विज्ञान

आखिर कहां से आया था पृथ्वी पर पानी?

Gulabi
18 Feb 2022 12:33 PM GMT
आखिर कहां से आया था पृथ्वी पर पानी?
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पृथ्वी पर पानी
पृथ्वी पर पानी (Water on Earth) क्या बाहर से आया था या फिर यहां पर पानी शुरू से ही मौजूद था. यह लंबे समय से बहस का विषय है. अधिकांश वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर पानी अंतरिक्ष से भारी मात्रा में बरसे उल्कापिंडों (Meteorites) और क्षुद्रग्रहों के जरिए आया था. वहीं कुछ वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि पृथ्वी पर पानी उसके निर्माण के समय से ही मौजूद था. हालिया अध्ययन में इस बात का समर्थन किया है. उन्हें इसके संकेत चंद्रमा से आए पत्थरों (Rocks from Moon) में मिले हैं.
अभी साफ नही हुआ है
सच यही है कि पृथ्वी पर पानी कहां से आया इस बात की पुष्टि अभी नहीं हो सकी है. फिर भी सामान्य तौर पर युवा पृथ्वी पर उल्कापिंडों की बारिश से पानी आने की धारणा को ही स्वीकार किया जाता है. लेकिन अपोलो युग में चंद्रमा से पृथ्वी पर लाए गए पत्थरों के नमूने इस धारणा को खारिज करने का संकेत दे रहे हैं.
पृथ्वी के साथ शुरू से था पानी
लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैबोरेटरी के शोधकर्ताओं की टीम के मुताबिक सबसे ज्यादा संभावित व्याख्या यही है कि पृथ्वी पर ही पानी बना था यानि यह पृथ्वी पर शुरू से ही था ना कि कहीं बाहर से आया था. लैबोरेटरी के कॉस्मोकैमिस्ट ग्रेग ब्रेनेका बताते हैं कि या तो पृथ्वी उसी पानी के साथ पैदा हुई थी जो आज यहां हैं या फिर हमसे वह चीज टकराई थी पूरी तरह से पानी से बनी थी जिसमें कुछ और ज्यादा नहीं था.
उल्कापिंडों से नहीं आ सकता है पानी
ब्रेनेका कहते हैं कि उनका कार्य इस संभावना को खत्म कर देता है कि पृथ्वी पर पानी उल्कापिंडों या क्षुद्रग्रहों के जरिए पहुंचा होगा और साथ ही इस बात के पक्के संकेत देता है कि पानी यहीं पर शुरू से रहा होगा. पृथ्वी पर इसके ऐतिहासिक संकेत बचे रहना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह लगातार बदलाव से गुजरती रही है.
चंद्रमा की अनुकूलता
पृथ्वी के इतिहास के लिए चंद्रमा एक बढ़िया स्थान है क्योंकि यह पुरातन काल से बदला नहीं हैं. यहां की चट्टानें वैसी ही हैं जैसी अरबों साल पहले थीं. चंद्रमा का निर्माण दो पिंडों के टकराने से बना था. इनमें से एक मंगल के आकार का पिंड था और दूसरा हमारी पृथ्वी से कुछ छोटा था इस टकराव से पृथ्वी और चंद्रमा बने थे.
चंद्रमा पर बने रहे थे प्रमाण
इस घटना के संकेत पृथ्वी पर समय के साथ बदलावों के साथ खो गए थे. लेकिन चंद्रमा में किसी तरह की प्लेट टेक्टोनिक और मौसमी बदलाव जैसा कुछ नहीं होता है , इसलिए यहां के या भूगर्भीय प्रमाण यहीं सुरक्षित रह गए थे. इसके बाद भी चंद्रमा पर हुए उल्कापिंडों के टकरावों की संभावना कायम थी, लेकिन नासा के अपोलो अभियान में लाए गए नमूने अपरिवर्तित ही पाए गए थे.
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