विज्ञान

बर्फ के स्तूपों से हिमालय जल संकट दूर करने की कोशिश, जानें वैज्ञानिकों की नई पहल के बारे में

Gulabi
26 Sep 2021 12:17 PM GMT
बर्फ के स्तूपों से हिमालय जल संकट दूर करने की कोशिश, जानें वैज्ञानिकों की नई पहल के बारे में
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वैज्ञानिकों की नई पहल

स्कॉटलैंड (Scotland) में एबरडीन विश्वविद्यालय (University of Aberdeen Scientists) के वैज्ञानिक हिमालय जल संकट (Himalayan Water Crisis) को दूर करने में मदद करने के लिए नए उपाय कर रहे हैं। दरअसल, कृत्रिम ग्लेशियर (Artificial Glacier) जैसी संरचनाओं को विकसित करने के लिए एबरडीन के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।

बता दें, इन बर्फ के स्तूप जैसी संरचनाओं को पहली बार 2013 में लद्दाख (Ladakh) में इंजीनियर सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) द्वारा विकसित किया गया था। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि बर्फ के स्तूप अभी शुरुआती चरण में हैं और इस पर और काम करने की जरूरत है।
एबरडीन विश्वविद्यालय (Aberdeen University) में क्रायोस्फीयर (Cryosphere) और जलवायु परिवर्तन अनुसंधान समूह प्रौद्योगिकी (Climate Change Research Group) विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा सके।
बर्फ स्तूप परियोजना (Ice Stupa Project) के अनुसार, लद्दाख क्षेत्र के अधिकांश गांवों में पानी की गंभीर समस्या है। यह समस्या खासकर अप्रैल और मई के महीनों में ज्यादा होती है क्योंकि इस समय लोगों को नई रोपित फसलों की सिंचाई के लिए पानी की अधिक जरूरत होती है। वसंत ऋतु में स्तूप से पानी पिघलकर निकलते हैं, जिसका उपयोग फसल लगाने के लिए किया जाता है।
एबरडीन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं में से एक प्रोफेसर माटेओ स्पाग्नोलो ने कहा कि "लद्दाख में पर्वतीय ग्लेशियर तेजी से पीछे हट रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण स्थिति और खराब हो गई है, जिससे प्राकृतिक ग्लेशियर गायब हो रहे हैं। इन कारणों से इस क्षेत्र में बर्फ के स्तूप जैसे निवारण बहुत अधिक आवश्यक हो गए हैं।"
अप्रैल में पब्लिशड एक स्टडी से पता चला है कि दुनिया के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे थे, पिछले 20 वर्षों में हर साल लगभग 270 बिलियन टन बर्फ तेजी से पिघल रहे हैं। बीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, एबरडीन टीम (Aberdeen team) ने नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) के सहयोग से पाया कि लद्दाख में ग्लेशियर का सिकुड़ना भी तेज हो गया है।
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