विज्ञान

क्या सदी के अंत तक इंसानों से आगे निकल जाएंगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानें सच

Gulabi
16 April 2021 1:49 PM GMT
क्या सदी के अंत तक इंसानों से आगे निकल जाएंगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानें सच
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अभिप्राय एक ऐसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता से है जो खुद सोचने, समझने और चीजों को अंजाम देने में सक्षम होते हैं

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अभिप्राय एक ऐसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता से है जो खुद सोचने, समझने और चीजों को अंजाम देने में सक्षम होते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेस की टर्म को सर्वप्रथम 1955 में जॉन मेकार्थी ने उछाला था। इन्हें ही फादर ऑफ एआई कहा जाता है। 21वीं सदी में हम चौथी औद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर रहे हैं तो एक अहम सवाल उठा है। क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानी बौद्धिकता को पीछे कर सकता है? इस सवाल पर कई बड़े बुद्धिजीवियों का मानना है हां ऐसा हो सकता है। सदी के महान वैज्ञानिक रहे स्टीफन हॉकिंग का कहना था कि "आने वाले भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवों को दौड़ में पीछे कर देगा।" वहीं एलन मस्क का कहना है कि "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवता के लिए सबसे बढ़िया और सबसे बुरी दोनों चीजें साबित हो सकती है।"


इंसानी दिमाग पैटर्न समझने में काफी तेज होता है। इंसानों की यही काबिलियत उसे बाकी जीवों से अलग बनाती है। इसी पैटर्न समझने की ताकत ने विकसित सभ्यताओं और अविष्कारों को जन्म दिया। पैटर्न समझने की यही शक्ति अब हम मशीनों को देने जा रहे हैं। इससे एक बड़ा खतरा उभर सकता है। इंसानों का मस्तिष्क एक सीमित मात्रा में ही सूचनाओं को एकत्र करता है। उसी सूचनाओं के दम पर वह नए रास्तों को तलाशता है। वहीं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इस मामले में इंसानों से कहीं ज्यादा आगे हो सकता है। उसके पास अनंत मात्रा में डेटा को संग्रह करने की क्षमता होगी और जितना ज्यादा उसके अंदर डेटा होगा वह उसे प्रोसेस करके उतना ही बड़ा परिणाम निकालेगा। भविष्य ही अब तय करेगा कि यह परिणाम इंसानों के उद्देश्यों से मेल खाते हैं या नहीं।

एक लोकप्रिय गेम का नाम है 'अल्फा गो'। इस गेम में इतने पॉसिबल मूव्स हैं, जितने शायद हमारे ज्ञात ब्रह्मांड में एटम्स भी नहीं होंगे। 2017 में इस गेम से जुड़ी एक हैरान करने वाली घटना सामने निकल कर आई थी। गूगल के ए.आई 'डीप माइंड' ने इस गेम के दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को हरा दिया था। विशेषज्ञों ने बताया कि इस दौरान डीप माइंड करोड़ों मूव्स को एलिमिनेट करके ऐसे पॉसिबल मूव्स को चल रहा था, जिसे देखकर सामने बैठा विश्व का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी चकित हो जा रहा था।

इस घटना ने विज्ञान जगत में एक नई बहस छेड़ दी। डीप माइंड के पास गेम से जुड़ी कुछ जानकारी के बल पर उसने सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को हरा दिया। वहीं भविष्य में जब कभी किसी हाइटेक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के पास मानव जाति के इतिहास का वह सारा ज्ञान आ जाएगा, जिसे हमने अपनी क्रमागत उन्नति में बटोरा है तब क्या होगा? हम इस समय चौथी औद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर रहे हैं। मौजूदा दौर में मशीन लर्निंग पर ज्यादातर कंप्यूटर और मोबाइल फोन्स काम कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अभी शुरुआती विकास हो रहा है। शुरुआती विकास में ही इसके कई हैरतअंगेज परिणाम देखने को मिल रहे हैं। समय के साथ-साथ इसके इंटेलिजेंस की क्षमता तेजी से बढ़ रही है। एमआईटी के प्रोफेसर मैक्स टेगमार्क द्वारा लिखी पुस्तक लाइफ 3.0 की माने तो आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस सदी के अंत तक मानव बुद्धिमत्ता को पछाड़ देगा। इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उद्देश्य ही निश्चित करेंगे कि आगे का रास्ता क्या होगा? अगर मानव उनके उद्देश्यों में बाधा बनते हैं तो वह उनका सफाया भी कर सकते हैं।
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