विज्ञान

आसमान में आखिर क्यों टिमटिमाते हैं तारे, जाने क्या कहता है विज्ञान

Subhi
9 Oct 2022 6:19 AM GMT
आसमान में आखिर क्यों टिमटिमाते हैं तारे, जाने क्या कहता है विज्ञान
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तारों (Stars) ने हमेशा ही इंसानों को आकर्षित किया है. वे बड़ों से लेकर बच्चों तक के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं. रात के अंधेरे में आसमान बिना चांद की रोशनी में काली चादर में सफेद चमकीले टिमटिमाते दाने खूबसूरती का अलग ही अहसास देते हैं.

तारों (Stars) ने हमेशा ही इंसानों को आकर्षित किया है. वे बड़ों से लेकर बच्चों तक के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं. रात के अंधेरे में आसमान बिना चांद की रोशनी में काली चादर में सफेद चमकीले टिमटिमाते दाने खूबसूरती का अलग ही अहसास देते हैं. तारों की रोशनी करोड़ों अरबों किलोमीटर की दूरी तय करते हुए हम तक पहुंचती है. और इसमें से अधिकांश तारे तो अब तक मर भी चुके हैं. लेकिन ये तारे टिमटिमाते (Twinkling of Star) हुए क्यों दिखाई देते हैं क्या इसके पीछे कोई खास वजह है या फिर केवल बहुत दूर से आती हुई रोशनी कारण ही ये ऐसे दिखते हैं. आइए जानते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान ?

हमारा वायुमडंल

तारों के टिमटिमाने के पीछे की असली वजह हमारा वायुमडंल है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों का मिश्रण बन कर हमारी रक्षा करने वाले कंबल की तरह काम करता है. यह दुनिया का तापमान इस तरह का रखता है जिससे हमें ज्यादा गर्मी या ज्यादा ठंडक नहीं लगती है और अंतरिक्ष से आने वाली हानिकारक विकिरणों से हमारी रक्षा करता है. यहां तक कि अंतरिक्ष से गिरने वाला कचरे को भी यह जलाकर वाष्पीकृत कर देता है.

खगोलीय जगमगाहट

लेकिन इसके बाद भी हमारा वायुमंडल हमें अंतरिक्ष की चीजों को साफ तरह से देखने से रोकने का काम भी करता है. यह अंतरिक्ष से आने वाले प्रकाश को विकृत करता है जिससे हमें अंतरिक्ष की बहुत सारी चीजें साफ नहीं देख पाते हैं यही वजह है कि हमें अंतरिक्ष में टेलीस्कोप स्थापित करने पड़ते हैं. रात को इसी वायुमडंल की वजह से कई खगोलीय पिंड हमें धुंधले और कभी कभी दिखाई देते से प्रतीत होते हैं. इस परिघटना को खगोलीय जगमगाहट कहते है और आम बोलचाल में इसे तारों का टिमटिमाना कहते हैं.

वायुमडंल की परतें

हमारा वायुमंडल प्याज की तरह कई परतों का बना है. सबसे नीचे क्षोभमंडल है जिसमें धरती की सतह से करीब 8 से 14.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक की परत है. यह पृथ्वी की सबसे घनी परत है और इसी परत में सभी मौसमी परिवर्तन होते हैं. इसके बाद पृथ्वी की अन्य परतों, जैसे समतापमंडल, मध्यमंडल, तापमंडल, बाह्यमडंल या बहिर्मंडल आते हैं.

दो और परतें

इन परतों के अलावा वायुमंडल के कुछ हिस्सों को उनके विशेष गुणों के कारण अलग परत नाम दिए गए हैं जिनमें ओजोन परत और आयनमंडल भी शामिल हैं. ओजोन परत क्षोभमंडल के ठीक ऊपर समतापमंडल के निचले हिस्से में हैं तो वहीं आयनमंडल मध्यमंडल और तापमंडल के बीच स्थित है जो अंतरिक्ष से आने वाली रोशनी पर अपना भी प्रभाव डालती हैं.

कैसे टिमटिमाते हैं तारें

इन सबी परतों का तापमान और हवा का घनत्व अलग अलग होता है. जब तारों की रोशनी वायुमडंल में प्रवेश करती है तो उसे गर्म और ठंडी हवा की परतों से गुजरना होता है और ये परतें एक बड़े मोटे लेंस की तरह काम करती हैं जिससे प्रकाश के परावर्तन की प्रक्रिया होती और रोशनी की दिशा विकृत हो जाती है. लेकिन ये परतें स्थिर लेंस की तरह नहीं गतिमान लेंस की तरह काम करती हैं जिससे तारों की रोशनी टिमटिमाती सी दिखाई देती है.

मजेदार बात यह है कि यह जगमगाहट दूसरे ग्रहों और यहां तक कि चंद्रमा पर भी लागू होती है. लेकिन इनकी टिमटिमाहट बहुत ही कम मात्रा में दिखाई देती है. इस वजह से हम इसे पहचान नहीं पाते हैं. इस मामले में एक कारक दूरी भी है तारों की रोशनी बहुत दूर से आती है जिस वजह से वहां से रोशनी एक बिंदु से आती दिखाई देती है जिससे टिमटिमाहट और ज्यादा प्रभावी होती है.


क्रेडिट ; न्यूज़ 18

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