विज्ञान

क्या होती हैं टोंगो ज्वालमुखी से अंतरिक्ष तक पहुंचीं वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगें

Subhi
16 July 2022 3:25 AM GMT
क्या होती हैं टोंगो ज्वालमुखी से अंतरिक्ष तक पहुंचीं वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगें
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जनवरी 2022 में हुंगा टोंगो में हुए ज्वालामुखी विस्फोट अपने आप में बहुत ही अलग ज्वालामुखी विस्फोट था. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने माना कि यह अब तक के अवलोकित ज्वालामुखी विस्फोटों में से सबसे शक्तिशाली और दूरगामी प्रभाव फैलाने वाले ज्वालामुखियों में से एक था.

जनवरी 2022 में हुंगा टोंगो में हुए ज्वालामुखी (Hunga Tongo Volcano) विस्फोट अपने आप में बहुत ही अलग ज्वालामुखी विस्फोट था. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने माना कि यह अब तक के अवलोकित ज्वालामुखी विस्फोटों में से सबसे शक्तिशाली और दूरगामी प्रभाव फैलाने वाले ज्वालामुखियों में से एक था. समुद्र के अंदर हुए इस विस्फोट के बारे में वैज्ञानिकों को यह भी कहना है कि यह विज्ञान के लिहाज से भी अनोखी घटना थी जिससे ऐसी तरंगें पैदा हुई जो पूरी पृथ्वी (Earth) तक फैंली और वायुमंडल के आयनमंडल में 100 किलोमीटर तक गई थीं. इस अध्ययन के सैटेलाइट अवलोकन बताते हैं कि इससे निकली वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगे (Atmospheric Gravity Waves) अंतरिक्ष तक को छू गई थी.

बहुत ही विलक्षण घटना

बाथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अगुआई में हुआ यह शोध हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ था. इस अध्ययन में सैटेलाइट आंकड़ों के साथ ही जमीन से किए गए अवलोकनों को शामिल करते हुए दर्शाया गया कि यह विस्फोट अवलोकित विज्ञान में मात्रा और गति के लिहाज से में बहुत ही विलक्षण था. इसकी एक खास बात यह थी कि इसने तेजी से चलने वाले गुरुत्व और वायुमडंलीय तरंगों को भी पैदा किया था.

क्या होती हैं वायुमंडलीय तरंगें

वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगें को लेकर एक भ्रम हो जाता है. वास्तव में ये खगोलभौतिकीय गुरुत्वाकर्षण तरंगें नहीं हैं. दरअसल गुरत्व तरंगें लंबवत तरंगें होती हैं. किसी प्रणाली से शुरू हुई ये तरंगें हवा को लंबवत विस्थापित करती हैं जिससे गुरुत्व तरंगें पैदा होती हैं. पहाड़ों से टकरा कर और आंधी तूफानों के कारण ऊपर की ओर जाने वाली हवा से भी गुरुत्व तरंगें पैदा होती है.

कैसे पैदा हुईं ये तरंगें

दिसंबर 2021 में हुंगा टोंगो में छोटी भूकंपीय घटनाओं की शृंखला की शुरुआत हुई थी. इसके बाद 15 जनवरी को वहां एक विशाल ज्वालामुखी विस्फोट हुआ. इससे एक लंबवत गुबार निकला जो 50 किलोमीटर ऊपर तक गया. पानी से निकली ऊष्मा और गर्म राख अगले 12 घंटों के लिए गुरुत्व तरंगों के सबसे बड़े स्रोत रहे थे. इसविस्फोट ने गुरुत्व तरंगों की तरह लहरदार प्रभाव दिखाया जिसे सैटेलाइट अवलोकनों ने बताया की वे पूरे प्रशांत बेसिन में फैली थीं.

वायुमंडल में सबसे तेज गति

इस विस्फोट से हमारे वायुमंडल में भी तरंगें पैदा हुईं जो कम से कम छह बार पृथ्वी पर घूमती रहीं और सैद्धंतिक रूप से सर्वाधिक गति के करीब पहुंची जो 320 मीटर प्रति सेंकेड की गति थी. यह अब तक वायुमडंल में देखी गई सबसे तेज गति थी. यह एक घटना बहुत बड़े इलाके पर हावी थी. इसके उपयोग अब वैज्ञानिक भविष्य में वायुमंडलीय मौसम और जलवायु प्रतिमानों में कर सकेंगे.

हैरतअंगेज प्राकृतिक प्रयोग

शोधकर्ताओं ने बताया कि यह वाकई में एक बहुत बड़ा विस्फोट था और विज्ञान द्वारा अब तक के अवलोकित किए ज्वालामुखियों में सबसे अनोखी घटनाओं में से एक था. हमने वायुमडंलीय गुरुत्व तरंगें दुनिया भर में इस तरह से फैलती नहीं देखीं. वे अपनी गति सैद्धांतिक सीमा के बहुत पास से यात्रा कर रही थीं. यह घटना बहुत ही हैरतअंगेज प्राकृतिक प्रयोग थी. इससे हमारी वायुमडंलीय समझ बढ़ाएगी और मौसम एवं जलवायु प्रतिमानों को बेहतर करने सहायक होगी.


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