विज्ञान

NASA ने चंद्रमा के लिए कौन दो अभियान जोड़े हैं आर्टिमिस 1 में, विशेष भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन

Tulsi Rao
5 Jun 2022 6:04 AM GMT
NASA ने चंद्रमा के लिए कौन दो अभियान जोड़े हैं आर्टिमिस 1 में, विशेष भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नासा (NASA) का आर्टिमिस अभियान (Artemis Mission) का पहला चरण पिछले कुछ महीने से आगे खिसकता जा रहा है. इस चरण में ना केवल पहली बार एसएलएस नाम के नए शक्तिशाली रॉकेट और अंतरिक्ष यान ओरियोन का परीक्षण होगा, बल्कि इस प्रक्षेपण में बहुत से परीक्षण और चीजें चांद (Moon) पर भेजी जाएंगी. इस सूची में दो नए उपकरण भी जुड़ गए हैं जिन्हें चंद्रमा पर परीक्षण के लिए भेजा जाएगा. इनमें से एक उपकरण को चंद्रमा के रहस्यमयी ग्रुइथिसन डोम्स (Gruithuisen Domes) का अध्ययन करेगा. यह पहली बार होगा जब इस तरह का अध्ययन किया जाएगा. इसके साथ ही दूसरा अभियान चंद्रमा की सतह पर जैविक शोध से संबंधित होगा.

हाल ही में आर्टिमिस से जोड़ा गया है इन्हें
नासा के मुताबिक दोनों ही उपकरणों में चंद्रमा पर कमर्शियल लूनार पेलोड सर्विस (CLPS) के जरिए उतारा जाएगा.इसे इसी दशक के लिए नियोजित किए गए बड़े चंद्र अन्वेषण अधोसंरचना के हिस्से के तौर पर तैयार किया गया था. लेकिन दोनों उपकरणों को हाल ही में आर्टिमिस एक चरण से जोड़ा गया है.
विशेष भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन
नासा के साइंस मिशन डायरेक्टरेट में अन्वेषण के लिए डिप्टी एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जोएल कर्न्स ने एक बयान में बताया कि पहले अभियान चंद्रमा पर संरक्षित हो चुकीं शुरुआती ग्रहीय पिंडों की भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करेगा. यह अध्ययन चंद्रमा की दुर्लभ प्रकार की ज्वालामुखी प्रक्रियाओं की पड़ताल करेगा.
जीवों पर वातारण का प्रभाव
कर्न्स के मुताबिक दूसरे अध्ययन में चंद्रमा के निम्न गुरुत्व और विकिरण वाले वातावरण के खमीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाएगा. यह प्रतिमान जीव पृथ्वी पर डीएनए को होने वाले नुकासन और सुधार को समझने के लिए उपयोग में लाया जाता है. यह भी अपने तरह का पहला प्रयोग होगा क्योंकि चंद्रमा के वातावरण का जीवों पर पड़ने वाले प्रभावों का अभी तक ऐसा अध्ययन नहीं किया गया है.
NASA, Moon, Artemis Mission, Artemis 1, Gruithuisen Domes, Lunar Exploration, ग्रुइथिसन डोम्स (Gruithuisen Domes) शुरू से ही वैज्ञानिकों के लिए पहेली बने हुए हैं. (तस्वीर: NASA/GSFC/Arizona State University)
चिपचिपे मैग्मा से बनी आकृति
पहले अभियान का नाम लूनार वुल्कन इमेजिंग एंड स्पैक्ट्रोस्कोपी एक्सप्लोरर (लूनार –VISE) रखा या है. पहली पड़ताल में पांच उपकरणों हैं जो ग्रुइथिसन डोम की शीर्ष का अन्वेषण करेंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये डोम या गुंबद के आकार की आकृतियां ज्वालामुखी के चिपचिपे मैग्मा से बने हैं जो सिलिका समृद्ध था. इसी तरह की संचरना पृथ्वी पर ग्रेनाइट की होती है. इन उपकरणों का उद्देश्य यह पता लगाना होगा कि ये आकृतियां बनी कैसे थीं.
लेकिन एक पहेली यह भी
ग्रुइथिसन डोम जैसी आकृतियां वैज्ञानिकों को भ्रमित कर रही हैं क्योंकि ऐसे डोम पृथ्वी पर केवल महासागरों और टेक्टोनिक प्लेट्स की उपस्थिति में ही बन सकते हैं. और ये दोनों ही चंद्रमा पर नहीं हैं. भेजा जा रहे पांच उपकरणों में से दो स्थाई लैंडर पर लगाए जाएंगे और तीन एक चलित रोवर पर लगाए जाएंगे जो चंद्रमा के एक दिन (पृथ्वी के दस दिन) तक डोम का अन्वेषण करेंगे.
NASA, Moon, Artemis Mission, Artemis 1, Gruithuisen Domes, Lunar Exploration, चंद्रमा (Moon) की सतह पर आंशिक गुरुत्व और अंतरिक्ष विकिरण के जैविक प्रभाव का अध्ययन भी जरूरी है. (फाइल फोटो)
चंद्रमा की सतह पर खास खमीर
दूसरे अभियान का उपकरण लूनार एक्स्प्लोरर इंस्ट्रूमेंट फॉर स्पेस बायोलॉजी एप्लिकेशन्स (LEIA) होगा जो वास्तव में एक क्यूब सेट आधारित उपकरण है. लेइया के जरिए नासा सैकारमैयसिस सरेविसाय (Saccharomyces cerevisiae ) खमीर को चंद्रमा की सतह पर भेजा जाएगा जिससे विकिरण और चंद्रमा के गुरुत्व के प्रति उसकी अनुक्रिया देखी जा सके. नासा का कहना है कि ऐसे हालात पृथ्वी या इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पैदा नहीं किए जा सकते हैं.
नासा ने इस प्रकार के खमीर को चुनने के पीछे का कारण यह बताया है कि वह मानव जीवविज्ञान के लिए एक अहम प्रतिमान है. इस अध्ययन से मिले आंकड़े वैज्ञानिकों को दशकों पुराने सवालों के जवाब दे पाएंगे कि आंशिक गुरुत्व और गहरे अंतरिक्ष के विकिरण संयुक्त रूप से जैविक प्रक्रियाओं को कैसे प्रभावित करते हैं.


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