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आसमान में गुजरते धूमकेतुओं या टूटते तारों की चमकीली पूंछ तो आमतौर पर दिख जाती है लेकिन क्या आपको पता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आसमान में गुजरते धूमकेतुओं या टूटते तारों की चमकीली पूंछ तो आमतौर पर दिख जाती है लेकिन क्या आपको पता है कि एक ग्रह भी ऐसा है जिसकी पूंछ होती है? यह ग्रह है बुध। बुध (Mercury) की पूंछ कई किलोमीटर लंबी होती है और यह चमकीली नारंगी-पीली रोशनी सी दिखती है। आखिर बुध ग्रह दूसरे ग्रहों से कैसे अलग है कि इसकी पूछ है?
कैसा है बुध?
दरअसल, बुध हमारे सौर्यमंडल का सबसे अंदरूनी ग्रह है यानी सूरज के सबसे करीब। सूरज से इसकी दूरी धरती की आधी है। करीब 5.8 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित इस छोटे, घने और चट्टानी ग्रह पर लगातार सूरज का रेडिएशन और सोलर विंड असर करती रहती हैं। इसका द्रव्यमान काफी कम होता है, धरती के द्रव्यमान से 5.5% कम। इसका गुरुत्वाकर्षण भी बहुत ज्यादा नहीं होता है और न ही चुंबकीय क्षेत्र।
इसलिए बनती है पूंछ
ऐसे में इसका कोई वायुमंडल नहीं होता बल्कि सिर्फ ऑक्सिजन, सोडियम, हाइड्रोजन, हीलियम और पोटैशियम के अणुओं से बनी पतली सी परत। सोलर विंड और बेहद छोटे उल्कापिंड इससे टकराते रहते हैं। इनके खिलाफ बुध के पास अपनी सुरक्षा करने के लिए कुछ नहीं होता। सोलर रेडिएशन से दबाव बनता है जिसकी वजह से धूमकेतुओं की पूंछ दिखती है।
धूमकेतु जैसा दिखता है
बुध में मौजूद सोडियम सूरज के अल्ट्रावॉइलट रेडिएशन के कारण चमकने लगता है और बुध किसी धूमकेतु जैसा दिखता है। धूल और बर्फ से बने धूमकेतु जब सूरज की तरफ बढ़ते हैं तो इनकी बर्फ और धूल वेपर यानी भाप में बदलते हैं जो हमें पूंछ की तरह दिखता है। खास बात ये है कि धरती से दिखाई देने वाला धूमकेतु दरअसल हमसे बेहद दूर होता है।
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