विज्ञान

क्या कहती है स्टडी, मनोवैज्ञानिक समस्याओं की गिरफ्त में आ चुकी चीनी सेना

Kajal Dubey
2 Feb 2021 1:04 PM GMT
क्या कहती है स्टडी, मनोवैज्ञानिक समस्याओं की गिरफ्त में आ चुकी चीनी सेना
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पड़ोसी देशों से साउथ-चाइना सी को लेकर विवाद में उलझे चीन के सैनिक अब थकने लगे हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पड़ोसी देशों से साउथ-चाइना सी को लेकर विवाद में उलझे चीन के सैनिक अब थकने लगे हैं. लंबे समय का तनाव उनपर मनोवैज्ञानिक समस्याओं के रूप में दिखने लगा है. खुद वहां की सरकारी रिपोर्ट में बताया गया कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी के हर 5 में से 1 सैनिक में अवसाद या दूसरी समस्याएं आ चुकी है .

क्या कहती है स्टडी
चीन की खबरें देने वाले साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में इस हवाले की खबर आई. इसमें बताया गया है कि कैसे लगातार तनाव का असर चीनी सैनिकों की सेहत पर हुआ. शंघाई के नौसैनिक चिकित्सकीय विश्वविद्यालय ने 580 नौसैनिकों पर ये स्टडी की. इसमें पाया गया कि लगभग 21 प्रतिशत सैनिक किसी न किसी मानसिक समस्या का शिकार हैं.
नौसैनिक ज्यादा तनाव में
स्टडी में देखा गया कि खासतौर पर साउथ चाइना सी में तैनात नौसैनिक सबसे ज्यादा परेशान हैं, लेकिन बाकी सेना के हाल भी खास बेहतर नहीं. वे सभी थकान, घबराहट और अवसाद जैसी गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्या से जूझ रहे हैं.
पहले भी आ चुकी है रिपोर्ट
इससे पहले चीन के सैनिकों के शारीरिक हालातों की रिपोर्ट भी लीक हुई थी, जिसके नतीजे भी अच्छे नहीं. बात ये है कि चीनी सेना में भर्ती के लिए आ रहे चीनी युवा ही कई शारीरिक समस्याओं के शिकार हैं. खुद चीनी सेना के न्यूजपेपर पीपल्स लिबरेशन आर्मी डेली के मुताबिक मोटापे की वजह से ज्यादातर युवा भर्ती के दौरान छंट जाते हैं. हालात इतने खराब हैं कि साल 2017 में भर्ती परीक्षा के दौरान 56.9 प्रतिशत लोगों को सिर्फ फिजिकल टेस्ट में फेल कर दिया गया.
भर्ती में हो रही समस्या
वैज्ञानिक जर्नल द लैंसेट की एक स्टडी भी इस बारे में संकेत देती है कि कैसे चीनी युवा लगातार मोटापे का शिकार हुए हैं. साल 2016 की इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा ओवरवेट लोग चीन में हैं. इनमें 42 मिलियन से ज्यादा आबादी युवा पुरुषों की है. कई दूसरी वजहों से भी लोग सेना में जगह नहीं पा रहे हैं. जैसे बहुत ज्यादा अल्कोहल या फिर कोल्ड ड्रिंक पीने के कारण 25% युवा ब्लड और यूरिन टेस्ट पास नहीं कर सके. 46% इसलिए फेल हुए क्योंकि उनकी आंखें कमजोर हो चुकी थीं. वहीं बहुतों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी दिखीं.
क्यों परेशान हैं चीनी सैनिक
मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण है चीनी सैनिकों का लगातार तनाव में रहना. बता दें कि चीन लगभग दशकभर से दक्षिणी चीन सागर पर अपना कब्जा करने की फिराक में है. इसके लिए वो 6 देशों से बैर ठाने हुए है. इनके अलावा चीन की मौजूदा सरकार अपने विस्तारवादी रवैये के चलते भारत से भी सीमा विवाद में उलझी हुई. इधर चीन की आर्थिक मजबूती से डरा हुआ अमेरिका भी चीन पर भड़का बैठा है. जाहिर है, ऐसे में चीन अपनी सैन्य ताकत पर भरोसा किए हुआ है. जिनपिंग सरकार आएदिन अपनी सैन्य ताकत की नुमाइश कभी आसमान तो कभी जल में कर रही है. ये एक वजह है कि सैनिक तनाव में हैं क्योंकि उनपर लगातार किसी जंग के लिए तैयार रहने का दबाव है.
सैनिकों की कद्र नहीं
इसके अलावा चीन में सैनिकों की खास पूछ न होना भी उनके भविष्य को असुरक्षित बना रहा है. साल 2020 का ही वाकया लें तो लद्दाख सीमा पर भारत से हिंसक झड़प में चीन का भी नुकसान हुआ. अटकलें लगीं कि चीन के 41 जवान मारे गए. हालांकि चीन ने एक बार भी इसपर आधिकारिक बयान नहीं दिया. यहां तक कि चीनी सोशल मीडिया पर अपनी ही सरकार से इसे लेकर भी सवाल हुए लेकिन उन सवालों को दबाते हुए कथित तौर पर सैनिकों का चुपके से अंतिम संस्कार कर दिया गया.
इससे समझ आता है कि चीनी सरकार को अपने ही सैनिकों की खास कद्र नहीं. यहां तक कि देश के लिए उनके मारे जाने पर सरकार उनकी चर्चा नहीं करती, और न ही परिवार का खयाल रखने जैसी कोई खबर कभी आई. ऐसे में सैनिकों पर दबाव भी स्वाभाविक है.
चीन की सेना कितनी ताकतवर
इस बीच ये भी समझते चलें कि जिस सेना की चीन लगातार नुमाइश कर रहा है, वो कितनी मजबूत है. चीनी आर्मी में कुल 21,83,000 सैनिक हैं. इनके अलावा 510000 सैनिक रिजर्व में भी हैं जो जरूरत में काम आ सकते हैं. एयरफोर्स के मामले में चीन काफी आगे हैं. उसके पास 3210 विमान हैं, जिसमें 1232 फाइटर एयरक्राफ्ट हैं. नौसेना की बात करें तो बीते समय में चीन ने समुद्र में खुद को सुपर पावर बनाने के लिए तेजी से नौसेना पर काम किया. फिलहाल नौसेना के मामले में चीन के पास 1 युद्धपोत (Aircraft), 48 विमान वाहक युद्धपोत, 51 लड़ाकू युद्धपोत, 35 विध्वंसक युद्धपोत, 35 छोटे जंगी जहाज, 68 पनडुब्बियां, 220 गश्‍ती युद्धपोत और 714 समुद्री बेड़े हैं.
साइकोलॉजिकल जंग करने में माहिर था
फिलहाल खुद मनोवैज्ञानिक समस्याओं की गिरफ्त में आ चुकी चीनी सेना वैसे अपने मनोवैज्ञानिक युद्ध के लिए जानी जाती रही. साल 1962 में भी भारत से युद्ध के दौरान चीन ने यही पैंतरा आजमाया था. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में एक पूर्व भारतीय सेना प्रमुख ने बताया था कि कैसे तब सीमा पार से चीन पंजाबी गाने बजाया करता था. कई बार हिंदी में भड़काऊ बातें भी करता था ताकि भारतीय सैनिक आपा खो बैठें और ऐसा कुछ करें जो चीन के पक्ष में चला जाए. साल 2020 के मध्य में जब दोनों देशों के बीच तनाव गहराया हुआ था, तब भी चीन के सैनिक पंजाबी गाने बजाते हुए बीच-बीच में हिंदी में भड़काऊ बातें कह रहे थे. ये बातें सरकार के खिलाफ थीं.


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