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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुपरनोवा (Supernoae) यूं तो मरते हुए तारे के विस्फोट (Explosion after Dead Star) को कहते हैं, लेकिन इसके कई प्रकार हमें ब्रह्माण्ड के साथ उसके अलग अलग पिंडों की भी जानकारी भी देते हैं. लेकिन सुपरनोवा और उनके बाद से बने कई अलग अलग तरह के पिंडों की जानकारी के बाद भी वैज्ञानिक यह पता नहीं लगा सके हैं कि आखिर सुपरनोवा विस्फोट का कारक क्या है. सुपरनोवा के स्रोत के विस्तृत अध्ययन करने के प्रयास में अब वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर प्रतिमान (Computer Modeling) के जरिए दर्शाया है कि कैसे D6 नाम का सुपरनोवा हजारों साल के समय में विकसित होता है.
सुपरनोवा का महत्व
RIKEN क्लस्टर फॉर पायोनियरिंग रिसर्च ने इस अध्ययन में यह नई जानकारी हासिल की गई है. खगोलविज्ञान में सुपरनोवा बहुत अहम माने जाते हैं क्योंकि इनमें से la प्रकार के सुपरनोवा को मानक मोमबत्ती की तरह माना जाता है जिनसे दूरियां मापी जाती हैं. वास्तव में इन्हीं का उपयोग करते हुए ही शुरुआती अवलोकनकर्ताओं ने पता लगाया था कि ब्रह्माण्ड तेजी से विस्तारित हो रहा है.
D6 प्रकार के सुपरनोवा की उत्पत्ति
सामान्यतः माना जाता है कि la प्रकार के सुपरनोवा तारों का ईंधन खत्म होने के बाद सफेद बौने बनने के बाद होने वाले विस्फोट से पैदा होते हैं. लेकिन हाल ही में खोजे गए तेजी से घूमने वाले सफेद बौनों की खोज ने नए D6 प्रकार के सुपरनोवा की उत्पत्ति की खोज की प्रस्तावित प्रणाली की विश्वसनीयता में इजाफा किया है.
दो सफेद बौनों का तंत्र
इस परिदृश्य में द्विज तंत्र के दो सफेद बौनों में से एक में दोहरा धमाका होता है जिसे डबल डेटोनेशनल कहते हैं. इसमें हीलियम की परत की सतह पर पहले फूटती है जिससे तारे की कार्बन ऑक्सीजन क्रोड़ में बड़ा विस्फोट होता है . इसे वह तारा खत्म हो जाता है और दूसरा तारा अचानक ही पहले तारे के गुरुत्व बंधन से मुक्त हो जाता है और तेजी से दूर तेजी से बाहर की ओर चला जाता है.
Space, Supernova, Supernovae, Star, Binary stars, white Dwarfs, Supernova la Type, Supernova D6, Computer Modelling, Supernova Remnant, सुपरनोवा (Supernova) की प्रक्रिया पूरी होने में हजारों साल का समय लगता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
सिम्यूलेशन के जरिए अध्ययन
शुरुआती विस्फोट के बाद इस लंबी घटनाओं के बात की प्रक्रियाओं और प्रणालियों के बारे में बहुत कम जानकारी है. इसी की पड़ताल करने के लिए शोधकर्ताओं ने सुपरनोवा के विस्फोट के हजारों साल बाद के अवशेषों के विकास का सिम्यूलेशन के जरिए अध्ययन किया. जिसमें वे D6 प्रकार के सुपरनोवा के स्रोत के बारे में जानकारी हासिल कर सके.
और मिली जानकारी
इसी के आधार वैज्ञानिक इस तंत्र के बारे में कई तरह की जानकारी हासिल करने में सफल रहे जो इस खास परिस्थिति से पैदा हुए सुपरनोवा की ही थी. इसमें एक काले धब्बे के आसपास एक चमकीले छल्ला भी देखा गया. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि प्रचलित धारणा के विपरीत la प्रकार के सुपरनोवा विस्फोट की अवशेष हमेशा ही समरूप नहीं होते है.
हजारों साल बाद इस सुपरनोवा
हजारों साल के बाद के संकेत
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक गिलीज फेरैंड ने बताया कि D6 सुपरनोवा का एक विशेष आकार होता है. लेकिन यह निश्चित नहीं किया जा सका है कि यह शुरुआती घटना के लंबे समय के बाद के अवशेषों में दिखाई देगा या नहीं. लेकिन वास्तव में शोधकर्ताओं ने एक विशेष तरह के संकेत दिखे जो विस्फोट के हजारों साल बाद भी देखे जा सकते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पड़ताल अहम है क्योंकि इसका असर सुपरनोवा को खगोलीय मापदंड के तौर पर हो रहे उपयोग पर भी पड़ेगा. इनके बारे में माना जाता था कि सभी सुपरनोवा एक ही परिघटना से पैदा होते हैं. लेकिन अगर उनमें विविधतता है, तो उनके उपयोग पर पुनर्विचार करने की जरूरत होगी. फिर भी शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इससे खगोलविदों और वैज्ञानिकों को आगे इस विषय पर अध्ययन करने में मदद मिलेगी.
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