विज्ञान

ओमिक्रॉन पर क्यों बेअसर हो सकती हैं मौजूदा वैक्सीन?

Rani Sahu
14 Dec 2021 6:31 PM GMT
ओमिक्रॉन पर क्यों बेअसर हो सकती हैं मौजूदा वैक्सीन?
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कोविड-19 वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के तेजी से म्यूटेशन की क्षमता ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है

कोविड-19 वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के तेजी से म्यूटेशन की क्षमता ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। इस नए वैरिएंट को कुछ महीनों पहले पूरी दुनिया में तबाही मचा चुके डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है, क्योंकि ओमिक्रॉन में अब तक 50 म्यूटेशन हो चुके हैं।

ओमिक्रॉन के बहुत तेजी से म्यूटेशन की क्षमता की वजह से यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या मौजूदा कोरोना वैक्सीन इस नए वैरिएंट पर असरदार होंगी? इस बीच ब्रिटिश कंपनी मॉडर्ना (Moderna) ने कहा है कि मौजूदा वैक्सीन के ओमिक्रॉन के खिलाफ कम प्रभावी रहने की आशंका है।
आइए जानते हैं ओमिक्रॉन पर क्यों बेअसर हो सकती हैं मौजूदा वैक्सीन? इसके लिए अलग वैक्सीन की जरूरत क्यों है? mRNA वैक्सीन बनाने वाली कंपनी मॉडर्ना का आखिर क्या कहना है?
ओमिक्रॉन पर क्यों बेअसर हो सकती हैं मौजूदा वैक्सीन?
ओमिक्रॉन को अब तक का सबसे तेज म्यूटेशन वाला वायरस कहा जा रहा है। WHO ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में रखा है। इसके स्पाइक प्रोटीन में ही 30 म्यूटेशन हो चुके हैं। दरअसल, स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही वायरस इंसान की कोशिकाओं में घुसने के रास्ते को खोलता है। वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ ही एंटीबॉडी तैयार करके शरीर को इसके खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करती है।
ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में ज्यादा म्यूटेशन की वजह से इस बात पर चिंता व्यक्त की जा रही है कि मौजूदा वैक्सीन इसके खिलाफ कितनी कारगार होंगी।
साथ ही मौजूदा वैक्सीन को चीन के वुहान में सामने आने वाले ओरिजिनल कोरोना वायरस स्ट्रेन के हिसाब से तैयार किया गया है, जबकि ओमिक्रॉन का स्ट्रेन इससे एकदम अलग है। यही वजह है कि मौजूदा वैक्सीन के इस नए वैरिएंट पर बहुत कम या एकदम असर नहीं होने की आशंका जताई जा रही है।
मॉडर्ना ने क्यों दी ओमिक्रॉन की वैक्सीन को लेकर चेतावनी?
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन के बेअसर होने की चर्चा के बीच ब्रिटिश कंपनी मॉडर्ना ने कहा है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन के कम प्रभावी रहने की आंशका है। मॉडर्ना के CEO स्टीफन बेंसल ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा कि मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रॉन के खिलाफ कोरोना के पहले के स्ट्रेन के मुकाबले कम प्रभावी हो सकती हैं।
बेंसल ने यह भी चेतावनी दी है कि नए वैरिएंट के खिलाफ बड़े पैमाने पर वैक्सीन की डोज के निर्माण में फार्मास्युटिकल कंपनियों को महीनों लग सकते हैं। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में तेज म्यूटेशन की क्षमता की वजह से फार्मा कंपनियों को मौजूदा वैक्सीन को अगले साल मॉडिफाई करना पड़ सकता है।
ओमिक्रॉन की नई वैक्सीन कब तक आ सकती है?
ओमिक्रॉन पर मौजूदा वैक्सीन के कम प्रभावी या एकदम बेअसर होने की चर्चा के बीच इसके लिए नई वैक्सीन लाने की बातें शुरू हो गई हैं। ब्रिटिश कंपनी मॉडर्ना ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर इस नए वैरिएंट की वैक्सीन 2022 के शुरुआती महीनों में आ सकती है। मॉडर्ना पहले भी कोरोना की mRNA वैक्सीन बना चुका है।
मॉडर्ना के चीफ मेडिकल ऑफिसर पॉल बर्टन ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी कपंनी अगले साल की शुरुआत में ओमिक्रॉन से निपटने के लिए mRNA वैक्सीन लॉन्च कर सकती है।
वहीं, कोरोना वैक्सीन बनाने वाली एक और कंपनी फाइजर ने कहा है कि आवश्यकता पड़ने पर ओमिक्रॉन के खिलाफ नई वैक्सीन को छह हफ्तों में बना सकती है और इसके शुरुआती डोज 100 दिनों के अंदर उपलब्ध करवा सकती है।
WHO ने अब तक किन कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी है?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेश (WHO) ने अब तक दुनिया भर में कुल आठ कोरोना वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी दी है
कोरोना की कौन सी वैक्सीन किस श्रेणी में आती है?
अभी कोरोना की जिन आठ वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है, उन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
इनमें से एक मैसेंजर RNA वैक्सीन है, दूसरी वायरल वेक्टर वैक्सीन है और तीसरी इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है। इन वैक्सीन को बनाने और काम करने का तरीका अलग-अलग है।
कैसे काम करती हैं कोरोना की अलग-अलग वैक्सीन?
मैसेंजर RNA (mRNA) वैक्सीन: इन वैक्सीन में मैसेंजर RNA (mRNA) कोड होता है, जो शरीर में जाकर कोरोनावायरस प्रोटीन का वर्जन बनाते हैं। वैक्सीनेशन के बाद, आपकी इम्यून सेल स्पाइक प्रोटीन के टुकड़े बनाना शुरू कर देती हैं, और आपके शरीर में एंटीबॉडीज बनने लगती हैं। यदि आप बाद में कभी कोविड-19 वायरस से संक्रमित होते हैं, तो यही एंटीबॉडीज वायरस के खिलाफ लड़ने में मदद करती है।
वायरल वेक्टर वैक्सीन: यह एक कैरियर वैक्सीन है, जिसमें नुकसान न पहुंचाने वाले एडिनोवायरस को वायरल वेक्टर के रूप में जेनेटिकली इंजीनियर किया जाता है। ये वायरस जब आपकी कोशिकाओं में पहुंचता है तो उन्हें यह स्पाइक प्रोटीन की कॉपीज बनाने का निर्देश देता है। जैसे ही आपकी कोशिकाओं की सतहों पर स्पाइक प्रोटीन बनती हैं, तो इसके रिस्पॉन्स में आपका इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी और डिफेंसिव व्हाइट सेल बनाता है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर यही एंटीबॉडी वायरस से लड़ने में काम आती हैं।
इनएक्टिवेटेड वैक्सीन: इसमें एक मृत या इनएक्टिवेटेड वायरस का उपयोग किया जाता है। यह इनएक्टिवेटेड वायरस न तो मल्टिप्लाई हो सकता है और न ही आपको बीमार कर सकता है। इस वैक्सीन के जरिए शरीर में एक नैचुरल इंफेक्शन के समान ही इम्यून रिस्पॉन्स तैयार किया जाता है।
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