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- यूरेनस की रहस्यमयी...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देहमारे अंतरिक्ष में तारों (Stars) में इंसान को शुरू से ही बहुत दिलचस्पी रही है. इनमें शनि ग्रह (Saturn)के वलयों (Rings) ने खास तौर पर खगोलविदों को आकर्षित किया है. इन वलय की उत्पत्ति के बारे में वैज्ञानिकों को स्पष्ट जानकारी भी नहीं है. शनि अकेला ऐसा ग्रह नहीं है जिसकी वलय हों. शनि के अलावा गुरु, यूरेनस (Uranus) और नेप्च्यून ग्रहों के भी वलय हैं. इनमें से यूरेनस ग्रह के वलयों ने वैज्ञानिकों को खासा हैरान कर रखा है.
50 साल पहले ही दिख सके थे वलय
यूरेनस ग्रह के वलय 1970 के दशक में पहली बार खोजे गए थे. उस समय वैज्ञानिकों ने केवल 11 वलय देखे थे. इसके बाद साल 2005 में दो और वलय देखे गए. इस तरह से 13 वलयों ने वैज्ञानिको को कई पहेलियों में उलझा रखा है. इन वलय में ही यूरेनस के 27 चंद्रमा उसका चक्कर लगाते हैं.
बाकी ग्रहों के वलय से बहुत अलग हैं ये वलय
शनि ग्रह के वलयों की तरह यूरेनस के वलयों के बनने का कारण भी वैज्ञानिकों को नहीं पता चल सका है. ये वलय बाकी ग्रहों के वलयों से अलग भी हैं क्योंकि इन वलयों में या उनके आसपास धूल के कण या बादल बिलकुल नहीं हैं. जैसा कि अन्य ग्रहों के वलयों में देखा गया है.
टेलीस्कोप से अध्ययन करना मुश्किल
यूरेनस के वलयों में गोल्फ की गेंदों से बड़े आकार के टुकड़े मौजूद हैं. इन वलयों की चौड़ाई 20 से सौ किलोमीटर तक है और ये शनि के वलयों से 100 गुना ज्यादा पतले हैं. इतना ही नहीं ये अन्य ग्रहों के वलयों की तलुना में ज्यादा काले हैं. यही वजह है कि इनका टेलीस्कोप से अध्ययन करना बहुत ही मुश्किल है.
अजीब ग्रह है यूरेनस
ऐसा नहीं है कि यूरेनस के केवल वलय ही अन्य ग्रहों से अलग और अजीब है. यह पूरा ग्रह है सौरमंडल के बाकी ग्रहों से बहुत ही ज्यादा अलग है. इसकी घूमने की घुरी का सौरमंडल के तल के मुकाबाले झुकाव 98 डिग्री है. आज तक खगोलविदों को यह पता नहीं चल सका है कि यूरेनस की धुरी के झुकाव का कारण क्या है लेकिन उन्हें लगता है कि उसके वलय इस रहस्य का खुलासा करने में मददगार हो सकते हैं.
धुरी और वलयों का तालमेल
यूरेनस जब अपनी धुरी पर घूमता है तो उसके वलय खड़े दिखाई देते हैं. खगोलविदों को लगता है कि सौरमंडल के निर्माण के समय यूरनेस पृथ्वी से दोगुने आकार के पिंड से कम से कम दो बार टकराया होगा जिससे उसकी धुरी हमेशा के लिए बदल गई होगी.
और आंकड़ों की जरूरत
इस टकराव की वजह से शायद यूरेनस ग्रह के वलय बने होंगे और फिर समय के साथ इन वलयों की वजह से ही यूरेनस की घूमने की धूरी और टेढ़ी हो गई होगी. इस टकराव के कारण निकले अवशेष और धुरी अलग तरह से घूमते रहे होंगे जिसके बाद उनमें अंततः संतुलन की स्थिति आ गई होगी. इस प्रक्रिया में उसके सारे चंद्रमा भी उसी तरह से घूमने लगे होंगे. फिर भी इस थ्योरी की पुष्टि के लिए उन्हें और आंकड़ों की जरूरत है.
वैज्ञानिकों को अभी इन वलयों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन उन्हें कुछ ही समय में प्रक्षेपित होने वाले जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से बहुत आशाएं हैं. उन्हें लगता है कि उस अंतरिक्षीय टेलीस्कोप से उन्हें इतनी जानकारी मिल सकेगी कि इन वलयों के सारे रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा