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नासा का वॉयजर 2 (Voyger 2 of NASA) अभियान साल 1986 में युरेनस (Uranus) के पास गुजरा था. यह एकमात्र अंतरिक्ष यान है जो इस ग्रह के पास से गुजरा है. उस समय वॉजयर 2 ने यूरेनस के 10 चंद्रमा और दो छल्ले खोजे थे. इनमें से एक छल्ला जिसे वैज्ञानिक जीटा रिंग (Zeta Ring) कहते हैं, ने वैज्ञानिकों को काफी समय से परेशान कर रखा है क्योंकि वे उसे देख नहीं पा रहे हैं. लेकिन नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने वॉयजर के ही पुराने आंकड़ों में इस छ्ल्ले को खोजा है और इसकी बेहतर तस्वीर बनाकर नई जानकारियां भी निकाली है.
2007 से नहीं दिखा है छ्ल्ला
दिलचस्प बात यह है कि यह छल्ला पिछले 15 सालों से खगोलविदों को दिखाई नहीं दिया है. लेकिन पिछले साल शोधकर्ताओं ने आंकड़ों से यूरेनस के छल्ले के तंत्र की नई तस्वीर बनाई, जिसमें इस जीटा रिंग भी दिखाई दी. इस तस्वीर को इयान रीगन नाम के गैर पेशेवर इमेज प्रोसेसर ने विकसित किया है.
लगा था कि दो ही तस्वीरें हैं
इदाहो यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक मैथ्यू हेडमैन ने बताया, "बहुत लंबे समय से हमने यही समझा था कि हमारे पास वॉयजर 2 से इस छल्ले की केवल दो ही तस्वीरें हैं." इस अध्ययन का प्रस्तुतिकरण हेडमैन ने इसी महीने की पहले सप्ताह को अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के डिविजन ऑफ प्लैनेटरी साइंसेस की वार्षिक मीटिंग में दिया था.
कई तस्वीरों का मिश्रण
हेडमैन ने बताया कि इससे पता चलता है कि वॉयजर 2 के आंकड़ों में अब भी बहुत सारी जानकारी कूटबद्ध है जिसे फिर से देखने की जरूरत है. वैज्ञानिक शुरू में इसे नहीं देख पाए थे क्योंकि लाल रंग का यह धूल भरा छल्ला यूरेनस ग्रह के इतना पास है कि यह किसी एक तस्वीर में दिखाई ही नहीं पड़ रहा था. रीगन को भी कई तस्वीरों को मिला कर देखने पर इसकी दिखाई देने वाली तस्वीर मिली.
अब तक का सबसे विस्तृत उपलब्ध दृश्य
हेडमैन ने बताया कि रीगन ने सैकडों तस्वीरों को एक साथ मिलाया और यूरेनस के तंत्र की तस्वीर निकाली. यह जीटा रिंग के अस्तित्व का सबसे विस्तृत उपलब्ध दृश्य है और हम यह नहीं जानते थे कि यह दशकों से वॉयजर के आंकड़ों में छिपा हुई था. इस नई तस्वीर और और पहले से मिली दो तस्वीरों ने हेडमैन और उनके साथियों को कुछ नई जानकारी भी दी है.
उलझाने वाली जानकारी
इस आंकडों से पता चला है कि यूरेनस का यह छल्ला अपने ग्रह से करीब 37 हजार किलोमीटर की दूरी पर है इसके अलावा उन्हें उसकी चमक का भी अंदाजा हो पाया है. लेकिन ये दोनों ही जानकारियां उलझाने वाली है. साल 2007 में हवाई के केक वेधशाला ने वायजर दो के बाद जीटा रिंग का पहली बार अवलोकन किया था लेकिन उसके आंकड़ों से पता चला कि यह छल्ला ग्रह से 40 हजार किलोमीटर दूर है.
20 सालों में बदलाव
हेडमैन ने बताया कि दरअसल केके अवलोकनों से मिली इस छ्ल्ले की स्थिति वॉयजर के आंकड़ों से मेल खाती नहीं दिख. जिसका मतलब था कि पिछले 20 साल में इस छल्ले में कुछ बदलाव आया होगा. लेकिन हम यह पता नहीं लगा सके हैं कि वह बदलाव क्या था. इन दो दशकों में जीटा केवल कुछ इंच की दूरी ही दूर नही गई थी जो दो दशकों बाद यह अंतर दिखाई नहीं देता.वहीं वॉयजर के आंकड़ों के संकेत केक के संकेतों से ज्यादा मजूबत थे.
हैडमैन ने बताया कि यह छल्ला चमकीला हो गया था यानि इस तंत्र में और ज्यादा धूल आ गई थी. लेकिन यह कैसे हुआ इसका भी कुछ पता नहीं हैं. उन्होंने सुझाया कि यूरेनस से अंतरिक्ष की कोई चट्टान टकराई होगी जिसके अवशेषों से जीटा रिंग बनी होगी या फिर मौसम के बदलाव इसकी वजहहो सकते हैं. लेकिन यह सभी केवल अंदाजे ही हैं. जो भी हो छल्ले पर प्रभाव डालने वाला कारक राडार की पकड़ में नहीं आया था. अब वैज्ञानिकों को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से उम्मीदें हैं जिसने हाल ही में नेप्च्यून के छल्ले बेतरीन तस्वीर निकाली थी.