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अच्छी सेहत के लिए एक्सपर्ट लगातार पूरी नींद की जरूरत पर जोर देते आए हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अच्छी सेहत के लिए एक्सपर्ट लगातार पूरी नींद की जरूरत पर जोर देते आए हैं. ये पूरी नींद उम्र के मुताबिक अलग-अलग होती है लेकिन आमतौर पर 8 घंटे की नींद एक व्यस्क के लिए काफी मानी जाती है. लेकिन पूरी नींद लेना ही काफी नहीं, बल्कि एक तय समय पर जागना भी सेहत के लिए जरूरी है. अगर हम रोज एक समय पर जागने लगें तो ये आदत हमारी प्रोडक्टिविटी को कई गुना बढ़ा देती है.
नियत समय पर जागने से शरी में क्या होता है, इसे समझने के लिए हमें सबसे पहले किकार्डियन रिदम को समझना होगा. ये शरीर का बायोलॉजिकल चक्र है, जो चौबीसों घंटों काम करता है. साल 2017 में किकार्डियम बायोलॉजी के लिए एक साथ दो वैज्ञानिकों को संयुक्त नोबेल पुरस्कार मिल चुका है. पुरस्कार प्राप्त ये रिसर्च बताती है कि कैसे नियम समय पर रोज सोना और जागना हमारी अच्छी सेहत पक्की करता है. कनाडा की मीडिया कंपनी CBC.ca की वेबसाइट पर इसका जिक्र है.
रिसर्च से हटकर अगर हम रिजल्ट पर आएं तो पाते हैं कि तयशुदा समय पर और वो भी सुबह जल्दी जागना कितना अच्छा होता है. दुनिया के कई बड़े CEO, वैज्ञानिक, लेखक और भी बहुत से सफल लोगों में एक आदत समान होती है कि वे सुबह 5 बजे के आसपास जागते हैं.
लेखक रॉबिन शर्मा की बेस्ट सेलर किताब द 5 AM क्लब में उन लोगों का जिक्र है. साथ ही बताया गया है कि कैसे जागने के बाद के कुछ घंटे जिंदगी बदलने वाले साबित हो सकते हैं. विज्ञान पत्रिका साइंस डायरेक्ट में इस बारे में एक स्टडी भी आ चुकी है, जो सुबह जल्दी जागने वालों को ज्यादा सफल, और दूसरों के लिए ज्यादा मददगार बताती है.
बहुत से लोग जल्दी तनाव लेते हैं और अक्सर बेचैन रहते हैं. ऐसे लोगों के लिए सुबह जल्दी और एक समय पर जागना मैजिक ट्रिक साबित हो सकता है. इस बार पर एक जर्मन स्टडी ने भी मुहर लगा दी है. प्लॉस वन वेबसाइट में ये स्टडी एक्सपर्ट के लिए रिव्यू को छपी और इसे सबका सपोर्ट भी मिला. जल्दी जागने वाले लोग आसानी से तनाव में नहीं आते और कार्यस्थल पर ज्यादा बढ़िया प्रदर्शन करते हैं, बनिस्बत उनके जो देर से सोते-जागते हैं या जिनके जागने का कोई समय पक्का नहीं.
सोने और जागने के समय का सख्ती से पालन करने वालों पर बहुतेरे सर्वे ये बताते हैं. मैट्रेस बनाने वाली कंपनी mattressinquirer ने 1,033 पर एक सर्वे किया, जिसमें बेडटाइम पर बात की गई. इसमें पाया गया कि जागने का रुटीन फॉलो करने वाले निजी जिंदगी में 13% ज्यादा संतुष्ट दिखे. उनकी आर्थिक स्थिति में भी 18% ज्यादा बढ़िया प्रदर्शन दिखा. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि ऐसे लोगों ने कार्यस्थल पर दूसरों की बजाए 21% अच्छा प्रदर्शन किया और वर्क-लाइफ बैंलेस बना सके
ये तो हुई उपलब्धियों की बात लेकिन सबसे पहले इसका असर शरीर पर होता है. एक ही समय पर जागने वालों की किकार्डियन रिदम यानी स्लीप पैटर्न ऐसा बन जाता है कि इससे सोने-खाने और काम का समय भी पक्का हो जाता है. हर चीज एक निश्चित समय पर होने से शरीर का पाचन सिस्टम बेहतर काम करने लगता है, जिसका असर सारे ही अंगों पर पॉजिटिव तरीके से दिखता है.
अब आती है बात इम्युनिटी की. ये वो शब्द है जो बीते दो सालों में सबसे ज्यादा बोले-सुने जाने वाले शब्दों में से है. कोरोना काल में लगातार इम्युनिटी मजबूत रखने की बात की जा रही है. शरीर की बीमारियों से लड़ने की ये क्षमता केवल टैबलेट या संतुलित डायट से नहीं बढ़ती, बल्कि स्लीप पैटर्न का इसमें अहम रोल है. रोज नियत समय पर जागने और सोने वालों का चूंकि पाचन तंत्र और मस्तिष्क बेहतर काम करता है, लिहाजा उनकी इम्युनिटी भी ज्यादा मजबूत होती है.
निश्चित समय पर जागने से सोने की साइकिल भी स्ट्रिक्ट हो जाती है. चूंकि शरीर की नींद की मांग 8 घंटे की है तो अगर हम सुबह 5 बजे जागने ही लगें तो रात में देर तक जागने की आदत अपने-आप कम होते हुए एक सही साइकिल पर आ जाती है. यानी नींद पूरी न हो पाने का खतरा भी नहीं रहता.
दुनिया में बहुत से कामयाब लोग स्लीप पैटर्न का सख्ती से पालन करते हैं. जैसे ट्विटर के फाउंडर जैक डोर्सी रोज सुबह 5 बजे उठकर मेडिटेशन करते हैं, उसके बाद ही काम को हाथ लगाते हैं. खरबपति वॉरेन बफेट रोज पौने सात बजे जागते हैं. जागने का ये पैटर्न सप्ताहांत पर भी नहीं टूटता.
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