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वो कौन सा देश है...जहां शादी के लिए धर्म अड़ंगा नहीं...शोध में ये बात आई सामने

Gulabi
16 Oct 2020 12:08 PM GMT
वो कौन सा देश है...जहां शादी के लिए धर्म अड़ंगा नहीं...शोध में ये बात आई सामने
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एक ओर दुनिया के ढेरों देश अपने मजहब से बाहर शादी को मान्यता नहीं देते, वहीं कई ऐसी भी जगहें हैं,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक ओर दुनिया के ढेरों देश अपने मजहब से बाहर शादी को मान्यता नहीं देते, वहीं कई ऐसी भी जगहें हैं, जहां सबसे ज्यादा अंतर-धार्मिक शादियां हो रही हैं. अमेरिका ऐसा ही एक देश है. प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Center) की शोध में ये बात सामने आई. वैसे दूसरी धार्मिक मान्यता वाली ये शादियां भी कुछ खास धर्म के लोग ही कर रहे हैं, जबकि ज्यादातर लोग अब भी अपने धर्म में ही शादी करते हैं.

क्या कहती है ताजा रिसर्च

प्यू रिसर्च सेंटर ने पुरानी और नई शादियों की तुलना करते हुए पाया कि अब के युवाओं में शादी के लिए धर्म अड़ंगा नहीं है. आज से दो दशक पहले जहां एक धर्म में शादी को तवज्जो थी, वहीं अब की पीढ़ी दूसरे धर्म में शादी से नहीं हिचक रही. इसी संगठन ने अमेरिका के ताजा ट्रेंड को रिलीजियस लैंडस्केप स्टडी के नाम से समझने की कोशिश की. इसमें बड़ी दिलचस्प बात सामने आई.

नया ट्रेंड बताता है कि साल 2010 से अब तक अमेरिका में जितनी भी शादियां हुई हैं, उनमें से हर 10 में से 4 अमेरिकी जोड़ा दूसरे धर्म को मानने वाला है. यानी कुल 39 प्रतिशत शादियां ऐसी हुई हैं. वहीं साल 1960 से पहले हुई केवल 19 प्रतिशत शादियां दूसरे धर्मों में हुईं.

ये शादियां किनके बीच हुई?

गैर धर्म में शादी के ये मामले क्रिश्चियन और ऐसे लोगों के बीच दिख रही है, जो किसी धर्म को नहीं मानते. ऐसे लोगों को नास्तिक की बजाए नन्स (nones) कहा जाता है, जो सबको मानते हुए किसी एक धर्म को फॉलो करने से इनकार कर देते हैं. यानी देखा जाए तो पिछले एक दशक में हुई सारी शादियों में अगर 39% अंतर-धार्मिक शादियां रहीं तो इनमें भी लगभग 18% विवाह किसी क्रिश्चियन और अधार्मिक शख्स में हुए. यानी हर पांच में से एक शादी इन्हीं समुदायों से बीच हुई.

क्या दूसरे धर्म में शादी असफल रहती है

दूसरे धर्म में की गई शादियों के असफल होने की आशंका अपने ही धर्म में हुई शादियों से ज्यादा होती है. रिलीजन और शादी बने रहने के बीच इस संबंध पर अमेरिका में स्टडी भी हो चुकी है, जो साइंस डायरेक्टर नाम के ऑनलाइन जर्नल में छपी. ये बताती है कि किसी धर्म विशेष में पढ़ाई-लिखाई और जीवन जीने के तरीके भी बदलते रहते हैं. ऐसे में शादी के बाद दो एकदम अलग-अलग सोच और हालातों से आए लोग साथ रहने में परेशान होते हैं और शादियां टूट भी जाती हैं. वहीं समान धर्म में शादी होने पर चूंकि कई बातें एक जैसी होती हैं, इसलिए सामंजस्य में मुश्किल नहीं आती.

रिसर्च में असफल शादियों का डाटा नहीं

प्यू रिसर्च सेंटर ने फिलहाल इस पर स्टडी नहीं की. उसने सिर्फ वहीं आंकड़े देखे, जिनमें शादियां बनी हुई हैं. हो सकता है कि साल 1960 में अंतर-धार्मिक शादियां कहीं ज्यादा हुई हों लेकिन फिर कपल के बीच तलाक हो गया हो. ऐसी शादियां स्टडी में शामिल नहीं हो सकीं.

लिव-इन में भी धर्म का बंधन टूटा

शादी से पहले एक-दूसरे के साथ रहने के लिए लोग अब अंत-धार्मिक रिश्ते से परहेज नहीं कर रहे. जैसा कि प्यू की स्टडी बताती है कि अमेरिका में 49%जोड़े जो शादी से पहले साथ रह रहे हैं, वे अलग-अलग धार्मिक सोच वाले हैं.

हिंदू-मुस्लिम अब भी अपने धर्म में जोड़े बना रहे

इसी स्टडी में एक और रोचक बात निकलकर आई. ये बताती है कि किस धर्म के लोग शादी में और शादी से पहले साथ रहते हुए अपने धर्म वालों को ही चुन रहे हैं. प्यू के मुताबिक यूएस में रहने वाले हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा है, जो अपने धर्म को मानने वालों से ही रिश्ता रखती है.

अमेरिका के 91% हिंदू और 79% मुस्लिम अपने ही धर्म को मानने वालों के साथ लिव-इन में रहते हैं या फिर शादी करते हैं. वहीं यहूदियों, कैथोलिक (प्रोटेस्टेंट्स) और किसी भी धर्म को न मानने वाले अपेक्षाकृत खुले हुए हैं. वे दूसरे धर्मों के साथ कपल के तौर पर रहना स्वीकार करते हैं.

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