विज्ञान

जीन एडिटिंग तकनीक से पहली बार उगाया गया गेहूं, शोधकर्ताओं का कहना है कैंसर के खतरे को करेगा कम

Tara Tandi
7 Sep 2021 4:10 AM GMT
जीन एडिटिंग तकनीक से पहली बार उगाया गया गेहूं, शोधकर्ताओं का कहना है कैंसर के खतरे को करेगा कम
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ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कैंसर का खतरा घटाने के लिए गेहूं की नई किस्म विकसित की है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कैंसर का खतरा घटाने के लिए गेहूं की नई किस्म विकसित की है। वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग तकनीक से गेहूं की नई प्रजाति से एसपर्जिन नाम के अमीनो एसिड की मात्रा को घटा दिया है।

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हर्टफोर्डशायर में गेहूं की जेनेटिकली मोडिफाइड किस्म उगा रहे हैं। यह प्रोजेक्ट पांच साल तक चलेगा। यह पहली बार है जब जीन एडिटिंग तकनीक से यूके या यूरोप में गेहूं उगाया गया है। चीन और अमेरिका में ऐसा पहले हो चुका है।

अमीनो एसिड 90 फीसदी कम: प्रो. हाफोर्ड कहते हैं, नई प्रजाति की जांच करने पर इसमें से एक्रेलामाइड की मात्रा दूसरी सामान्य गेहूं की प्रजाति से 90 फीसदी तक कम था। नई प्रजाति से लोगों के खान-पान और पैकेज फूड से एक्रेलामाइड का खतरा कम होगा।

एसपर्जिन को हटाया जाता

शोधकर्ताओं का कहना है, जब आम गेहूं से तैयार ब्रेड को बेक्ड या रोस्ट किया जाता है तो इसमें मौजूद एसपर्जिन कैंसर फैलाने वाले तत्व एक्रेलामाइड में बदल जाता है। यह कैंसर की वजह बन सकता है। शोधकर्ताओं ने जीन एडिटिंग करके गेहूं की नई प्रजाति से इसी एसपर्जिन को हटा दिया है।

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