विज्ञान

क्या है प्लूटो की अजीब और अस्थिर कक्षा का रहस्य

Subhi
28 April 2022 5:36 AM GMT
क्या है प्लूटो की अजीब और अस्थिर कक्षा का रहस्य
x
हमारे सौरमंडल (Solar System) का हर ग्रह अनोखा है. अलग विशेषताओं से परिपूर्ण इन ग्रहों में अनेक ऐसे गुण हैं जो अपने आप में विलक्षण हैं. लेकिन प्लूटो ऐसा पिंड है जो पहले ग्रह की श्रेणी में रखा गया, फिर उसे बाहर किया गया और अभी तक विवाद थमा नहीं

हमारे सौरमंडल (Solar System) का हर ग्रह अनोखा है. अलग विशेषताओं से परिपूर्ण इन ग्रहों में अनेक ऐसे गुण हैं जो अपने आप में विलक्षण हैं. लेकिन प्लूटो (Pluto) ऐसा पिंड है जो पहले ग्रह की श्रेणी में रखा गया, फिर उसे बाहर किया गया और अभी तक विवाद थमा नहीं हैं कि वह ग्रह होना चाहिए या नहीं. फिर भी ग्रह की श्रेणी में होने या ना होने से वैज्ञानिकों को फर्क नहीं पड़ता दिखा है और उस पर शोध अभी उसी तरह से जारी है जब उसे ग्रह माना जाता था. नए अध्ययन में प्लूटो ग्रह की कक्षा (Orbit of Pluto) की स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है और जिसमें रोचक जानकारी मिली है.

सौ साल भी नहीं हुए हैं खोज को

प्लूटो की खोज 1930 के आसपास की गई थी और तभी से यह एक दिलचस्पी का विषय बना हुआ है. साल 2015 में नासा के न्यू होराइजन्स प्लूटो के पास से गुजरने वाला यान है. प्लूटो की कक्षा के बारे में शुरू से ही स्पष्ट था कि यह बहुत ज्यादा असामान्य और टेढ़ी है. नए शोध में पता चला है कि प्लूटो की कक्षा लंबे कालक्रम के लिहाज से स्थिर, लेकिन छोटे कालक्रम के लिहाज से उथल पुथल वाली है.

प्लूटो कीअनोखी कक्षा

एरिजोना यूनिवर्सिटी की लूनार एंड प्लैनेटरी लैबोरेटरी में प्रोफेसर रेणु मल्होत्रा, और क्यूबा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर तकाशी इतो के इस शोध के नतीजे प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित हुआ है. इसके मुताबिक प्लूटो की कक्षा मूल रूप उन ग्रहों की कक्षाओं से अलग है जो सूर्य की लगभग वृत्ताकार परिक्रमा करते हैं. सूर्य इन कक्षा की भूमध्य रेखा के पास और बाहर की ओर होता है जिससे कक्षा थोड़ी दीर्घवत्ताकार हो जाती है.

यह असामान्यता कैसे

वहीं प्लूटो की कक्षा पृथ्वी के 248 साल के समय की होती है यानि वह सूर्य का एक चक्कर लगाने में इतने सालों का वक्त लगाता है. यह कक्षा बहुत ज्यादा दीर्घवत्ताकार होती है और सौरमंल के तल से 17 डिग्री झुकी भी होती है. कक्षा का उत्केंद्रित हो कर असामान्य होने के मतलब यह है कि प्लूटो अपने हर चक्कर में से 20 साल ऐसे गुजारता है जब वह नेप्च्यून के पास और उसके प्रभाव में होता है.

एक खास गुण

प्लूटो की कक्षा की प्रकृति एक लंबे समय से रहस्यमयी है. इसकी खोज होने के बाद जल्दी ही वैज्ञानिकों ने इसे भी खोज लिया था. तभी से बहुत सारे ऐसे प्रयास हो रहे हैं जिससे इसकी कक्षा के इतिहास और भविष्य की जानकारी मिल सके. लेकिन जैसे जैसे अध्ययन होते गए, पता चला कि प्लूटो के पास एक हैरान करने वाली विशेषता है जो उसे नेप्च्यून ग्रह से टकराने से बचा लेती है.

विशेष तरह का कक्षीय अनुकंपन

मल्होत्रा का कहना है कि यह कक्षीय अनुकंपन या ऑर्बिटल रजोनेन्स की विशेष स्थिति है जिसे मीन मोशन रेजोनेन्स कहते हैं. इसमें यह सुनिश्चित होता है कि जब प्लूटो और नेप्चूयन सूर्य से एक समान दूरी पर होते हैं तब दोनो के देशांतर एक दूसरे से 90 अंश की दूरी पर होते हैं. बाद में एक विशेषता का और भी पता चला कि जब प्लूटो सूर्य के सबसे पास होता है और नेप्च्यून की कक्षा के काफी ऊपर होता है तब यहां अलग तरह का अनुकंपन होता है जिसे vZLK कंपन ( Oscillation) कहते हैं.


Next Story