विज्ञान

तस्मानियन टाइगर को मिलेगा नया जीवन? पढ़े पूरी रिपोर्ट

jantaserishta.com
1 Jun 2022 8:57 AM GMT
तस्मानियन टाइगर को मिलेगा नया जीवन? पढ़े पूरी रिपोर्ट
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नई दिल्ली: 7 सितंबर, 1936 बेंजामिन (Benjamin) नाम के आखिरी तस्मानियन बाघ (Tasmanian tiger) या थायलासीन (Thylacine) का आखिरी दिन था. इसकी मौत के बाद, तस्मानियन टाइगर को विलुप्त घोषित कर दिया गया था. लेकिन विलुप्त हो चुके इस धारीदार और मांसाहारी जीव को शायद नया जीवन मिल सकता है.

ऑस्ट्रेलिया की मेलबर्न यूनिवर्सिटी (University of Melbourne, Australia) के वैज्ञानिकों को थायलासीन इंटीग्रेटेड जेनेटिक रिस्टोरेशन रिसर्च (TIGRR) नामक लैब को बनाने के लिए 36 लाख डॉलर का डोनेशन दिया गया है. इस लैब के बनने के बाद, वैज्ञानिक इस विलुप्त हो चुके टाइगर को एक बार फिर दुनिया में लाने की कोशिश करेंगे.
लगभग 3,000 साल पहले, थायलासीन पूरे ऑस्ट्रेलिया में फैले हुए थे, लेकिन शिकार और डिंगो (Dingoes) से मुकाबले की वजस से ये गायब हो गए. लेकिन तस्मानिया में थायलासीन की एक आबादी रह गई थी. लेकिन फिर लोग उन्हें 'भेड़ों का हत्यारा' कहने लगे. जस वजह से सरकार ने हर जानवर पर 1 पाउंड का इनाम लगा दिया. ऐसी स्थिति में, थायलासीन विलुप्त हो गए.
थायलासीन को वापस क्यों लाना चाहते हैं वैज्ञानिक, इसके कई कारण हो सकते हैं. ये जानवर मानव प्रभावों की वजह से विलुप्त हुए थे, इसलिए यह वजह इन्हें वापस लाने के लिए सबसे अहम है. ईकोसिस्टम को स्थिर रखना भी एक वजह हो सकती है, क्योंकि ये शीर्ष शिकारी हैं. इसके साथ ही, तस्मानिया का हैबिटेट भी बदला नहीं है. इसलिए वैज्ञानिकों के मुताबिक, थायलासीन को एक बार फिर वापस लाया जा सकता है. लेकिन सवाल यह है कि इस जानवर को वापस कैसे लाया जाएगा?
विज्ञान ही इन्हें वापस लाएगा. 2018 में, प्रोफेसर एंड्रयू पास्क (Andrew Pask) की टीम ने एक थायलासीन का पहला जीनोम सीक्वेंस प्रकाशित किया था. इसके लिए उन्होंने मेलबर्न म्यूज़ियम में पिछले 100 सालों से संग्रहित नमूने से डीएनए (DNA) का इस्तेमाल किया था. इससे पहले, जीनोम की ड्राफ्ट असेंबली अधूरी थी. हालांकि, अब थायलासीन के लिए, बेहतर डीएनए असेंबली और संबंधित जीवित प्रजातियों से उच्च गुणवत्ता वाले जीनोम को नए क्रोमोसोम्स-स्केल पर मापा जाएगा.
टीम फिलहाल प्रजातियों की भिन्नता को तय करने के लिए, कई और नमूनों को सीक्वेंस करके जीनोम में सुधार करने की कोशिश कर रही है. फिर इसकी तुलना सबसे नजदीकी डननार्ट मार्सुपियल (Dunnart Marsupial) से की जाएगी, जो चूहे के आकार का जानवर होता है, जिसकी बड़ी-बड़ी काली स्याह आंखें होती हैं. इस तुलना से थायलासीन जैसी मार्सुपियल कोशिका बनाने के लिए ज़रूरी बदलाव और दायरे को निर्धारित किया जाएगा.
जब यह सारी जानकारी मिल जाएगी, तो 'जुरासिक-पार्क-एस्क' (Jurassic-park-esque) प्रयोग शुरू हो जाएगा. एक डननार्ट अंडे के साथ थायलासीन की कोशिशा को फ्यूज करके, भ्रूण बनाने के लिए जीवित स्टेम सेल का इस्तेमाल करने के लिए, असिस्टिड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (Assisted reproductive technologies-ART) विकसित की जाएगी. इसके बाद इस अंडे को मां (Host mother) के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
अब फर्क होगा डननार्ट और थायलासीन के बीच के आकार में. मार्सुपियल्स, वयस्क के आकार की परवाह किए बिना छोटे बच्चों को जन्म देते हैं. बच्चे आमतौर पर मां से दूध चूसते हुए अपाना विकास पूरा करेंगे. जब थायलासीन शिशु का जन्म होगा, तो उसे जन्म के समय अलग कर दिया जाएगा और उसकी देखरेख एक मार्सुपियल ही करेगा. हालांकि वैज्ञानिकों को लगता है कि इस प्रयोग की काफी आलोचना की जाएगी.
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