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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| मंगल पर पानी और जीवन के संकेत की तलाश जारी है. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ही नहीं दुनिया के कई देशों की एसेंजी यह सपना संजोए हैं और इसकी तैयारी कर रही हैं. यूएई ने तो इसके लिए 100 साल की योजना पर काम शुरू कर दिया है. ताजा शोध से पता चला है कि मंगल पर 4.4 अरब साल पहले पानी मौजूद था. लेकिन क्या वाकई ग्रहों के निर्माण के समय ही पानी भी वहीं पर बना था, या मंगल पर क्षुद्रग्रहों या धूमकेतुओं के जरिए ही पानी आया था.
पृथ्वी पर मंगल ग्रह के मिले उल्कापिंडों के विश्लेषणों से पता चला है कि 4.4 अरब साल पहले इस लाल ग्रह पर पानी मौजूद था. अभी तक वैज्ञानिकों को इस बात की जानकारी थी कि मंगल ग्रह पर पानी 3.7 अरब साल पहले था. लेकिन वैज्ञानिकों में इस बात का मतभेद है कि मंगल या पृथ्वी पर पानी ग्रह के निर्माण के समय ही बना या फिर यह बाहर से आया था.
कुछ साल पहले सहारा रेगिस्तान में NWA 7034 और NWA 7533 दो उल्कापिंड मिले थे. साइंस एडवांस में प्रकाशित टोक्यो यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में शामिल प्रोफेसर तकाशी मिकोची का कहना है कि उनकी टीम को इस अध्ययन में रोचक नतीजे मिले हैं. इसके मुताबिक विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि मंगल पर उल्कापिंड के निर्माण के समय हुए टकारव से बहुत सारी हाइड्रोजन बनी थी जिसके कारण पहले से मौजूद कार्बन डाइ ऑक्साइड वाले वायुमंडल में गर्मी हो गई होगी
इससे यह भी निष्कर्ष निकलता है कि ग्रह निर्माण की शुरुआती प्रक्रिया में ही मंगल पर पानी बना होगा. इससे शोधकर्ताओं को यह पता करने में मदद मिल सकती है कि किसी ग्रह पर पानी कैसे और कहां से आता है
इसके अलावा पृथ्वी चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों में पानी आने को लेकर एक अन्य मतानुसार माना जाता है कि पृथ्वी पर पानी क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के इन पिंडों से टकराने से आया होगा. लेकिन यह अध्ययन इस मत का समर्थन करता है कि इन पिंडों पर पानी उनके निर्माण के समय से आया होगा.
इस समय मंगल ग्रह पर पानी के संकेत ढूंढे जा रहे हैं. वैज्ञानिकों को मंगल की सतह की भीतर पानी के संकेत मिले हैं. वहीं उनका यह भी मानना है कि मंगल की सतह पर बर्फ ही मिल सकती है तरल पानी नहीं. पानी के होने से वैज्ञानिकों उसके आसपास जीवन के संकेत भी मिलने की उम्मीद है