विज्ञान

अजीबोगरीब सिग्नल! धरती का नजदीकी Black Hole निकला 'वैंपायर तारा'

Gulabi
5 March 2022 5:23 PM GMT
अजीबोगरीब सिग्नल! धरती का नजदीकी Black Hole निकला वैंपायर तारा
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धरती का नजदीकी Black Hole निकला 'वैंपायर तारा'
धरती से करीब 1000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक ब्लैक होल (Black Hole) की खोज दो साल पहले हुई थी. वैज्ञानिक खुश थे कि भाई ये धरती का सबसे नजदीकी ब्लैक होल है. लेकिन जब वहां से आ रहे अजीबो-गरीब सिग्नल की जांच शुरु की गई, तो अलग ही खुलासा हुआ. ये कोई ब्लैक होल नहीं बल्कि एक वैंपायर तारा (Vampire Star) निकला. यह इतना भूखा है कि अपने पड़ोसी तारे को ही खाए जा रहा है.
अब कहानी शुरु से समझिए. हुआ यूं कि दो साल पहले यूरोपियन साउर्दन ऑब्जर्वेटरी के वैज्ञानिक डाइटरिच बाडे ने बताया कि ये ब्लैक होल हमारे सूरज के आकार से चार गुना बड़ा है. यह धरती के सबसे नजदीक खोजा गया ब्लैक होल है. इस ब्लैक होल के चारों तरफ सिर्फ दो सितारे ही चक्कर लगा रहे हैं.
इस सिस्टम को HR 6819 नाम दिया गया है. जबकि इसके नक्षत्र का नाम है टेलीस्कोपियम (Telescopium). ब्लैक होल अगर आप टेलीस्कोप से देखेंगे तो टेलीस्कोपियम के वह एक चमकदार तारे जैसा दिखाई देगा. लेकिन वहां पर दो तारे हैं जो एकदूसरे के चारों तरफ घूम रहे हैं. जब वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि ये आखिर इतनी तेजी से घूम क्यों रहे हैं. तब उन्हें दोनों के बीच एक ब्लैक होल दिखाई दिया.
अब बेल्जियम स्थित KU Leuven के साइंटिस्ट एबिगेल प्रॉस्ट ने बताया कि हमनें जब अच्छे से इस तारे की स्पेक्ट्रोस्कोपी की तो हैरान करने वाला खुलासा हुआ. पहले हमें लगता था कि वहां पर एक ब्लैक होल और दो तारे हैं. यानी दोनों तारे ब्लैक होल के चारों तरफ अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन बाद में पता चला कि वहां पर कोई ब्लैक होल है ही नहीं.
जब हमने ध्यान से वहां से निकल रही रोशनी की स्टडी को तो पता चला कि इसमें से बड़ा तारा वैंपायर बना गया है. वह अपने पड़ोसी तारे को खाए जा रहा है. वह पड़ोसी तारे को न्यूट्रॉन स्टार में बदल रहा है. हम इस समय न्यूट्रॉन स्टार के बनने की प्रक्रिया और उससे निकलने वाली गुरुत्वाकर्षण लहरों को बारीकी से देख पा रहे हैं. उनकी गणना कर पा रहे हैं.
एबिगेल फ्रॉस्ट ने कहा कि HR 6819 अभी अपने इवोल्यूशन के बेहद शुरुआती और दुर्लभ स्थिति में हैं. यह दो तारों का एक बाइनरी सिस्टम है. दोनों तारों के बीच का संबंध हमें हैरान कर रहा है. क्योंकि यह तो तारों की उत्पत्ति और विकास की पूरी परिभाषा ही बदल रहा है. यह स्टडी हाल ही में एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित हुई है.
दो साल पहले डाइटरिच बाडे ने बताया था कि यह ब्लैक होल भी बहुत तेजी से घूम रहा है. इसकी गति है 60 किलोमीटर प्रति सेकंड. यह हमारे सूरज के वजन से पांच गुना ज्यादा वजनी है. सबसे खतरनाक बात ये है कि पहली बार हमें कोई ब्लैक होल पूरी तरह से अंधेरे में मिला है.
बाडे ने कहा था कि यह पूरी तरह से अदृश्य है. हमें इसके होने का आभास इसके चारों तरफ घूम रहे तारों से चला है. इसे हायराक्रियल ट्रिपल सिस्टम कहते हैं. इस ब्लैक होल की खासियत यही है कि यह पूरी तरह से ब्लैक है. यानी काला है. लेकिन इस बार की स्टडी में यह पता चला है कि यहां पर कोई ब्लैक होल है ही नहीं. बल्कि एक बड़ा तारा दूसरे वाले को खाने में लगा हुआ है. यानी ज्यादा शक्तिशाली टेलिस्कोप से देखने पर सही जानकारी मिलती है.
आमतौर पर हमारी आकाशगंगा में मिलने वाले ब्लैक होल्स में से दो दर्जन ही ऐसे हैं चमकते दिखाई देते हैं. बाडे ने बताया कि अगर आपको इसे देखना है तो आपको दक्षिण अमेरिका के एकदम दक्षिणी हिस्से में जाकर टेलीस्कोप से देखना होगा.
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