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ट्राई ने भारत में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में सुधार के लिए रिकमंडेशन की 298 पेजों की लिस्ट जारी की है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- टेलीकॉम रेगुलेटरी अथोरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने मंगलवार को मिनिमम ब्रॉडबैंड स्पीड को 512 केबीपीएस से बढ़ाकर 2 एमबीपीएस कर दिया, जो पिछले सालों में 256 केबीपीएस और 56 केबीपीएस से अपग्रेड होकर अब तक की मिनिमम स्पीड थी. ट्राई ने भारत में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में सुधार के लिए रिकमंडेशन की 298 पेजों की लिस्ट जारी की है.
रेगुलेटर ने एक बयान में कहा, "ब्रॉडबैंड की डेफिनेशन को रिव्यू किया गया है और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के लिए मिनिमम डाउनलोड स्पीड को मौजूदा 512 केबीपीएस से बढ़ाकर 2 एमबीपीएस कर दिया गया है. डाउनलोड स्पीड के आधार पर फिक्स्ड ब्रॉडबैंड को बेसिक, फास्ट और सुपर-फास्ट में कटेगराइज किया गया है." एक बेसिक कनेक्शन की स्पीड 2 एमबीपीएस से 50 एमबीपीएस के बीच होती है, जबकि एक फास्ट कनेक्शन की स्पीड 50 एमबीपीएस से 300 एमबीपीएस के बीच होती है. वहीं एक सुपरफास्ट कनेक्शन की स्पीड 300 एमबीपीएस से अधिक होती है.
ट्राई ने ग्रामीण एरिया में यूजर्स को ब्रॉडबैंड कनेक्शन अपनाने के लिए एनकरेज करने के लिए एक पायलट डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) प्रोग्राम का सुझाव दिया है. प्लान के मुताबिक, सरकार को मंथली ब्रॉडबैंड फीस का 50 प्रतिशत रिम्बर्स करने के बारे में सोचना चाहिए, बशर्ते कि एक कस्टमर मैक्सिमम 200 रुपए हर महीने की पेमेंट कर रहा हो. चूंकि रिम्बर्स डीबीटी के रूप में होगा, इसलिए कस्टमर्स को उनके लिंक किए गए बैंक अकाउंट में पैसा मिलेगा.
ट्राई की तरफ से दिए गए ये सुझाव
ट्राई ने सुझाव दिया एक बार पायलट डीबीटी की संभावना का पता चलने के बाद, प्लान की बारीकियों जैसे बेनिफिशियरी के लिए एलिजिबिलिटी स्टैंडर्ड, रिम्बर्स अमाउंट, प्लान की ड्यूरेशन आदि पर काम किया जाना चाहिए.
ट्राई ने फिक्स्ड लाइन कनेक्शन की स्पीड को बढ़ावा देने और बढ़ाने के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी ऑफर करने वाली कंपनियों के लिए लाइसेंस फीस में छूट जैसे इंटेंसिव देने का सुझाव दिया. "शुरुआत में, सजेस्ट किए गए इंटेंसिव, यानी एलिजिबल लाइसेंसहोल्डर्स को लाइसेंस फीस में छूट की परमीशन मिनिमम पांच साल की ड्यूरेशन के लिए दी जानी चाहिए. रेगुलेटर ने एक बयान में कहा, "शुरुआती पांच सालों से अधिक इंटेंसिव की जरूरत के लिए रिव्यू पांचवें साल में पॉलिसी प्रियोरिटी और उस समय के टेक्निकल डेवलपमेंट को ध्यान में रखते हुए की जा सकती है."
ट्राई ने कहा कि भारत में मौजूदा ब्रॉडबैंड की पहुंच करीब 55 फीसदी है, जबकि चीन में 95 फीसदी और यूरोपीय देशों में 95 से 115 फीसदी के बीच है. भारत में फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की पहुंच प्रति 100 लोगों पर 1.69 है, जबकि फ्रांस में 44.6, कोरिया में 42.8 और जर्मनी में 42.7 है.
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