विज्ञान

आखिर कहां से आए थे पृथ्वी को बनाने वाले उल्कापिंड?

Gulabi Jagat
16 March 2022 4:51 PM GMT
आखिर कहां से आए थे पृथ्वी को बनाने वाले उल्कापिंड?
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पृथ्वी को बनाने वाले उल्कापिंड के बारे में
पृथ्वी (Earth) पर जीवन के पनपने के आधार बनने वाले खनिजों के बारे में कहा जाता है कि वे सौरमंडल की मुख्य क्षुद्रग्रह की पट्टी (Asteroid Belts) के बाहर से आए थे. प्रमाण सुझाते हैं कि ये खनिज केवल कम तापमान पर ही स्थिर रह सकते हैं. ये क्षुद्रग्रह सुदूर कक्षाओं में बने थे और ये पृथ्वी की संरचना (Composition of Earth) की व्याख्या करने में सक्षम हैं.
पृथ्वी (Earth) पर जीवन के निर्माण को संभव बनाने वाले खनिज और पानी यहां कैसे आए यह विवाद का विषय रहा है. क्या ये जरूरी तत्व पृथ्वी पर ही विकसित हुए या फिर वे बाहर से उल्कापिंडों के जरिए पृथ्वी पर आए इस कई बार प्रमाण दिए गए हैं. नए अध्ययन में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि जो खनिज क्षुद्रग्रह (Asteroids) के जरिए पृथ्वी पर आए और जीवन के पनपने के लिए जिम्मेदार थे. वे वास्तव में हमारे सौरमंडल (Solar System) के बाहरी हिस्से से आए थे. इतना ही नहीं हाल ही में आने वाले समय में पृथ्वी पर लाए जाने वाले क्षुद्रग्रहों के नमूने किस तरह के होंगे इसका भी पूर्वानुमान लगाया गया है.
माना जाता रहा है कि हमारा सौरमंडल (Solar System) 4.6 साल पहले सूर्य (Sun) के आसपास बने गैस और धूल के बादलों से पनपना शुरू हुआ था. जब ये बादल सिकुड़ना शुरू हुए तो एक केंद्र में सूर्य का चक्कर लगाती हुई एक डिस्क का सिस्टम (Disk System) बन गया. हमारे सौरमंडल की पूरी संरचना इसी तंत्र से आई है. जहां सूर्य के पास पदार्थ जमा होता रहा और नाभकीय संलयन शुरू होने के कारण वह एक तारा बन गया, डिस्क में भी कई जगह पदार्थ जमा होने लगा और वह ग्रहों का रूप लेने लगे. सूर्य के असर से बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल जहां पथरीले ग्रह बने तो वहीं बाहरी ग्रह हलके पदार्थों से बने.
पृथ्वी (Earth) के बारे में माना जाता है कि वहां भारी तत्व या हलकेतत्व कार्बन वाले उल्कापिंड (Meteorites) से आए थे वे क्षुद्रग्रह पट्टी (Asteroid Belt) के बाहर से आए थे. इस पट्टी के बाहर के इलाकों के टेलीस्कोप से हुए अवलोकनों से पता चला है कि यहां केवल कम तापमान में रह पाने वाले खनिज रह सकते हैं जिसें बर्फ भी शामिल है. पता चलता है कि कार्बन युक्त उल्कापिंड यहीं के क्षुद्रग्रह से आए थे. जबकि पृथ्वी पर पाए गए उल्कापिंड सामान्य तौर पर ऐसे नहीं थे. टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं का नया अध्ययन सुझाता है कि बाहरी सौरमंडल में क्षुद्रग्रह के खनिज आंतरिक हिस्से में आए. इन बाहरी क्षुद्रग्रह के खनिजों में अमोनिया वाली मिट्टी घने पानी की अवस्थाओं में बहुत कम तापमान पर स्थिर रह पाते हैं.
इस अध्ययन का कहना है कि क्षुद्रग्रह की बाहर की पट्टी (Asteroid Belts) के पिंड सुदूर कक्षाओं में बने और अलग तरह के मैंटल और क्रोड़ के भी थे. टीम ने कम्प्यूटर सिम्यूलेशन (Computer Simulations) के जरिए पता लगाया कि पुरातन क्षुद्रग्रह के खनिज (Minerals) कैसे विकसित हुए होंगे. उन्होंने पाया कि आज की स्थिति तक पहुंचने के लिए इन पदार्थों में बहुत कम तापमान पर बहुत सा पानी और अमोनिया, लेकिन कम कार्बन डाइऑक्साइड रहा होगा. इससे पता चलता है कि ये क्षुद्रग्रह और ज्यादा बाहर की जगहों पर बने होंगे. वहीं अन्य तरह के उल्कापिंड उन क्षुद्रग्रहों के होंगे जो आंतरिक हिस्सों में बने होंगे जहां तापमान कहीं ज्यादा रहा होगा.
अध्ययन सुझाता है कि पृथ्वी (Earth) के निर्माण और उसके विशेष गुण सौरमंडल (Solar System) के निर्माण की विशेष हालतों का नतीजा थे. इस मॉडल का परीक्षण करने के लिए बहुत से मौके आएंगे. जैसे इस अध्ययन का विश्लेषण हायाबुसा 2 (Hayabusa-2) के नमूनों में क्या मिलेगा इसका भी पूर्वानुमान लगाता है. इसके मुताबिक हायाबुसा के नमूनों में अमोनिया वाले नमक और खनिज होने चाहिए. इसी तरह यह अध्ययन नासा के ओसाइरिस-रेक्स अभियान के नमूने के बारे में भी अनुमान लगा रहा है.
इस अध्ययन में इस बात की भी पड़ताल की गई क्या क्षुद्रग्रह की पट्टी (Asteroid Belt) के बाहर के भौतिक और रासायनिक हालात अवलोकित खनिजों (Minerals) को निर्माण कर सकते हैं या नहीं. क्षुद्रग्रहों की सुदूर और ठंडे जगह पर उत्पत्ति होने से क्षुद्रग्रह और धूमकेतू (Comets) के बीच काफी समानता होने के संकेत भी मिलते हैं. इसके साथ ही इन दोनों तरह के निर्माण की प्रक्रियाओं पर भी प्रश्न उठते हैं.
अध्ययन सुझाता है कि पृथ्वी (Earth) पर पाए गए पदार्थ सौरमंडल (Solar System) के शुरुआत में बहुत दूर निर्मित हुए होंगे और सौरमंडल के उथल पुथल वाले काल में पृथ्वी की ओर आए होंगे. आटाकामा लार्ज मिलीमिटीर सबमिलीमीटर ऐरे (ALMA) के जरिए गए प्रोटो प्लैनेटरी डिस्क के हालिया अवलोकन कई छल्लेदार संरचना के बारे में बताते हैं जिनके बारे में माना जाता है कि ये ग्रह के निर्माण के बारे में बता रहे होंगे. शोधकर्ताओं को विश्वास है कि उनका अध्ययन सौरमंडल इतिहास के बारे में जानकारी स्पष्ट कर सकेगा.
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