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ब्रह्माण्ड में केवल ब्लैक होल (Black Holes) ही रहस्यमयी पिंड नहीं हैं. कई और भी पिंड है तो अपने अंदर ऐसे रहस्य समेटे हैं जिन्हें सुलझाने में वैज्ञानिक और खगोलविद लंबे समय से लगे हुए हैं. नई शक्तिशाली टेलीस्कोप के आगमन से अब ब्लैक होल और इस तरह के रहस्यमयी पिंडों के बारे बारे में खगोलविद गहन अध्ययन में लगे हैं. इसमें से एक तरह के रोचक पिंड मैग्नेटर (Magnetars) होते हैं जिनके बारे में दुनिया को करीब 5 दशक पहले ही पता चला है. इन शक्तिशाली न्यूट्रॉन तारे (Neutrons) के बारे में वैज्ञानिको को बहुत कम जानकारी है और वैज्ञानिक इन्हें डरावने पिंड के रूप में देखते हैं आइए जानते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान.
प्रचंड विस्फोट वाले पिंड
मैग्नेटर जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है, शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड वाले पिंड होते हैं जो गामा रे, एक्स रे और रेडियो तरंगों को प्रचंड विस्फोट करते हैं जिससे एक असामान्य रूप से शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड पैदा होती है. इन्हें सबसे पहले साल 1979 में देखा गया था.उसके बाद से खगोलिविदों ने दर्जनों मैग्नेटर हमारी गैलेक्सी मिल्की वे और उसके आसपास ही देख लिए हैं.
तारे का जीवन चक्र
तारों का भी ब्रह्माण्ड के दूसरे पिंडों की तरह अपना जीवन चक्र होता है. किसी तारे का अंत कैसा होगा यह उसके भार पर ज्यादा निर्भर करता है. जैसे हमारे सौरमडंल का सूर्य ही भविष्य में विशाल लाल तारा बनकर एक सफेद बौना बनकर खत्म हो जाएगा. वहीं ज्यादा भारी तारे विशाल सुपरनोवा विस्फोट से गुजरते हैं और फिर या तो किसी न्यूट्रॉन तारे या फिर किसी ब्लैक होल में बदल जाते हैं.
कैसे बनते हैं मैग्नेटर- एक बड़ा सवाल
मैग्नेटर भी उन विशाल तारों के अवशेषों से बनते हैं जो सुपरनोवा में विस्फोटित होते हैं और फिर किसी न्यूट्रॉन तारे में तब्दील हो जाते हैं. फिलहाल वैज्ञानिक यह नहीं जानते हैं कि सुपरनोला में ऐसा क्या होता है जिससे किसी सामान्य न्यूट्रॉन तारा बनते बनते एक मैग्नेटर बन जाता है. लेकिन कई वैज्ञानिकों का यह मानना है कि मूल तारे की घूर्णन की गति की वजह से मैग्नेटर का निर्माण होता है.
मैग्नटेर (Magetar) बहुत ही तेजीसे घूमते हुए गामा एक्सरे और रेडियो विकिरण फैलाने वाले पिंड होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कितने मैग्नेटर देखे गए हैं अभी तक
मैग्नेटर ऐसे न्यूट्रॉन तारे होते है जिनके मैग्नेटिक फील्ड का चुंबकीय घनत्व 1013 से 1015 गॉस तक होता है. यह व्यवहारिक तौर पर समझना मुश्किल है, लेकिन ये पूरे ज्ञात ब्रह्माण्ड में सबसे शक्तिशाली चुंबकीय पिंड माने जाते हैं. अभी तक वैज्ञानिक केवल 23 मैग्नेटर की उपस्तिथि की पुष्टि कर सके हैं और छह पुष्टि की प्रतीक्षा में हैं. बहुत से मिल्की वे गैलेक्सी में ही हैं लेकिन पृथ्वी के पास कोई नहीं है.
मैग्नेटर से डरने की जरूरत?
खगोलविद मैग्नेटर को ब्रह्माण्ड के बहुत ही खतरनाक पिंड मानते हैं. इसमें ऊर्जा काइतना विशाल और शक्तिशाली विस्फोट होता है कि इसका प्रभाव बहुत ज्यादा दूर होने के बाद भी पृथ्वी पर दिखाई देता है. साल 2004 में पृथ्वी से 50 हजार प्रकाशवर्ष दूर सैजिटेरियस तारामंडल की दिशा में SGR 1806-20 का विस्फोट हुआ था. इसका प्रभाव दूरी के वर्ग के व्युत्क्रम के अनुसार था यानि अगर हमारी दूरी पांचवे हिस्से तक की कम हो जाती हो प्रभाव 25 गुना ज्यादा देखने को मिलता. क्या होगा असर
अगर किसी मैग्नेटर का प्रभाव हमारी पृथ्वी पर पड़ा तो इसका हमारे इलेक्ट्रॉनिक और तकनीकी उपकरणों पर तो पड़ेगा ही हमारे शरीर के अणुओं के बीच की जैवविद्युतकी तक इससे अप्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी. इस लिहाज से हमें इस बात का शुक्रगुजार होना चाहिए कि हमसे सबसे नजदीकी मैग्नेटर AXP 1E 1048-59 हमसे 9 हजार प्रकाशवर्ष की दूरी पर है जो कि कम दूरी नहीं है.
ब्लैक होल से तुलना के मामले में खगोलवदों का कहना है कि दोनों में से क्या शक्तिशाली या विनाशकारी है यह सीधा मामला नहीं है. अगर गुरुत्व के प्रभाव के लिहाजसे देखा जाए तो बेशक ब्लैक होल सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं और उनके आगे मैग्नेटर कुछ नहीं है. लेकिन अगर चुंबकीय क्षेत्र और उनके प्रभाव को देखें तो मैग्नेटर से ज्यादा विनाशकारी अभी तक ब्रह्माण्ड में कुछ नहीं है. सौभाग्य से पृथ्वी अभी तक दोनों मं से किसी भी पिंड के प्रभाव में नहीं है.
Gulabi Jagat
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