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कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत हो चुकी है
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत हो चुकी है। अब 18 वर्ष के ऊपर के युवाओं का वैक्सीनेशन किया जाने लगा है। भारत में इस समय दो वैक्सीन पहली कोवाक्सिन और दूसरी कोविशील्ड को बड़े पैमाने पर लगाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लोगों को वैक्सीन की दो खुराक एक निश्चित अंतराल पर दी जाती है। इन खुराकों के बीच करीबन 4 से 6 सप्ताह का अंतर होता है। ऐसे में आप सभी के मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर कोविड वैक्सीन की दो खुराकें क्यों दी जाती हैं? और इन खुराकों के बीच इतना लंबा अंतराल क्यों होता है?
इस पर हुए वैज्ञानिक अध्ययन में यह पता चला है कि एक डोज कोरोना के संक्रमण को रोकने में ज्यादा कारगर नहीं है। इसके लिए वैक्सीन की दो खुराकों की जरूरत होती है। हालांकि वैक्सीन की पहली डोज शरीर के भीतर संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत करती है और वायरस के प्रति शरीर को आगाह करती है, पर उस स्तर पर नहीं करता जितनी जरूरत होती है। वहीं पहली डोज का असर भी लंबे समयावधि के लिए नहीं होता।
इस कारण वैक्सीन की दूसरी डोज लगाई जाती है। हालांकि वैक्सीन की दूसरी डोज भी यही चीज करती है, लेकिन इस दूसरी खुराक के चलते हमारे शरीर का रोध प्रतिरोधक क्षमता पहले की मुकाबले काफी ज्यादा गुना मजबूत हो जाता है। शरीर के भीतर पहले से ज्यादा मात्रा में एन्टी बॉडी बनने लगते हैं।
इस कारण जब कभी कोरोना वायरस हमारे शरीर के भीतर प्रवेश करता है। शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को पहले ही पता रहता है कि उसका मुकाबला कैसे करना है? वायरस के शरीर के भीतर आते ही हमारे शरीर के एन्टीबॉडी उसे फौरन खत्म कर देते हैं। इससे वायरस का भयानक प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता।
इस समय दुनिया भर में कोरोना वायरस को लेकर कई सारी वैक्सीनें काम कर रहीं हैं। इन वैक्सीनों की खुराकों के बीच में दिए गए अंतराल अलग-अलग हैं। फाइजर में जहां दूसरे डोज को लेकर 3 हफ्तों का अंतर बताया गया है। वहीं मोडर्ना और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीनों की दूसरी खुराक में 4 हफ्तों का अंतर होना जरूरी है। रूस की वैक्सीन स्पुतनिक की दूसरी खुराक को लेने का अंतराल 21 दिन है।
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