पूर्वीयूरोप, मध्य एशिया, उत्तरी अफ्रीका, पूर्वी एशिया और पैसिफिक इलाकों के नए आंकड़े शामिल किए गए हैं जिससे दुनिया भर के बढ़ते तापमान की वजह से होने वाले नुकसान की पूरी तस्वीर पेश की गई है.
जलवायु परिवर्तन प्रमुख कारक
रिपोर्ट में कहा गया हैकि जलवायु परिवर्तन विस्थापन की सबसे बड़ा कारक बनता जा रहा है. इसमें महासागरों के बढ़ते जलस्तर के साथ खाद्यान्न औरद पानी की कमी प्रमुख कारण हैं. इस वजह से लोगों में जीवनयापन और अन्य मानवीय कारणों के लिए तनाव बढ़ने लगा है. विश्व बैंक के संधारणीय विकास के उपाध्यक्ष जुरगेन वोयगेले का कहना है कि आंकडे इस बात का वैश्विक आंकलन दे रहे हैं कि विस्थापन की दर का खतरा कितना बड़ा हो गया है.
बढ़ने लगेंगे ऐसे इलाके
वोयजेले ने चेताया कि अगर निर्णायक कदम ना उठाए गए तो जलवायु विस्थापन के ऐसे हॉटस्पॉट बन सकते है, जो एक दशक के भीतर ही ही सामने दिखने लगेंगे और साल 2050 तक वे बहुत ही तेजी से बनने लगेंगे. इसकी वजह यह होगी के लोगों को वो जगहें छोड़नी होगी जहां वे अपना जीवन यापन कायम नहीं रख पाएंगे और संभावनाओं के लिए दूसरे इलाकों में जाएंगे.
क्या था 2018 की रिपोर्ट में
साल 2018 में बैंक को शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में दक्षिण एशिया, लैटिन अमेरिका, उपसहारा अफ्रीका के विस्थापन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे मे बताया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 2050 तक इन इलाकों से करीब 14.3 करोड़ लोग विस्थापित हो जाएंगे. इसी आंकलकन को शोधकर्ताओं ने अपडेट किया है.
कम हो सकता है यह आंकड़ा
वायजेले बताते है कि गौर करने वाली बात यह है कि यह अनुमान अंतिम नहीं है. अगर दुनिया के देश अभी से ग्रीनहाउस गैसों को कम करना शुरू कर देते हैं, विकास के अंतर को कम कर देते है, जरूरी पारिस्थिति तंत्र को बहाल कर देते हैं, और लोगों को नए बदालवों के साथ ढलने में मदद करते हैं, तो आंतरिक जलवायु विस्थापन 80 प्रतिशत तक कम हो सकता है. इससे साल 2050 तक विस्थापित 4.4 करोड़ तक रह जाएंगे.
बढ़ भी सकता है आंकड़ा
लेकिन इसके साथ रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि यह आंकड़ा कम होने की जगह आगे भी जा सकता है. इसकी वजह यह है कि इस अध्ययन के आंकड़ों में उत्तरी अमेरिका, मध्य पूर्व और छोटे द्वीपीय देशों को शामिल नहीं किया गया है. वही इस रिपोर्ट के नतीजों का कई देशों पर खासा असर हो सकता है जो प्रायः नए विस्थापन से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं.
एक अवसर भी
वायजेले का कहना है कि सबकुछ इस पर निर्भर करता है कि अगली आधी सदी में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किस तरह के कदम उठाए जाते हैं. पूरा का पूरा विस्थापन तो रोकना संभव नहीं है, लेकिन अगर सही प्रबंधन किया गया तो जनसंख्या वितरण में बदालव एक प्रभावी अनुकूलन रणनीति का हिस्सा बन सकता है जिससे लोगों को गरीबी से ऊपर उठकर अच्छा जीवन यापन का अवसर मिल सकता है.


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