विज्ञान

दो 'लाल एस्टेरॉयड्स' ने Solar System में दी दस्तक, वैज्ञानिकों ने कही ये बात

Gulabi
31 July 2021 11:37 AM GMT
दो लाल एस्टेरॉयड्स ने Solar System में दी दस्तक, वैज्ञानिकों ने कही ये बात
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वैज्ञानिकों ने बृहस्पति और मंगल ग्रह की कक्षाओं के बीच एस्टेरॉयड बेल्ट में दो विशाल चट्टानों की खोज की है

वैज्ञानिकों ने बृहस्पति (Jupiter) और मंगल ग्रह (Mars) की कक्षाओं के बीच एस्टेरॉयड बेल्ट (Asteroid belt) में दो विशाल चट्टानों की खोज की है. इन्हें लेकर कहा जा रहा है कि इन चट्टानों को वहां नहीं होना चाहिए था. इन एस्टेरॉयड को 203 Pompeja और 269 Justitia नाम दिया गया है. दोनों एस्टेरॉयड की तस्वीरों को देखकर लग रहा है कि ये ट्रांस-नेप्च्यूनियन वस्तुओं की तरह हैं, जो हमारे सौरमंडल (Solar System) के आठवें ग्रह से परे पाए जाते हैं. दोनों एस्टेरॉयड की सतह पर जटिल ऑर्गेनिक मैटर मौजूद है और एस्टेरॉयड बेल्ट में मौजूद अन्य वस्तुओं की तुलना में ये अधिक लाल हैं.


विशेषज्ञों का कहना है कि ये सौरमंडल के बनने के दौरान शनि ग्रह के पास बने थे. लेकिन ग्रहों के बनने के दौरान ये शनि ग्रह के पास से खिसककर एस्टेरॉयड बेल्ट के पास पहुंच गए. जापान (Japan) की स्पेस एजेंसी JAXA ने कहा कि ये खोज नए सबूत देती है कि सौरमंडल के बाहरी किनारे पर बने ग्रह के टुकड़े बृहस्पति की कक्षा के भीतर एस्टेरॉयड बेल्ट में चले गए. JAXA के मुताबिक, 203 Pompeja का डायामीटर 110 किमी है, जबकि 269 Justitia का डायामीटर 55 किमी है. विशेषज्ञों का कहना है कि 203 Pompeja 70 मील से बड़े 250 आकाशीय पिंडों में से एकमात्र 'बहुत लाल' एस्टेरॉयड है.


इस तरह लगाया गया एस्टेरॉयड के रंग का पता
दोनों एस्टेरॉयड को 19वीं शताब्दी में खोजा गया था, लेकिन उनके रंग का पता हवाई में इन्फ्रारेड टेलीस्कोप फैसिलिटी (IRTF) और कोरिया में सियोल (Seoul) नेशनल यूनिवर्सिटी एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी (SAO) से विजिबल और नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपिक ऑब्जर्वेशन के माध्यम से लगाया गया था. आम तौर पर आंतरिक सौरमंडल में वस्तुएं अधिक नीली रोशनी को रिफलेक्ट करती हैं क्योंकि उनके पास कार्बन और मीथेन जैसे जटिल कार्बनिक यौगिक नहीं होते हैं. बाहरी सौरमंडल में वस्तुएं लाल होती हैं क्योंकि उनके पास इनमें से बहुत से यौगिक हैं.

क्या होते हैं एस्टेरॉयड
बता दें कि एस्टेरॉयड वह चट्टानें होती हैं, जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं. लेकिन ये ग्रहों से काफी छोटे आकार में होती हैं. गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी एस्टेरॉयड में तब्दील हो गए. यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता. कोई भी दो एस्टेरॉयड एक जैसे नहीं होते हैं. अधिकतर एस्टेरॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच स्थित एस्टेरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं.


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