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अधिक चीनी, तेल का सेवन लिवर के लिए शराब जितना ही खतरनाक क्यों है? डॉक्टरों ने बताया

jantaserishta.com
18 April 2024 10:37 AM GMT
अधिक चीनी, तेल का सेवन लिवर के लिए शराब जितना ही खतरनाक क्यों है? डॉक्टरों ने बताया
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सांकेतिक तस्वीर 

लिवर हमारे शरीर का एक बेहद अहम अंग है।
नई दिल्ली: विश्व लिवर दिवस से पहले गुरुवार को डॉक्टरों ने बताया कि शराब को लिवर के स्वास्थ्य के लिए खराब माना जाता है, लेकिन चीनी और तेल से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन लिवर के साथ-साथ समग्र स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही खतरनाक हो सकता है।
लिवर हमारे शरीर का एक बेहद अहम अंग है। इसके महत्व को उजागर करने के लिए हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है 'सतर्क रहें, नियमित लिवर जांच कराएं और फैटी लिवर रोगों को रोकें'। लिवर शरीर के वेयरहाउस के रूप में काम करता है, जो व्यक्ति द्वारा खाए (उपभोग की) जाने वाली हर चीज को संसाधित करता है। अधिक कैलोरी खाने से लिवर में वसा जमा हो सकती है, जिससे फैटी लीवर रोग हो सकता है जो मधुमेह और अन्य चयापचय (मेटाबोलिक) संबंधी विकारों को ट्रिगर कर सकता है।
अपोलो प्रोहेल्थ की चिकित्सा निदेशक डॉ. श्रीविद्या ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस को बताया, "जबकि शराब से संबंधित लीवर रोग के खतरे सर्वविदित हैं, शर्करा (चीनी) और वसा जैसे उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों से होने वाले गैर-अल्कोहल यकृत रोग पर चिंता बढ़ रही है। यह स्थिति लिवर सिरोसिस समेत अल्कोहलिक लिवर रोग जैसी ही गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकती है, जिसके लिए अंततः लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत हो सकती है।"
पीडी हिंदुजा अस्पताल के डॉ. पवन ढोबले ने कहा, "ज्यादा चीनी और तेल का सेवन, शराब की तरह लिवर के ऊतकों के माध्यम से बिखरे हुए वसा की बूंदों को जन्म देता है, जिससे सूजन के कारण लिवर को नुकसान होता है। ज्यादा चीनी और तेल के सेवन से मोटापा बढ़ता है, जिससे गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी) सहित लीवर के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
डेटा से पता चलता है कि हर चार में से लगभग एक भारतीय वयस्क या तो अधिक वजन वाला है या मोटापे से ग्रस्त है, जिससे फैटी लीवर रोग का खतरा है। शराब का उपयोग भी बढ़ रहा है। भारत में एनएएफएलडी पर रिपोर्टों का विश्लेषण करते हुए एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में एक चौंकाने वाला सच सामने आया है। एक तिहाई से ज्यादा (38 प्रतिशत) भारतीयों को फैटी लीवर या एनएएफएलडी है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी के अनुसार, यह घटना लगभग 35 प्रतिशत बच्चों को भी प्रभावित करती है और कम उम्र से ही लाइफस्टाइल से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान पर ध्यान देने का आह्वान करती है।
हावड़ा के आरएन टैगोर अस्पताल और नारायण अस्पताल के डॉ. राहुल रॉय ने आईएएनएस को बताया, "भारत में लिवर की बीमारियां गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरी हैं। एनएएफएलडी अक्सर प्रारंभिक चरण में अज्ञात रहता है क्योंकि इसमें लक्षण सामने नहीं आते हैं। हालांकि, यह गंभीर लिवर रोगों में बदल सकता है।"
उन्होंने कहा, "आहार का पश्चिमीकरण, जिसमें फास्ट फूड की बढ़ती खपत और फलों और सब्जियों की कमी शामिल है, फैटी लीवर रोगों के बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।"
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