विज्ञान

क्या है इसरो का POEM प्लेटफार्म और अंतरिक्ष कचरे के लिहाज से क्यों है अहम

Subhi
2 July 2022 3:56 AM GMT
क्या है इसरो का POEM प्लेटफार्म और अंतरिक्ष कचरे के लिहाज से क्यों है अहम
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जब भी कोई कृत्रिम उपग्रह का प्रक्षेपण होता है तो उसके रॉकेट का अंतिम चरण कचरा बन जाता है, लेकिन लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो ने इस चरण को कचरा बनने देने की जगह उपयोग में लाने का काम किया है.

जब भी कोई कृत्रिम उपग्रह का प्रक्षेपण होता है तो उसके रॉकेट का अंतिम चरण कचरा बन जाता है, लेकिन लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो (Indian Space Research Organisation, ISRO) ने इस चरण को कचरा बनने देने की जगह उपयोग में लाने का काम किया है. 30 जून को ही उसके द्वारा प्रक्षेपित पी.एस.एल.वी.-सी53/डी.एस.-ई.ओ. (PSLV C53/DSEO) अभियान में वह पोएम (POEM) नाम की तकनीक का उपोयग कर प्रक्षेपण यान के चौथे चरण को उपयोगी बनाएगा. इसमें चरण द्वारा सैटेलाइट को कक्षा में पहुंचाने के बाद उसे वैज्ञानिक प्रयोगों के मंच के तौर पर उपयोग में लाया जाएगा.

क्या है ये POEM?

पोएम दरअसल पीएसएलवी कक्षीय प्रयोगात्मक मॉड्यूल (POEM) एक प्लेटफॉर्म या मंच है जो वैज्ञानिकों को कक्षा में ही प्रयोग करने के अवसर प्रदान करेगा. इसके लिए इसरो के पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल के अंतिम या चौथे चरण के हिस्से का उपयोग किया जाएगा जो समान्य तौर पर प्रक्षेपण की भूमिका खत्म होने के बाद खारिज हो जाता है.

पीएसएलवी का चौथा चरण

पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल चार चरणों वाला रॉकेट है, जिसके पहले तीन चरण तो महासागर में गिर जाते हैं, लेकिन अंतिम या चौथा चरण जिसे PS4 भी कहते हैं, सैटेलाइट को अपनी कक्षा पहुंचाने के बाद केवल एक अंतरिक्ष का कचरा भर रह जाता है. लेकिन जब इसरो ने गुरुवार को पीएसएलवी-सी53 का प्रक्षेपण किया तो इसके चौथे चरण को प्रयोग करने के लिए एक स्थिर मंच के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है.

पहली बार पृथ्वी का चक्कर

इस प्रक्षेपण से पहले इसरो ने अपने बयान में कहा था कि यह पहली बार होगा जब PS4 चरण एक स्थिर मंच की तरह पृथ्वी का चक्कर लगाएगा. इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने प्रक्षेपण के बाद मिशन कंट्रोल से अपने संबोधन में कहा कि मूल अभियान के बाद चौथा चरण कक्षा में पोयम (कविता) लिखेगा.

मंच के लिए मस्तिष्क वाला तंत्र

पोएम मे छह नीतभार या पेलोड हैं जिसमें दो भारतीय स्पेस स्टार्टअप दिगांतर और ध्रुव स्पेस के है. इसरो के मुताबिक पोएम में एक नेविगेशनल गाइडेंस एंड कंट्रोल सिस्टम अभिवृत्ति स्थिरीकरण के लिए ही नियत है जिसका मकसद किसी भी अंतरिक्ष में स्थित व्हीकल के विन्यासीकरण को नियंत्रित करने के लिए था. एजीसी इस मंच के लिए मस्तिष्क का काम करेगा जिससे स्थिरता वांछनीय सटीकता के साथ हासिल की जा सके.

क्या क्या है पोएम में

पोएम अपनी ऊर्जा सौर पैनलों से हासिल करेगा जो पीएस4 टंकी पर लगे हुए होंगे. इसमें एक लीथियम आयन बैटरी भी होगी. पोएम चार सूर्य सेंसर्स, एक मैग्नेटोमीटर, जायरोस आदि का उपयोग नौसंचालन के लिए करेगा. इसरो ने बताया की यह अपने साथ एक समर्पित नियंत्रित थ्रस्टर्स भी अपने साथ ले गया है जो हीलियम गैसे का उपयोग करेगे. इसमें एक टेलीकमांडल फीचर भी है.

पहले भी किया है ऐसा प्रयोग

इससे पहले इसरो ने साल 2019 में भी PS4 को कक्षीय मंच की क्षमता के रूप में प्रदर्शित किया था. उसने पीएसएलवी सी44 अभियान के साथ माइक्रोसैट आर और कलामसैट वी2 सैटेलाइट को उनकी कक्षा में स्थापित किया था. उस अभियान में भी चौथे चरण को अंतरिक्षीय प्रयोगों के लिए एक कक्षीय मंच के तौर पर सक्रिय रखा गया था.

लेकिन इस बार बात कुछ अलग है. उस अभियान में चौथे चरण में लीथियम आयन थे,लेकिन इस बार सौर पैनलों को जोड़ा गया है. इस अभियान में कक्षीय मंच की स्थिरता को ज्यादा महत्व दिया गया है और इस बार वह पृथ्वी की चक्कर भी लगाएगा. इसरो की यह तकनीक अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे को कम करने के साथ ही कक्षा में उपग्रह और अन्य पेलोड को सटीकता से पहुंचाने में सहायक होगी.


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