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कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने भारत समेत पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने भारत समेत पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है. लेकिन एक नई रिसर्च में इस बात का खुलासा किया गया है कि अगर ये पांच काम पहले कर दिए जाते तो पहली ही लहर में कोरोना को महामारी बनने से रोका जा सकता था. साल 2019 और 2020 की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ फैसले इतनी देरी से हुए कि कोरोना भयावह महामारी बनकर पूरी दुनिया में छा गई. इसकी वजह से अब तक 34 लाख लोगों की जान चली गई. इन लोगों को बचाया जा सकता था. इस स्टडी को करवाया है WHO ने. आइए जानते हैं कि वो पांच काम कौन से थे जिनसे महामारी को रोका जा सकता था.
5 ways Covid was 'preventable pandemic' - from 'lost' month to reckless leadershttps://t.co/050lbBlzKo pic.twitter.com/0WqoiyJENe
— The Mirror (@DailyMirror) May 12, 2021
चीन की सरकार ने 31 दिसंबर 2019 को बताया कि वो वुहान में अनजान कारणों से फैल रहे निमोनिया के दर्जनों मामलों का उपचार कर रहे हैं. उस समय तक इस बात के सबूत नहीं मिले थे कि ये कोरोना वायरस है जो तेजी से इंसानों को संक्रमित कर सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस पर एक्शन लेने में काफी देर कर दी. वुहान में जांचकर्ताओं को जैसे ही पता चला कि ये निमोनिया कोरोना वायरस से फैल रहा है, उन्होंने तत्काल ओपन मीडिया सोर्स में यह जानकारी डाली. मीडिया में खबर आने के बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. WHO ने 22 जनवरी को वैश्विक आपातकाल घोषित किया. जबकि उसे ये काम 8 दिन पहले कर देना चाहिए था
वैश्विक आपातकाल घोषित होने के बाद भी कई देश अपनी सीमाओं को बंद करने और यात्रा पर प्रतिबंध लगाने में काफी धीमे रहे. जिसकी वजह से फरवरी का महीना खराब हो गया. इस स्टडी को करने वाली टीम के को-चेयर एलेन जॉन्सन सरलीफ ने कहा कि अगर इसी महीने दुनिया के अलग-अलग देश तेजी से एक्शन लेते तो आज ये हालत न होती. न्यूजीलैंड ने तेजी से एक्शन लिया जिसकी वजह से वहां पर कोरोना वायरस का संक्रमण और मृत्यु दर बाकी देशों से काफी कम रहा. वहां अब तक सिर्फ 26 लोगों की ही मौत हुई है. (फोटोःगेटी)
तीसराः अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने की अनदेखी, वैज्ञानिकों की बात नहीं मानी
कई देशों के नेताओं और प्रमुखों ने वैज्ञानिकों की सलाह नहीं मानी. उन्होंने साइंटिफिक रिसर्च और सलाह को अनदेखा किया. सही समय पर सख्त फैसले नहीं लिए. जिसकी वजह से महामारी का रूप और भयावह होता चला गया. इसमें सबसे ऊपर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम है. उन्होंने लगातार अपने प्रमुख वैज्ञानिकों की सलाह नहीं मानी. जबकि, अमेरिका में पहला कोविड-19 केस जनवरी में ही मिला था. तब ट्रंप ने कहा था कि एक इंसान ही तो बीमार है. यहां सब नियंत्रण में है. अगले महीने उन्होंने कहा कि ये बीमारी गायब हो जाएगी. आज अमेरिका में 5.96 लाख से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है. (फोटोःगेटी)
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने भी ऐसा ही रवैया अख्तियार किया. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने से मना कर दिया. बोल्सोनारो ने कहा कि यह एक साधारण सा फ्लू वायरस है. मार्च 2020 में उन्होंने कहा कि कोई लॉकडाउन नहीं लगेगा. सबकुछ चलता रहेगा. यहां वैक्सीनेशन की दर भी बहुत कम है. अब लोग बोल्सोनारो पर आरोप लगा रहे हैं कि उनकी लापरवाही की वजह से सामूहिक हत्याकांड हुआ है. ऐसी ही हालत तंजानिया और तुर्कमेनिस्तान में भी थी. जहां के राष्ट्रपति ने एक पौधे से कोरोना को हराने का बहाना दिया था.
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