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आइसलैंड में हजारों भूंकप के बाद अब Fagradals Mountain ज्वालामुखी में जोरदार विस्फोट हुआ है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | आइसलैंड में हजारों भूंकप के बाद अब Fagradals Mountain ज्वालामुखी में जोरदार विस्फोट हुआ है। करीब 800 साल बाद इस ज्वालामुखी से इतना ज्यादा लावा निकल रहा है कि पूरा पहाड़ आग का ग्लेशियर बन गया है। लावे को देखकर लग रहा है कि जैसे कोई आग की नदी बह रही हो। इस ज्वालामुखी का अद्भुत ड्रोन वीडियो अब दुनियाभर में सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया जा रहा है।
ज्वालामुखी में विस्फोट के बाद बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए पहुंचे लेकिन फोटोग्राफर ने ज्वालामुखी के पास अपना ड्रोन विमान भेज दिया। इस ड्रोन ने ज्वालामुखी अद्भुत तस्वीरें ली हैं और वीडियो बनाया है। इस वीडियो को फोटो पत्रकार और यूट्यूबर एंथनी क्विटानों ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। उन्होंने कहा कि ज्वालामुखी विस्फोट को निश्चित रूप से अंत तक देखा जाना चाहिए।
ज्वालामुखी 800 साल से शांत था, अब इसके फटने से दो ओर लावा बहा
ज्वालामुखी के इस ड्रोन से लिए गए वीडियो को अब तक लाखों बार ट्विटर पर देखा जा चुका है। राजधानी रेक्यावीक के दक्षिणपश्चिम में स्थित रेक्येनीस पेनिनसुला में यह ज्वालामुखी फटा है। मौसम विभाग ने बताया कि शुक्रवार रात 8:45 बजे ज्वालामुखी फट गया। यह ज्वालामुखी 800 साल से शांत था लेकिन अब इसके फटने से दो ओर लावा बह गया। शुरुआती फुटेज में यह विस्फोट छोटा लग रहा है। इससे निकलने वाला लावा की चमक 32 किलोमीटर दूर तक दिखी। देखें वीडियो-
Here is that amazing FPV drone video of the volcanic eruption in Iceland taken by @BSteinbekk. I asked his son to get him an account on Twitter so I can properly credit his content. I deleted my original post. pic.twitter.com/Cz9tAqAOTS
— Anthony Quintano Photography (@AnthonyQuintano) March 22, 2021
यह ज्वालामुखी रिहायशी घाटी से बहुत दूर है। सबसे नजदीकी सड़क भी इससे 2.5 किलोमीटर दूर है। ऐसे में इसके कारण किसी इलाके को खाली किए जाने की संभावना कम है। Fagradals Mountain ज्वालामुखी 6000 साल से शांत है और रेक्येनीस पेनिनसुला में 781 साल से ज्वालामुखी नहीं फूटा है। हाल में बड़ी संख्या में भूकंप आने से ज्वालामुखी की आशंका पैदा हो गई थी लेकिन विस्फोट से पहले सीस्मिक ऐक्टिविटी के बंद हो जाने के चलते यह घटना हैरान करने वाली रही।
सालदा झील में मिली जानकारी से वैज्ञानिकों को सेडिमेंट्स में कैद सूक्ष्मजीवियों की खोज में मदद मिल सकती है। अमेरिका और तुर्की के प्लैनेटरी वैज्ञानिकों ने 2019 में झील के किनारे रिसर्च की थी। वैज्ञानिकों का माना है कि झील के पास सेडिमेंट्स जिन माउंड्स से आते हैं वह सूक्ष्मजीवियों की मदद से बनते हैं और इन्हें microbialites कहते हैं। Perseverance की टीम इन्हीं microbialites को Jezero पर खोजना चाहती है।
सालदा के तट के सेडिमेंट्स को कार्बोनेट मिनरल्स से मिलाकर भी देखा जाएगा जो कार्बनडायऑक्साइड और पानी से मिलते हैं। Jezero Crater में इनकी मौजूदगी के संकेत मिले हैं। NASA के असोसिएट ऐडमिनिस्ट्रेटर फॉर साइंस थॉमक जुरबूकेन का कहना है कि जब हमें Perseverance से कुछ मिलेगा तो हम सालदा झील में जाकर देख सकते हैं और दोनों के बीच समानताएं और अंतर खोज सकते हैं। इसलिए यह झील काफी खास है क्योंकि इस पर रिसर्च करने के लिए हमारे पास काफी वक्त है।
मंगल का Jezero क्रेटर 28 मील चौड़ा ह और यह Isidis Planitia नाम के मैदानी इलाके के पश्चिमी छोर पर है। यह मंगल के ईक्वेटर से उत्तर में हैं। माना जाता है कि Isidis Planitia में एक प्राचीन उल्कापिंड आ गिरा था जिससे 750 मील का गड्ढा बन गया था। बाद में एक छोटा उल्कापिंड यहां गिरा और Jezero Crater बन गया। फिर इसमें पानी भर गया और सूखा पड़ा डेल्टा जीवन के लिए अनुकूल हो गया। वैज्ञानिकों ने ऐसे सबूत हासिल किए हैं जिनसे पता चलता है कि ये पानी आसपास के इलाके से मिनरल झील में लेकर आता था। हो सकता है कि इस दौरान वहां सूक्ष्मजीवी रहे हों।
NASA के साथ काम कर चुके भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. राम करन ने ऐसे extremophiles के बारे में बताया था जो बिना ऑक्सिजन, जीरो से कम तापमान और ऐसे नमकीन पानी में रह सकते हैं जहां दूसरे जीव नहीं टिक सकते हैं। ये धरती पर अंटार्कटिक डीप लेक (Antarctic Deep Lake) में पाए जाते हैं और हो सकता है कि मंगल की झीलों में भी ऐसे ही जीव मिल जाएं। अंटार्कटिक डीप लेक धरती पर सबसे ठंडा और सबसे एक्सट्रीम जलीय पर्यावरण है। मंगल से समानता के चलते मरीन बायॉलजिस्ट्स और ऐस्ट्रोबायॉलजिस्ट के लिए डीप लेक आकर्षण का केंद्र रहा है। यह लेक कभी जमती नहीं है। यहां तक कि -20 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान में भी यह जमती नहीं क्योंकि यहां नमक बहुत ज्यादा है। मंगल के जमे हुए ध्रुव पर नमकीन पानी की खोज extremophiles की स्टडी से समान है।
साल 1784 में लाकी में हुए विस्फोट से सूखा पड़ा, एक चौथाई आबादी खत्म
हालांकि, लोगों को सलाह दी गई है कि अपनी खिड़कियां बंद रखें और घर में ही रहें ताकि हवा में फैली गैस से नुकसान न हो। आइसलैंड में 30 से ज्यादा सक्रिय और विलुप्त ज्वालामुखी हैं। साल 1784 में लाकी में हुए विस्फोट से सूखा पड़ गया था जिससे देश की एक चौथाई आबादी खत्म हो गई थी। साल 2010 में हुए विस्फोट से यूरोप में एयर ट्रैफिक बाधित हुआ था। आइसलैंड ऐसे जोन में आता है जहां दो महाद्वीपीय प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं। एक ओर उत्तरी अमेरिकी प्लेट अमेरिका को यूरोप से दूर खींचती है, वहीं दूसरी ओर यूरेशियन प्लेट दूसरी दिशा में। आइसलैंड में Silfra रिफ्ट नाम का क्रैक है जिसे देखने के लिए पर्यटक और डाइव बड़ी संख्या में आते हैं।
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