विज्ञान

अंतरिक्ष में एलियंस की आवाज थी? NASA ने इसके पीछे का रहस्य खोज निकाला

jantaserishta.com
7 Jan 2022 12:09 PM GMT
अंतरिक्ष में एलियंस की आवाज थी? NASA ने इसके पीछे का रहस्य खोज निकाला
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वॉशिंगट: ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है. हाल ही में नासा के एक सैटेलाइट ने वैज्ञानिकों को एक रहस्य से पर्दा उठाने में मदद किया है. सुदूर अंतरिक्ष के केंद्र में स्थित एक धुंधले बाइनर स्टार से आ रहे विचित्र रहस्यमयी सिग्नलों की उत्पत्ति का पता चल गया है. वैज्ञानिकों ने पता कर लिया है कि यह सिग्नल कहां से आ रहे हैं. आइए जानते हैं कि अंतरिक्ष से हमारे पास इस तरह के सिग्नल कौन भेज रहा था. ये कहां से आ रहे हैं?

नासा समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक अंतरिक्ष के केंद्र से आ रही विचित्र रहस्यमयी एलियन सिग्लनों को लेकर परेशान थे. लगातार इनकी जांच चल रही थी. पता किया जा रहा था कि आखिर इनका स्रोत क्या है. फिर इस काम में मदद की नासा के ट्रांसिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (Transiting Exoplanet Survey Satellite- TESS) ने.
TESS सैटेलाइट की वजह से वैज्ञानिकों को वह स्रोत पता चल गया जहां से विचित्र रहस्यमयी एलियन सिग्नल आ रहे थे. ये सिग्नल जिस जगह से आ रहे हैं, उसे वैज्ञानिकों ने TIC400799224 नाम दिया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह धुंधली जगह दो बाइनरी स्टार हो सकते हैं. यानी यहां पर दो तारों का एक सिस्टम हो सकता है. जिनके चारों तरफ धूल के घने बादलों का घेरा है.
हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स ने एक बयान में कहा है कि ऐसा भी हो सकता है कि इन दो तारों के सिस्टम के बीच मौजूद धूल के घने बादल किसी बड़े एस्टेरॉयड के टूटने की वजह से बने हों. ये घने बादल इतने ज्यादा गहरे हैं कि इनके अंदर से आने वाले सिग्नलों का स्रोत पता करना मुश्किल हो रहा था. लेकिन TESS की मदद से यह संभव हो पाया है.
TESS को इस तरह से डिजाइन किया गया और बनाया गया है कि यह बाहरी ग्रहों यानी एक्सोप्लैनेट में होने वाले छोटे और लयबद्ध तरीके कम ज्यादा होने वाली रोशनी को पकड़ लेता है. इस सैटेलाइट ने सिर्फ इसी ग्रह के बारे में जानकारियां नहीं जुटाई हैं. बल्कि इसने कई सुपरनोवा के रहस्यों का उद्घाटन करने में मदद की है.
जब हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स और नासा के वैज्ञानिकों ने TESS के डेटा को जब 2019 के शुरुआती महीनों में जांचा था, तब TIC400799224 कुछ ही घंटों में करीब 25 फीसदी कम रोशनी छोड़ रहा था. लेकिन बीच-बीच में यह अचानक तेज रोशनी फेंकने लगता था. इसकी रोशनी, अंधेरे और धुंधले बादलों के बीच का तालमेल समझने में वैज्ञानिकों को करीब दो साल लग गए.
TESS ने इस रहस्य को सुलझाने के लिए अंतरिक्ष में एक ही जगह पर महीना भर बिताया ताकि इस विचित्र रहस्यमयी एलियन सिग्नल की उत्पत्ति को समझा जा सके. मार्च 2019 से मई 2021 के बीच इस धुंधले TIC400799224 को चार अलग-अलग सेक्टर्स से देखा गया था. वैज्ञानिकों ने इस सैटेलाइट के अन्य यंत्रों को भी इस रहस्यमयी वस्तु का अध्ययन करने के लिए ऑन किया.
सैटेलाइट के डेटा को ऑल-स्काई ऑटोमेटेड सर्वे फॉर सुपरनोवे और ला कंब्रे ऑब्जरवेटरी के डेटा से मिलाया तो कई साले खुलासे हुए. जांच में पता चला कि दो तारों के सिस्टम TIC400799224 के बीच से जो सिग्नल आ रहा है. दोनों एक दूसरे का चक्कर लगा रहे हैं. इनमें से एक तारा हर 19.77 दिन पर एक पल्स भेज रहा था. यह पल्स तारे के चारों तरफ मौजूद बादलों के धुंधले घेरे की वजह से पैदा हो रहा था.
इस धुंधले बादल का वजन लगभग उस एस्टेरॉयड के बराबर था जो 10 किलोमीटर चौड़ा रहा होगा. वैज्ञानिकों ने इन धुंधले बादलों को लेकर अलग-अलग परिभाषाएं भी निकाली हैं. एक थ्योरी ये हैं कि दो छोटे ग्रह आपस में टकराए होंगे, जिससे यह धूल का बादल बना होगा. दूसरे एस्टेरॉयड की टक्कर किसी ग्रह से हुई होगी. क्योंकि यह धूल दोनों तारों के सिस्टम में एक स्थान पर टिके हुए हैं. इनमें किसी तरह का मूवमेंट नहीं है.
TIC400799224 से पहली बार छह साल पहले सिग्नल मिले थे. लेकिन वैज्ञानिक यह नहीं समझ पा रहे थे कि ये सिग्नल आ कहां से रहे हैं. जब सिग्नल के स्रोत की तरफ नजर दौड़ाई गई तो पता चला कि वहां पर रोशनी और अंधेरे का एक विचित्र पैटर्न है. जिसे लेकर हाल ही में पेपर द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ था.
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