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जेलीफिश क्यों होती हैं 'अमर', क्या इंसानों में भी पनप सकते हैं ऐसे गुण

Subhi
2 Sep 2022 2:21 AM GMT
जेलीफिश क्यों होती हैं अमर, क्या इंसानों में भी पनप सकते हैं ऐसे गुण
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जो पैदा होता है वह मरता जरूर है. इंसानभी पैदा होता है बढ़ कर जवान होता है और बूढ़ा होकर मर भी जाता है. ऐसा सभी जीवों के साथ होता है, लेकिन इसमें एक अपवाद है वह है

जो पैदा होता है वह मरता जरूर है. इंसानभी पैदा होता है बढ़ कर जवान होता है और बूढ़ा होकर मर भी जाता है. ऐसा सभी जीवों के साथ होता है, लेकिन इसमें एक अपवाद है वह है अमर जैलीफिश (Jellyfish) यह ऐसी जीव है जो बार बार अपने यौवनकाल में लौट आने की क्षमता रखती है. स्पेन के शोधकर्ताओं ने टूरिटोप्सिस डॉहर्नी (Turritopsis dohrnii) नाम की जैलीफिश के अमरता का रहस्य जानने के लिए जीनोम सीक्वेसिंग (Genome Sequencing) कर बहुत से प्रमुख जीनोम को खोजा जो मौत से बचने के अलावा उम्र लंबी योगदान भी देते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

स्पेन के ओविडो यूनिवर्सिटी के डॉ कार्लोस लोपेज ओटिन की अगुआई में शोधकर्ताओं कीटीम ने एक खास जैलीफिश (Jellyfish) की जैनेटिक सीक्वेंस (Genome Sequencing) की मैपिंग इस उम्मीद से की जिससे वे उनकी खास लंबे जीवन के रहस्य को उजागर कर सकें और उससे इंसान के उम्र ढलने के बारे में जानकारी हालिल कर सकें. यह अध्ययन प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित हुआ है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

अपने विशेष अध्ययनके लिए शोधकर्ताओं ने टूरिटोप्सिस डॉहर्नी (Turritopsis dohrnii) नाम की जैलीफिश के साथ उसी की अन्य प्रजाति टूरिटोप्सिस रूब्रा (Turritopsis rubra) की सीक्वेंसिंग की जिससे वे यह पता लगा सकें कि वे कौन सी जीन्स हैं जो दोनों में इस खास विविधता को पैदा करती हैं. टूरिटोप्सिस रूब्रा जैलीफिश में प्रजनन (Sexual Reproduction) के बाद लंबा जीवन जीने की क्षमता नहीं रह जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

अपने जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) के अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पायाकि टूरिटोप्सिस डॉहर्नी (Turritopsis dohrnii) के जीनोम में ऐसी विविधता है जिससे वह अपने डीएनए की प्रति बनाने और उसकी मरम्मत करने में बेहतर बनाती है. और इसके साथ ही वे क्रोमोजोम के अंतिम छोर टेलोमर्स (Telomeres) को भी कायम रखने में बेहतर होते हैं. टेलेमर की लंबाई इंसानों में उम्र के साथ कम होती जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

इस अध्ययन की प्रथम लेखक मारिया पास्कॉल टोर्नर ने एक बयान में बताया कि उनकी टीम के शोध में अमरता (Immortality) और पुनर्जीवन (Rejuvenate) के लिए केवल एक ही कारक होने की जगह कई प्रणालियों की सक्रियता पाई गई. ये सारी प्रणालियां सहक्रियात्मक रूप से मिलकर एक साथ काम करती हैं. और ऐसी प्रक्रिया सुनिश्चित करती हैं जो एक तरह से अमर जैलीफिश (Jellyfish) को एक तरह से पुनर्जीवित कर देती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

दूसरे प्रकार की जैलीफिश (Jellyfish) की तरह टूरिटोप्सिस डॉहर्नी (Turritopsis dohrnii) दो तरह के जीवन चक्र से गुजरती हैं. एक उनके समुद्री तल पर अलैंगिक दौर होता है जहां उनका मुख्य उद्देश्य कम भोजन मिलने पर भी जीवित रहना होता है. जब हालात अनुकूल होते हैं , तब जैलीफिश लैंगिंक प्रजनन (Sexual Reproduction) करती हैं. बहुत सी जैलीफिश में उम्र बढ़ने वाली प्रक्रियाओं के उल्टा करने की क्षमता होती हैं, अधिकांश यह क्षमता लैंगिंग परिपक्वता हासिल करने के बाद गंवा देती हैं. लेकिन ऐसा टूरिटोप्सिस डॉहर्नी के साथ नहीं होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

कार्लोस लोपेज ओटिन ने कहा कि जैलीफिश (Jellyfish) का अध्ययन इंसान को अमरता (Immortality) दिलाने के तरीके खोजना नहीं है लेकिन सेल्यूलर प्लास्टिसिटी के प्रमुख कारक और सीमाओं का समझने के लिए कुछ जीवों में समयके पीछे जाने की क्षमता का अध्ययन करना होता है. इस जानकारी से उम्मीद है कि वैज्ञानिकों को एजिंग (Aging) से संबंधित बहुत सारी बीमारियों के इलाज के बारे में भी जानकारी मिल सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)


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