विज्ञान

हजारों साल पहले विलुप्त हुए डायनासोर किस रंग के थे? इस सवाल पर वैज्ञानिकों का बड़ा दावा

Tulsi Rao
26 April 2022 5:32 PM GMT
हजारों साल पहले विलुप्त हुए डायनासोर किस रंग के थे? इस सवाल पर वैज्ञानिकों का बड़ा दावा
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। डायनासोर (Dinosaurs) हजारों साल पहले खत्म हो चुके थे, लेकिन आज भी इनपर शोध जारी हैं और हर बार हमें कोई न कोई नई जानकारी ही मिलती है. अब तक हमें लगता था कि डानासोर भूरे और सलेटी रंग के होते थे, जिसपर भूरे रंग के स्केल पाए जाते थे. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने उनके सही रंग भी बता दिए हैं. माना जा रहा है कि पंख वाले डायनासोर के पंख चमकीले रंगों और पैटर्न में होते थे.

1996 में पंखों वाले डायनासोर के पहले जीवाश्म मिले थे, तब वैज्ञानिकों ने उनमें गोल सूक्ष्म संरचनाएं देखी थीं. वैज्ञानिकों ने माना था कि यह संरचनाएं बैक्टीरिया के जीवाश्म थे. लेकिन ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल में मैक्रोइवोल्यूशन में एसोसिएट प्रोफेसर जैकब विन्थर (Jakob Vinther) के ऐसा नहीं लगता. उनके मुताबिक ये संरचनाएं कुछ और हो सकती हैं.
मेलेनोसोम से पता लगे रंग
उनका कहना है कि मैं प्राचीन स्क्विड और ऑक्टोपस में जीवाश्म बन चुकी स्याही को देख रहा था, जो आश्चर्यजनक रूप से बहुत अच्छी तरह से संरक्षित थी. उनके मुताबिक, अगर एक स्क्विड की स्याही को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में देखा जाए तो आपको छोटी गोल बॉल दिखाई देंगी. जब आप जीवाश्म बन चुकी स्याही को देखेंगे, तो भी आपको ऐसी ही छोटी गोल गेंद दिखाई देती हैं. ये गेंदें मेलेनोसोम (melanosomes) हैं, जो मेलेनिन की सूक्ष्म बूंदें हैं. मेलेनिन (Melanin) वह पिग्मेंट होता है जिससे बाल, त्वचा, पंख और आंखों को रंग मिलता है. ये वही गोल संरचनाएं हैं जिन्हें डायनासोर के पंखों में पहले बैक्टीरिया समझा गया था.
पिगमेंट संरक्षित रहते हैं
वैज्ञानिकों का मानना ​​था कि पिगमेंट जीवाश्म नहीं बन सकते, लेकिन विन्थर की खोज से न केवल यह पता लगा कि पिगमेंट हमेशा बने रहते हैं, बल्कि यह जानकारी भी मिली कि यह पिगमेंट विलुप्त हो चुके जानवरों का वास्तविक रंग भी बता सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि मेलेनिन सिर्फ गोल नहीं होते, बल्कि कई अलग-अलग आकृतियों में होते हैं. हर आकृति अलग रंग को दर्शाती है.
मेलेनिन की अलग आकृति अलग रंग को दर्शाती है (फोटो: पिक्सबे)
विन्थर के मुताबिक, काले बालों वाला व्यक्ति या काले पंखों वाले पक्षी में मेलेनोसोम होते हैं, जो सॉसेज के आकार के होते हैं. बड़े, मोटे मेलेनोसोम ग्रे या नीले रंग के पिगमेंट का संकेत देते हैं. जबकि लंबे, पतले, चपटे या खोखले मेलेनोसोम इंद्रधनुषी रंग का संकेत देते हैं. डायनासोर के पंखों में मेलेनिन इस तरह क्रम से लगे थे कि उनसे अलग-अलग संरचनाएं बनती थीं जो रौशनी में चमकती थीं. अलग-अलग मेलेनोसोम का सपाट या खोखला आकार उन्हें इस तरह, एक साथ फिट होने में मदद करता है. इसी से मेटलिक इंद्रधनुषी चमक पैदा होती है.
हर डायनासोर का रंग अलग
विन्थर ने पहली बार, एक छोटे, पक्षी जैसे डायनासोर-एंकिओर्निस (Anchiornis) पर अध्ययन किया था. मेलेनोसोम के आधार पर, विन्थर और उनकी टीम ने निष्कर्ष निकाला कि उसका शरीर सलेटी रंग का था, सफेद रंग के पंखों थे जिनके किनारों पर काले धब्बे थे. इसके साथ ही, उसके पास लाल रंग का मुकुट (Crown) भी था, जैसे कठफोड़वा (woodpecker) का होता है.
सिनोसॉरोप्टेरिक्स (Sinosauropteryx) डायनासोर पहला पंखों वाला डानासोर था. इसकी एक धारीदार पूंछ और एक रकून की तरह दिखने वाला मास्क था. इसमें काउंटरशेडिंग भी थी. यह एक तरह का प्राकृतिक आवरण होता है जिसमें जानवर का जो हिस्सा छाया में रहता है वहां का रंग बाकी जगहों की तुलना में हल्का होता है. काउंटरशेडिंग से यह भी पता लगता है कि यह जानवर किस क्षेत्र में रहते थे


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