विज्ञान

क्या एक ही था मंगल के दोनों उपग्रहों का पूर्वज? शोधकर्ताओं ने बताई सच्चाई

Gulabi
25 Feb 2021 2:47 PM GMT
क्या एक ही था मंगल के दोनों उपग्रहों का पूर्वज? शोधकर्ताओं ने बताई सच्चाई
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हमारे सौरमंडल के ग्रहों के उपग्रहों के निर्माण संबंध उसके उत्पत्ति से है

हमारे सौरमंडल (Solar system) के ग्रहों (Planets) के उपग्रहों (Satellites) के निर्माण संबंध उसके उत्पत्ति से है. सौरमंडल में होने वाली गतिविधियों का अध्ययन कर हमारे खगोलविद सौरमंडल के निर्माण और उसमें ग्रहों और उनके उपग्रहों के विकास की कहानी जानने का प्रयास कर रहे हैं. सौरमंडल के हमारे पास के ग्रह मंगल (Mars) के दो उपग्रह फोबोस (Phobos) और डीमोस (Deimos) ने पिछले कई समय से शोधकर्ताओं को उलझा रखा था. लेकिन उनकी उत्पत्ति के बारे में अब पता चला है कि दोनों का जन्म एक ही पिंड (Object) से हुआ था.


शुरू से ही रहस्यमयी रहे हैं ये
मंगल ग्रह के इन दो चंद्रमाओं, फोबोस और डीमोस दोनों के बारे में सबसे पहले साल 1877 में पता चला था. दोनों ही पिंड बहुत ही छोटे हैं. फोबोस का व्यास केवल 22 किलोमीटर है तो डिमोज का व्यास केवल 12 किलोमीटर है. जहां हमारा चंद्रमा पूरी तरह गोल है, मंगल के ये चंद्रमा आलू की तरह अनियमित आकार के हैं.

कक्षा कहती है कुछ और कहानी
अपने इस आकार की वजह से फोबोस और डीमोस दोनों ही चंद्रमा की जगह क्षुद्रग्रह की तरह दिखते हैं जो मंगल के गुरूत्व में फंस गए हों. ईटीएस ज्यूरिख के इंसटीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स के डॉक्टोरल विद्यार्थी आमिरहुसैन बघेरी का कहना है कि समस्या यहीं शुरू होती है. बाहर से आकर आने वाले पिंड एक अजीब कक्षा बनाते हैं और उनका झुकाव भी असामान्य होता है. वहीं चंद्रमाओं की कक्षा गोलाकार होती है और वे ग्रह के भूमध्य तल की कक्षा बनाते हैं.
सिम्यूलेशन ने दिखाई राह
सवाल यही है कि अगर फोबोस और डीमोस वाकई में क्षुद्रग्रह हैं तो तो उनकी वर्तमान कक्षा की क्या व्याख्या है. इस समस्या को सुलझाने के लिए शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटर सिम्यूलेशन्स का सहारा लिया. यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख के फिजिक्स इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक आमिर खान ने बताया, "हमारा इरादा इनकी कक्षा का अवलोकन कर उनके इतिहास में हुए बदलाव को जानना था."

एक ही पूर्वज
खान का कहना है कि चंद्रमाओं के उसी जगह पर रहने की संभावना है और इससे पता चलता है कि उनकी उत्पत्ति भी एक ही रही होगी. शोधकर्ताओं का कहना है कि उस समय एक बड़ा पिंड मंगल का चक्कर लगा रहा होगा जो किसी और पिंड से टकरा जाने से टूट कर बिखर गया होगा. बाघेरी का कहना है कि फोबोस और डीमोस इसी खोए हुए चंद्रमा के हिस्से हैं.
पूरा अध्ययन करना पड़ा मंगल के उपग्रहों का
बाघेरी इस अध्ययन के प्रमुख लेखक हैं और यह नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है. नतीजे आसान लगते हैं, लेकिन इन पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं का बहुत मश्क्कत करनी पड़ी. पहले शोधकर्ताओं को मंगल और उसके उपग्रहों की अंतरक्रिया के वर्तमान मत को सही करना पड़ा. इसके साथ उन्होंने मंगल और उसके चंद्रमाओं पर लगने वाले टाइडल बल का पता लगाया.

इन गुणों ने की शोधकर्ताओं का मदद
नासा के इनसाइट मिशन से मिले आंकड़ों से मंगल के मॉडल की गणनाएं सीमित हो सकीं. फोबोस और डीमोस की सतह में बहुत ही छिद्रयुक्त सामग्री है. उनका घनत्व भी बहुत ही कम है. उनकी सतह पर दिखाई देने वाले छेद बताते हैं कभी या तो उनमें पानी थी या फिर बर्फ. इसी तरह से टाइडल प्रभाव और अन्य अवलोकनों से शोधकर्ताओ ने फोबोस और डीमोस के जन्म की स्थिति का अनुमान लगाया.
शोधकर्ताओं ने पायाकि फोबोस और डीमोस 1 से 2.7 अरब साल पहले के दौरान पैदा हुए होंगे. सटीक समय का पता आगे के शोध से पता चलेगा. वैज्ञानिकों को साल 2025 में लॉन्च होने वाले उस यान का इंतजार है जो फोबोस से नमूने लेकर पृथ्वी पर आएगा.


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