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एक तरफ दुनिया जलवायु परिवर्तन के कारण बर्बादी की ओर जा रही है
एक तरफ दुनिया जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण बर्बादी की ओर जा रही है, तो वहीं दूसरी और चंद्रमा और मंगल पर बस्तियां बसाने की तैयारी के साथ अंतरिक्ष अन्वेषणों (Space Exploration) में खरबों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं. ऐसे में नैतिक सवाल यह भी उठाया जा रहा है क्या हमें गहरे अंतरिक्ष में अनुसंधान की जगह पहले पृथ्वी (Earth) को 'ठीक' नहीं करना चाहिए. जहां पर्यावरणविद अंतरिक्ष अनुसंधान को गैर जरूरी समझते हैं, वहां खगोलवैज्ञानिक अंतरिक्ष अनुसंधान संबंधी शोधों को बहुत जरूरी मानते हुए दलील देते हैं कि इसक पृथ्वी बचाने से कोई लेना देना नहीं हैं.
एक अपील करती दिखती है दलील
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि यह भले ही अनुचित बहस ना हो लेकिन क्या इस बहस को करने वालों के इरादे नेक लगते हैं. यह दलील दी जाती है कि जब हमारे आसपास भूख, गरीबी, बेघर लोग, युद्ध, शरणार्थी समस्या, सामाजिक अन्याय, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं हैं तो अंतरिक्ष पर अरबों डॉलर का खर्चा क्यों. क्या यह बेहतर नहीं होगा कि हम इस पैसे का उपयोग दुनिया की इन समस्याओं सुलझाने में लगाएं.
एक धारणा यह भी
लेकिन समस्या यह है कि चाहे संसाधनों की बात हो, प्राथमिकताओं की बात है या फिर यह सवाल कि हमें अपने प्रयास कहां पर केंद्रित रखने चाहिए, धारणा यही है कि अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियां पृथ्वी पर जीवन खत्म करती हैं. लेकिन हकीकत यह है कि अंतरिक्ष यात्राओं और अंतरिक्ष संबंधी शोधों ने इंसानों का कई तरह से भला किया है.
बेकार नहीं है अंतरिक्ष अन्वेषण
चाहे तकनीक अनुप्रयोगों की बात हो, वैज्ञानिक विकास की, चिकित्सा और स्वास्थ्य संबंथी बात हो या कि ज्ञान और प्रेरणा की बात हो, अंतरिक्ष में जाने से हम खुद को एक बेहतर प्रजाति में बनाने में सफल रहे हैं. उनसे हमें सीखा है कि हम इस बात समझ सकें कि हमारे पास क्या है और हम क्या हो सकते हैं. इससे हमें वह करने में सफल हो सके हैं जिनका पिछली पीढ़ियां केवल सपना देख सकती थीं.
पुराना है अंतरिक्ष अनुसंधान का विरोध
अंतरिक्ष अनुसंधान में अमेरिकी विशेषज्ञ अक्सर चंद्रमा की मिसाल देते हैं. इंटरेस्टिंग इंजीनियरींग के लेख के मुताबिक यह बहस तभी भी छिड़ी थी जब चांद पर जाने के लिए प्रयास शुरू हुए थे और जब वहां पहली बार कदम रखा गया था और इस साहसिक कार्य को मानवता और शांति के साथ जोड़ा गया था. लेकिन अपोलो कार्यक्रम से बहुत से लोग खुश नहीं थे. कई बार दावा किया गया है कि ज्यादातर अमेरिकी अपोलो अभियान से समर्थन में नहीं थे. जिसके लिए कई विरोध प्रदर्शन की मिसालें भी दी जाती हैं.
अंतरिक्ष अन्वेषण पर सवाल क्यों
दो साल पहले चंद्रमा पर कदम रखे जाने की 50वीं बरसी पर हुए एक सर्व में ऐसे अभियानों का विरोध करने वालों की संख्या ज्यादा थी. ऐसे में सवाल उठता है कि अंतरिक्ष अन्वेषण का अखिर इतना विरोध क्यों होता है. ऐसा इसके हाई प्रोफाइल होने की और इस पर होने वाले बड़े खर्चों की वजह से है. इसलिए ऐसे सवाल पूछे भी जाते हैं. लेकिन यह उसी तरह का सवाल है कि क्या हमें पर्यावरण की चिंता करने से पहले अपने अर्थ व्यवस्था नहीं सुधारनी चाहिए.
अंतरिक्ष अन्वेषण के ये फायदे भी
आज अंतरिक्ष संबंधी सैटेलाइट को आधुनिक संचार की जीवन रेखा माना जाता है. लेकिन ये सैटेलाइट मौसम, भूगर्भीय सहित कई ऐसी जानकारियां देते हैं, जो कई लोगों की जान बचाने के साथ हमें बेहतर जीवन के लिए मददगार होती है. वहीं अंतरिक्ष अनुसंधान ने दुनिया के कई उपयोगी तकनीकें भी दी हैं जिनमें रोबोटिक्स, सौर ऊर्जा, तापरोधी पदार्थ, माइक्रोवेव, आदि शामिल हैं.
सौर तूफान क्यों माने जाते हैं इंटरनेट के लिए खतरनाक
आमतौर पर लोग एक अंतरिक्ष प्रक्षेपण का खर्चा तो देखते हैं, लेकिन उससे होने वाला दूरगामी लाभों का आंकलन नहीं करते हैं. इसके अलावा यह भी तो एक सच है कि अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइटों ने ही हमें हमारी पृथ्वी के पर्यावरण की जागरुकता के संबंध में बहुत सारी जानकारियां दी हैं. इसके अलावा पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावनाओं और संकेतों की तलाश में हुए शोधों ने भी हमें पृथ्वी के ही बारे में बहुत कुछ बताया है. और हमें कभी नहीं भूलना चाहिए ओजोन परत और उसके क्षरण की जानकारी हमें अंतरिक्ष अनुसंधान से ही मिलती है.
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